Ghaziabad Cyber Crime: महिला को ‘डिजिटल अरेस्ट’ की धमकी देकर 10 लाख रुपये की ठगी, जानें कैसे बचें साइबर अपराधियों से
Ghaziabad Cyber Crime: गाज़ियाबाद के कविनगर क्षेत्र में साइबर अपराधियों ने एक महिला को जांच के नाम पर डराते हुए ‘डिजिटल अरेस्ट’ का झांसा दिया और 10 लाख रुपये की ठगी कर ली। यह घटना शुक्रवार शाम की है, जब अपराधियों ने महिला को ड्रग्स तस्करी में फंसाने की धमकी देकर रातभर अपने शिकंजे में रखा।
ऐसे दिया घटना को अंजाम
कविनगर एच ब्लॉक की निवासी गर्गी गुप्ता को शुक्रवार शाम करीब 3:45 बजे एक कॉल आया। कॉलर ने खुद को डीटीडीसी कूरियर कंपनी का प्रतिनिधि बताया और कहा कि उनके नाम से मुंबई से कनाडा के लिए एक पार्सल बुक किया गया है। इस पार्सल में छह एसबीआई क्रेडिट कार्ड, पांच किलो कपड़े और 200 ग्राम ड्रग्स पाए गए हैं।
कॉलर ने बताया कि इस पार्सल के कारण कंपनी ने उनके खिलाफ मुंबई में मामला दर्ज किया है। इसके बाद गर्गी को एक साइबर क्राइम अधिकारी से बात करने के लिए मजबूर किया गया। इस दौरान उन्हें स्काइप कॉल के जरिए ‘मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच’ के एक कथित अधिकारी से जोड़ा गया।
अधिकारी ने गर्गी से कहा कि उनके बयान लिए जाने हैं, इसलिए कमरे में कोई और न हो और कॉल डिस्कनेक्ट भी न किया जाए।
बैंक खातों की जानकारी लेकर की ठगी
महिला को धमकी देकर उनके बैंक खातों और आधार कार्ड की जानकारी ले ली गई। गर्गी को बताया गया कि बीते तीन महीने में उनके नाम से 24 बैंक खाते खोले गए हैं, जो ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी मोहम्मद इस्लाम मलिक से जुड़े हुए हैं।
थोड़ी देर बाद खुद को डीसीपी बताने वाला एक और व्यक्ति स्काइप कॉल पर जुड़ा। उसने गर्गी से उनके बैंक खातों की जानकारी मांगी। गर्गी ने बताया कि उनके पास दो बैंक खाते हैं, जिनमें से एक खाते में लगभग 10 लाख रुपये और दूसरे खाते में 2000 रुपये थे।
अपराधियों ने ‘जांच’ के नाम पर दोनों खातों से करीब साढ़े तीन लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए।
धमकी देकर रातभर रखा नियंत्रण में
ठगों ने गर्गी को अगले दिन सुबह 9:30 बजे फिर से जांच में शामिल होने का निर्देश दिया। उन्होंने यह भी कहा कि मोबाइल पर वीडियो कॉल जारी रखते हुए सो जाएं और अगर कॉल बंद हुई तो पांच साल की जेल और पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
अगली सुबह 9:30 बजे गर्गी को बताया गया कि उन्हें बैंक जाकर अपने खाते में मौजूद शेष राशि ट्रांसफर करनी होगी। डर के मारे गर्गी ने बैंक जाकर 6.5 लाख रुपये अपराधियों द्वारा बताए गए खाते में ट्रांसफर कर दिए।
पैसे ट्रांसफर होते ही संपर्क टूटा
जैसे ही पैसे ट्रांसफर हुए, कॉलर ने फोन काट दिया। गर्गी ने कई बार कॉल करने की कोशिश की, लेकिन कॉल नहीं लगा। इसके बाद उन्हें समझ आया कि वे ठगी का शिकार हो चुकी हैं। गर्गी ने तुरंत साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज करवाई।
साइबर अपराधियों के शिकार बनने के मुख्य कारण
- डर और धमकी का इस्तेमाल:
अपराधियों ने ड्रग्स तस्करी जैसे गंभीर आरोप लगाकर गर्गी को डराया। - तकनीकी का दुरुपयोग:
स्काइप कॉल और ‘डिजिटल अरेस्ट’ का झांसा देकर महिला को भ्रमित किया। - आर्थिक और व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंच:
बैंक खातों और आधार कार्ड की जानकारी प्राप्त कर पैसे निकालने में सफलता पाई।
साइबर ठगी से कैसे बचें?
- अनजान कॉल्स से बचाव:
किसी भी अनजान कॉल पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें। - जांच की पुष्टि करें:
किसी भी मामले की पुष्टि करने के लिए संबंधित विभाग या संस्था से सीधे संपर्क करें। - वीडियो कॉल के दबाव में न आएं:
यदि कोई वीडियो कॉल या अन्य माध्यम से डराने की कोशिश करे, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। - संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करें:
ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट साइबर क्राइम सेल में तुरंत करें। - साइबर सुरक्षा जागरूकता:
नियमित रूप से साइबर सुरक्षा से जुड़े उपायों के बारे में जानकारी लें।
ठगी के बढ़ते मामले और कानून व्यवस्था
भारत में साइबर अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं। पुलिस और प्रशासन इन अपराधों से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आम नागरिकों को भी सतर्क रहना होगा।
साइबर अपराधियों के पास तकनीकी साधन और मनोवैज्ञानिक चालें होती हैं, जिनसे वे लोगों को आसानी से अपने जाल में फंसा लेते हैं। इसलिए, जागरूकता और सतर्कता ही इससे बचने का सबसे बड़ा उपाय है।
गाज़ियाबाद में हुई यह घटना साइबर अपराधियों की बढ़ती ताकत और लोगों की जागरूकता की कमी को उजागर करती है। गर्गी की तरह कोई और इस जाल में न फंसे, इसके लिए जरूरी है कि हम सभी सतर्क रहें और साइबर अपराधों से जुड़ी हर जानकारी रखें।
अगर आपको भी किसी संदिग्ध कॉल या गतिविधि का सामना करना पड़े, तो तुरंत पुलिस और साइबर क्राइम सेल को सूचित करें। आपका एक कदम न केवल आपकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि समाज में बढ़ रहे इन अपराधों पर भी लगाम लगाएगा।