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DRDO: भारत ने रक्षा क्षेत्र में रचा इतिहास, लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण

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DRDO: भारत ने रक्षा क्षेत्र में अपनी ताकत को और मजबूत करते हुए एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रविवार को भारत ने लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल देश में ही विकसित की गई है और इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने तैयार किया है। इस सफलता को देश के सैन्य बल को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल: भारत का नया सामरिक हथियार

यह लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल 1,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक विभिन्न प्रकार के पेलोड ले जाने में सक्षम है। इसकी गति 6,200 किलोमीटर प्रति घंटे से भी अधिक है, जो इसे पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में कहीं अधिक खतरनाक और प्रभावी बनाती है। हाइपरसोनिक मिसाइल ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक गति से चलती है और दुश्मन के रडार को चकमा देने में सक्षम होती है।

DRDO: भारत ने रक्षा क्षेत्र में रचा इतिहास, लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाई

परीक्षण के बाद, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए DRDO और इससे जुड़े वैज्ञानिकों की टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा, “डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप, ओडिशा के तट से लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण एक ऐतिहासिक क्षण है। इसने भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया है जिनके पास इतनी उन्नत सैन्य तकनीक है।”

कैसे हुआ परीक्षण?

DRDO ने बताया कि मिसाइल का परीक्षण विभिन्न रेंज सिस्टम्स के जरिए ट्रैक किया गया। इसके उड़ान डेटा ने पुष्टि की कि लक्ष्य क्षेत्र में अंतिम चरण की प्रक्रियाएं और प्रक्षेपण पूरी तरह से सटीक थे। यह परीक्षण हर दृष्टिकोण से सफल रहा।

देश में ही बनी है यह मिसाइल

इस लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है। DRDO की हैदराबाद स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स और उद्योग साझेदारों ने इसे मिलकर तैयार किया है।

हाइपरसोनिक मिसाइल: क्या है इसकी विशेषताएं?

  1. अद्वितीय गति: यह मिसाइल ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक गति से चलती है, यानी लगभग 6,200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से।
  2. अभेद्य तकनीक: दुश्मन के रडार सिस्टम को चकमा देने में सक्षम।
  3. सभी परिस्थितियों में ऑपरेशन: यह मिसाइल किसी भी मौसम और परिस्थिति में अपना काम बखूबी अंजाम देती है।
  4. स्वदेशी निर्माण: इसे DRDO और भारतीय उद्योगों ने मिलकर तैयार किया है।
  5. लक्ष्य पर सटीकता: यह मिसाइल अपने लक्ष्य को सटीकता से भेदने में सक्षम है।

हाइपरसोनिक मिसाइल: भविष्य की युद्ध तकनीक

हाइपरसोनिक मिसाइलों को आधुनिक युद्ध की तकनीक में गेम-चेंजर माना जा रहा है। इनकी खास बनावट इन्हें दुश्मन के बचाव तंत्र को चकमा देने और लक्ष्य तक तेज गति से पहुंचने में सक्षम बनाती है। यह मिसाइल न केवल अपनी गति और सटीकता के लिए जानी जाती है, बल्कि इसकी अद्वितीय ग्लाइडिंग तकनीक इसे और प्रभावी बनाती है।

भारत की सामरिक ताकत में इजाफा

इस परीक्षण के बाद, भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिनके पास हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक है। इससे पहले केवल अमेरिका, रूस और चीन के पास इस प्रकार की तकनीक उपलब्ध थी। यह उपलब्धि भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम है।

रक्षा मंत्री और DRDO का संदेश

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा सचिव और DRDO अध्यक्ष ने इस सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह भारत की सामरिक शक्ति को और बढ़ाएगा। उन्होंने इस सफलता को “आत्मनिर्भर भारत” मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया।

लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण भारत की रक्षा ताकत को नई ऊंचाइयों पर ले गया है। यह उपलब्धि न केवल भारत को वैश्विक स्तर पर मजबूत स्थिति में खड़ा करती है, बल्कि स्वदेशी तकनीक पर भारत की निर्भरता को भी दर्शाती है। हाइपरसोनिक मिसाइल का विकास भारत के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कड़ी मेहनत का परिणाम है, जो आने वाले समय में देश की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी

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