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Dehradun: उत्तराखंड तकनीकी विवि में करोड़ों का घपला

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देहरादून वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) में सॉफ्टवेयर डेवलप करने के नाम पर करोड़ों का घोटाला सामने आया है। आरोप है कि विवि के कुछ अफसरों ने लखनऊ की एक कंपनी से साठगांठ कर सरकार को दो करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाया है। मामले की प्राथमिक जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। तकनीकी शिक्षा सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा ने उच्चस्तरीय तकनीकी समिति गठित कर विस्तृत जांच के निर्देश दिए हैं। साथ ही दोषी पाए जाने वाले अफसरों पर कठोर कार्रवाई के साथ रिकवरी की भी संस्तुति की है।

यूटीयू ने एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) और यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट सिस्टम (यूएमएस) सॉफ्टवेयर बनवाने को लखनऊ की एक कंपनी से करार किया था। इसके तहत कंपनी को प्रति छात्र 567 रुपये की दर से भुगतान किया गया, जो प्रतिवर्ष करीब दो करोड़ रुपये होता है। इस मामले में आरोप लगने के बाद शासन ने जांच कराई। इसमें सामने

आया कि यह सॉफ्टवेयर न तो समझौते की शर्तों के अनुरूप था, न इसका सही संचालन हो रहा था। सॉफ्टवेयर बनने के बाद तकनीकी समिति से परीक्षण व अनुमोदन कराए बिना ही भुगतान कर दिया गया। भुगतान में भी पारदर्शिता नहीं बरती गई। ऐसे में कुलसचिव और कुलपति की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। इस संबंध में सचिव तकनीकी शिक्षा ने बताया कि विस्तृत जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

आरोपों के संबंध में शासन की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि यूटीयू की ओर से यूएमएस और ईआरपी सॉफ्टवेयर बनाने, उसके संचालन और भुगतान में लापरवाही के साथ अनियमितता उजागर हुई है। इसमें स्पष्ट तौर पर विवि के अधिकारियों की मिलीभगत परिलक्षित हो रही है। रिपोर्ट में निजी कंपनी के साथ किए गए करार को निरस्त करने और पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने की सिफारिश की गई है।

Manoj kumar

Editor-in-chief

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