Bangladesh में हिंदूओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ मुस्लिम समुदाय की प्रार्थना और चादर चढ़ाई
Bangladesh में हिंदू समुदाय पर हो रहे कथित हमलों और अत्याचारों को लेकर पूरे देश में गहरी चिंता और आक्रोश व्याप्त है। विशेष रूप से भारतीय मुस्लिम समुदाय के लोग बांगलादेश में हो रही धार्मिक नफरत और हिंसा के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे हैं। इस कड़ी में, उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शादाब शम्स के नेतृत्व में सोमवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पीरन कलीयर शरीफ में चादर चढ़ाई और बांगलादेश में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ प्रार्थना की। उनका कहना था कि बांगलादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ गए हैं, मंदिरों को नष्ट किया जा रहा है, और वहां की बहनें और बेटियां असुरक्षित हैं।
शादाब शम्स ने कहा, “बांगलादेश के लोग धार्मिक घृणा का सामना कर रहे हैं, वहां की लोकतांत्रिक व्यवस्था को मारा जा चुका है।” उन्होंने आगे कहा कि यह अत्याचार इस्लामिक आतंकवादी संगठनों और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI की साजिश का परिणाम है। उनका मानना है कि इस तरह के हमलों को केवल धार्मिक नफरत और जिहादी ताकतें बढ़ावा दे रही हैं।
“अल्लाह के साथ हैं पीड़ित, और उसके खिलाफ हैं उत्पीड़क”
शादाब शम्स ने चादर चढ़ाते हुए एक महत्वपूर्ण धार्मिक संदेश भी दिया। उन्होंने कहा, “कुरान में स्पष्ट कहा गया है, ‘इन्नलाह मा’अस्साबिरिन’, यानी अल्लाह हमेशा पीड़ितों के साथ होता है और उत्पीड़क के खिलाफ होता है।” उनका कहना था कि जब भी पीड़ितों की आवाज़ आसमान तक पहुंचती है, तो अल्लाह उनकी मदद करता है। उन्होंने इस विश्वास को व्यक्त किया कि उनकी प्रार्थनाएं व्यर्थ नहीं जाएंगी, और अल्लाह बांगलादेश के हिंदू समुदाय की रक्षा करेगा।
बांगलादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले
बांगलादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ गए हैं। हाल के दिनों में कई मंदिरों को तोड़ा गया, हिंदू परिवारों को परेशान किया गया और उनके खिलाफ हिंसा की घटनाएं सामने आईं। बांगलादेश में इन घटनाओं ने न केवल हिंदू समुदाय को संकट में डाला है, बल्कि यह बांगलादेश की धर्मनिरपेक्ष छवि को भी धक्का पहुंचा रहे हैं। वहां के हिंदू संगठनों और नेताओं का आरोप है कि बांगलादेश सरकार और सुरक्षा बल इस तरह के हमलों पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।
भारत का विरोध और बांगलादेश का जवाब
इस मुद्दे पर भारत ने भी बांगलादेश के साथ अपने दूतावास स्तर पर चर्चा की। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बांगलादेश के विदेश सचिव मोहम्मद जशीमुद्दीन से मुलाकात की और बांगलादेश में हो रही घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। विक्रम मिसरी ने बताया कि भारत ने बांगलादेश में धार्मिक और सांस्कृतिक संपत्ति पर हमलों के बारे में अपनी चिंताएं उठाई और बांगलादेश सरकार से उम्मीद जताई कि वे इन घटनाओं पर ठोस कार्रवाई करेंगे।
हालांकि, बांगलादेश ने भारत के आरोपों को नकारते हुए इसे “गलत और भ्रामक जानकारी” बताया। बांगलादेश ने साफ तौर पर कहा कि यह उनका आंतरिक मामला है और किसी भी अन्य देश को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। बांगलादेश सरकार का यह भी कहना है कि वहां की स्थितियों को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
भारत-बांगलादेश संबंधों की आगे की दिशा
भारत और बांगलादेश के बीच हमेशा से अच्छे संबंध रहे हैं, लेकिन इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच खींचतान बढ़ती जा रही है। विक्रम मिसरी ने इस पर कहा कि भारत बांगलादेश के साथ अपने संबंधों को एक सकारात्मक, दृष्टिगत और रचनात्मक दिशा में आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को बांगलादेश से यह उम्मीद है कि वे हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण को सुनिश्चित करेंगे और इस प्रकार की घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई करेंगे।
मुस्लिम समुदाय का समर्थन
मुस्लिम समुदाय ने इस स्थिति में अपनी चिंता जताते हुए बांगलादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के प्रति अपनी एकजुटता और समर्थन व्यक्त किया है। शादाब शम्स ने यह भी कहा कि यह हमला किसी एक धर्म पर नहीं, बल्कि पूरी मानवता पर हमला है। उनका मानना था कि इस धार्मिक घृणा और आतंकवाद के खिलाफ हर धर्म और समुदाय को एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए।
कई मुस्लिम नेताओं ने बांगलादेश में हो रहे इन अत्याचारों पर गहरी चिंता जताई है और उम्मीद जताई है कि बांगलादेश सरकार जल्द से जल्द इन घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएगी। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि धर्मनिरपेक्षता और मानवाधिकारों के सिद्धांतों के तहत सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलना चाहिए, चाहे उनका धर्म या जाति कुछ भी हो।
भविष्य में क्या होगा?
बांगलादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा के मुद्दे पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भी नजरें हैं। भारत ने इस मुद्दे को उठाकर बांगलादेश सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की है। यह देखा जाना बाकी है कि बांगलादेश सरकार इन घटनाओं पर क्या कार्रवाई करती है और क्या यह दोनों देशों के बीच के रिश्तों पर कोई असर डालेगा।
समाप्ति के रूप में, शादाब शम्स और मुस्लिम समुदाय की यह प्रार्थना बांगलादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक सकारात्मक कदम है। यह एक संदेश है कि धार्मिक सहिष्णुता और इंसानियत की भावना से ही हम किसी भी समाज में अमन और शांति स्थापित कर सकते हैं।