Uttrakhand news: लैंसडौन जंगल में हाथी के हमले से ग्रामीण की मौत, क्षेत्र में दहशत का माहौल
Uttrakhand news: लैंसडौन वन विभाग के डुगड्डा रेंज में एक हाथी द्वारा एक ग्रामीण की मौत के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल उत्पन्न हो गया है। यह घटना न केवल वन विभाग बल्कि पूरे क्षेत्र के निवासियों के लिए एक बड़ा झटका बन गई है, जो पहले भी हाथियों के संपर्क में आ चुके थे, लेकिन इस बार की घटना ने सभी को भयभीत कर दिया है।
यह घटना शुक्रवार शाम की बताई जा रही है, जब 50 वर्षीय रोशन सिंह, जो डुगड्डा क्षेत्र से अपने गांव बिनी जमारगड्डी जा रहे थे, अचानक हाथी का शिकार हो गए। रोशन सिंह के साथ इस समय एक और व्यक्ति भी था, लेकिन वह किसी तरह से बचकर निकलने में सफल रहा। घटना की जानकारी शनिवार सुबह वन विभाग को मिली।
हाथी के हमले में मौत की जानकारी
बताया जा रहा है कि शुक्रवार रात तक जब रोशन सिंह अपने गांव नहीं पहुंचे, तो उनके परिजनों ने उनकी तलाश शुरू कर दी। शनिवार सुबह उनका शव कोह नदी के किनारे स्थित एक फुटपाथ पर मिला। मृतक के परिजनों और ग्रामीणों के मुताबिक, रोशन सिंह पहले डुगड्डा रेंज में वनकर्मी के रूप में काम कर चुके थे। उनकी यह खतरनाक यात्रा उस समय एक भयावह हादसे में बदल गई, जब उन्हें हाथी के द्वारा हमला किया गया।
रोशन सिंह के शव के मिलने के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश और चिंता का माहौल पैदा हो गया है। यह घटना न केवल उनके परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि पूरे गांव और आसपास के क्षेत्रों में सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हाथी से संघर्ष का बढ़ता खतरा
लैंसडौन वन क्षेत्र में पहले भी हाथियों का आना-जाना रहा है, लेकिन यह घटना कहीं न कहीं हाथियों और मनुष्यों के बीच बढ़ते संघर्ष को दर्शाती है। वन विभाग द्वारा समय-समय पर इस प्रकार के संघर्ष को रोकने के लिए कदम उठाए जाते रहे हैं, लेकिन घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। हाथियों का हमला मुख्य रूप से उन क्षेत्रों में होता है, जहां उनके प्राकृतिक आवास सिकुड़ रहे हैं और मानव गतिविधियों के कारण उनका रास्ता बाधित हो रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों के रास्ते में आने से अब यह घटनाएं बढ़ गई हैं। इस क्षेत्र में हाथी का घुसना पहले भी आम था, लेकिन अब यह जानलेवा घटनाओं का रूप ले चुका है। वहीं, वन विभाग का कहना है कि वे इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं और हाथियों के हमलों को रोकने के लिए विशेष उपाय किए जा रहे हैं।
क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता
यह घटना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वन विभाग को हाथियों के हमलों को लेकर अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। रोशन सिंह की मौत ने न केवल उसके परिवार को दुखी किया है, बल्कि पूरे गांव में भय का माहौल भी पैदा कर दिया है। अब यह जरूरी हो गया है कि जंगलों के आसपास रहने वाले ग्रामीणों को हाथियों के खतरों से बचाने के लिए अधिक सुरक्षा उपायों की आवश्यकता है।
इसके लिए वन विभाग को एक ठोस योजना बनानी चाहिए, जिसमें स्थानीय निवासियों को हाथियों के बारे में जागरूक किया जाए और उन्हें जंगल के करीब जाने से पहले चेतावनी दी जाए। इसके अलावा, हाथियों को नियंत्रित करने के लिए खास रणनीतियों का उपयोग किया जाए, ताकि इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सके।
पोस्टमॉर्टम और आगे की कार्रवाई
मृतक रोशन सिंह का शव अब कोटद्वार भेजा जा रहा है, जहां पोस्टमॉर्टम किया जाएगा। इस घटना के बाद वन विभाग ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि यह हमला कैसे हुआ और इसके लिए जिम्मेदार कौन था। फिलहाल, पूरे क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और हाथियों के हमले से बचने के उपायों पर विचार किया जा रहा है।
इसके साथ ही, स्थानीय निवासियों को भी वन विभाग द्वारा चेतावनी जारी की गई है कि वे जंगलों में जाने से पहले पूरी सावधानी बरतें और हाथियों से जुड़ी किसी भी प्रकार की सूचना मिलने पर तत्काल वन विभाग को सूचित करें।
लैंसडौन के डुगड्डा रेंज में हुए इस हादसे ने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिरकार मानव और वन्यजीवों के संघर्ष को कैसे कम किया जा सकता है। यह घटना न केवल एक परिवार के लिए दुखद है, बल्कि पूरे क्षेत्र में हाथियों के हमले के खतरों को लेकर चिंता का कारण बन गई है। अब समय आ गया है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए वन विभाग को और अधिक सख्त कदम उठाने चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं फिर से न घटित हों।