ISRO’s PROBA-3 mission: ISRO का PROBA-3 मिशन कल होगा लॉन्च, जानें क्या अध्ययन करेगा यह मिशन
ISRO’s PROBA-3 mission: भारत की अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लगातार उपलब्धियाँ हासिल कर रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अब तक कई महत्वपूर्ण रिकॉर्ड बनाए हैं। अब एक और उपलब्धि ISRO के नाम जुड़ने वाली है। ISRO 4 दिसंबर को PROBA-3 मिशन लॉन्च करने जा रहा है। ISRO ने कहा है कि इस लॉन्च को देखने के लिए आप हमें लाइव जुड़ सकते हैं, जिसमें PSLV-C59 रॉकेट के साथ PROBA-3 मिशन लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन में ISRO के वाणिज्यिक शाखा NewSpace India Limited (NSIL) का भी सहयोग है।
PROBA-3 मिशन को श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर से 4 दिसंबर को दोपहर 4:08 बजे लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) का एक महत्वपूर्ण मिशन है, जो सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेगा। ESA के अनुसार, ‘PROBA-3’ मिशन सूर्य के सबसे बाहरी और सबसे गर्म परत, जिसे कोरोना कहा जाता है, का अध्ययन करेगा। आपको बता दें कि ISRO पहले भी दो PROBA मिशन लॉन्च कर चुका है। पहला PROBA-1 मिशन 2001 में और दूसरा PROBA-2 मिशन 2009 में लॉन्च किया गया था। ISRO दोनों मिशनों में सफल रहा था।
PROBA-3 मिशन क्या है?
PROBA-3 मिशन यूरोप के कई देशों का साझेदारी प्रोजेक्ट है। इसमें स्पेन, पोलैंड, बेल्जियम, इटली और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों का सहयोग है। इस मिशन की कुल लागत लगभग 200 मिलियन यूरो (करीब 1,800 करोड़ रुपये) आंकी गई है। यह मिशन दो साल तक चलेगा। PROBA-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना है। कोरोना सूर्य का बाहरी वायुमंडल होता है और यह पृथ्वी से बहुत अधिक गर्म होता है। इसका अध्ययन करना बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सूर्य के प्रभाव को और उसके साथ जुड़े कई वैज्ञानिक तथ्यों को समझने में मदद करेगा।
इस मिशन की विशेषताएँ
PROBA-3 मिशन की एक खासियत यह है कि इसके जरिए अंतरिक्ष में पहली बार ‘प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंग’ (Precision Formation Flying) की परीक्षा की जाएगी। इस प्रक्रिया में दो उपग्रह एक साथ उड़ेंगे और दोनों उपग्रह एक स्थिर स्थिति में एक साथ बने रहेंगे। इसका मतलब यह है कि इन उपग्रहों के बीच की दूरी और दिशा में कोई बदलाव नहीं होगा। इसके जरिए सूर्य के कोरोना का विस्तृत अध्ययन किया जाएगा। यह मिशन खासतौर पर सूर्य के बाहरी वायुमंडल की गति, संरचना और उसके प्रभावों को समझने के लिए डिजाइन किया गया है।
PROBA-3 मिशन के मुख्य घटक
PROBA-3 मिशन को दो प्रमुख उपग्रहों से लॉन्च किया जाएगा। पहले उपग्रह का नाम ‘ऑक्लूटर’ (Occulter) है, जिसका वजन लगभग 200 किलोग्राम है। दूसरा उपग्रह ‘कोरोनाग्राफ’ (Coronagraph) है, जिसका वजन 340 किलोग्राम है। लॉन्च के बाद, इन दोनों उपग्रहों को अलग किया जाएगा और फिर उन्हें एक साथ सूर्य के कोरोना का अध्ययन करने के लिए एक विशेष स्थिति में रखा जाएगा। ये दोनों उपग्रह एक दूसरे के पास उड़ते हुए सूर्य के कोरोना का विस्तृत अध्ययन करेंगे।
‘ऑक्लूटर’ उपग्रह का मुख्य कार्य सूर्य की रोशनी को छांटना है, जिससे ‘कोरोनाग्राफ’ उपग्रह को सूर्य के बाहरी वातावरण का स्पष्ट दृश्य मिल सके। यह दोनों उपग्रह सूर्य के कोरोना की संरचना और उसकी गतिविधियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।
इस मिशन से जुड़े प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्य
PROBA-3 मिशन का प्रमुख उद्देश्य सूर्य के कोरोना के विभिन्न पहलुओं को समझना है। इसके माध्यम से वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश करेंगे कि सूर्य के कोरोना में इतनी उच्च तापमान क्यों होता है। इसके अलावा, मिशन का उद्देश्य यह समझना भी है कि सूर्य की ऊपरी वायुमंडलीय परतों में क्या प्रक्रियाएँ होती हैं, जो इसके तापमान और उसकी गतिविधियों को प्रभावित करती हैं।
सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सूर्य की गतिविधियाँ पृथ्वी के मौसम और अन्य पर्यावरणीय स्थितियों को प्रभावित करती हैं। सूर्य से निकलने वाले सौर पवन और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) पृथ्वी पर संचार प्रणालियों, मौसम और अन्य विज्ञान क्षेत्रों पर प्रभाव डाल सकते हैं। इस मिशन से मिले परिणाम भविष्य में वैज्ञानिकों को सूर्य के व्यवहार को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे, जिससे पृथ्वी पर आने वाले किसी भी सौर तूफान या घटनाओं के प्रभावों को कम किया जा सके।
‘Precision Formation Flying’ की पहली बार परीक्षा
PROBA-3 मिशन की एक और अनोखी विशेषता यह है कि यह पहली बार ‘प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंग’ का परीक्षण करेगा। यह प्रक्रिया अंतरिक्ष में दो उपग्रहों के बीच बहुत सटीक स्थिति बनाए रखने की तकनीक है। दोनों उपग्रह एक निश्चित दूरी और दिशा में उड़ेंगे और यह प्रक्रिया अंतरिक्ष विज्ञान में एक महत्वपूर्ण कदम होगी। इसका उद्देश्य उपग्रहों के बीच सटीक तालमेल बनाए रखना है, जिससे दोनों उपग्रह एक साथ काम कर सकें और सूर्य के कोरोना का अध्ययन कर सकें।
इस मिशन के लाभ
PROBA-3 मिशन के जरिए वैज्ञानिकों को सूर्य के कोरोना के बारे में नए और महत्वपूर्ण तथ्यों का पता चलेगा। इसके अलावा, यह मिशन भविष्य में अन्य अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक मॉडल प्रस्तुत करेगा, जिसमें ‘प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंग’ की तकनीक का उपयोग किया जाएगा। यह तकनीक कई अन्य अंतरिक्ष परियोजनाओं में उपयोगी साबित हो सकती है, जैसे कि ग्रहों के अध्ययन, अन्य तारों के अध्ययन और अंतरिक्ष की गहरी छानबीन।
ISRO का PROBA-3 मिशन न केवल भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, बल्कि यह पूरे विश्व के लिए एक बड़ी वैज्ञानिक पहल है। इस मिशन के माध्यम से सूर्य के कोरोना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जाएगी, जो वैज्ञानिकों को सूर्य और अंतरिक्ष के बारे में और अधिक जानने में मदद करेगी। ISRO द्वारा इस मिशन का संचालन यह साबित करता है कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लगातार नये आयाम स्थापित कर रहा है और इस मिशन से विज्ञान के क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया जा रहा है।