Uttarakhand News: IAS अधिकारी मीनाक्षी सुंदरम के साथ दुर्व्यवहार को लेकर गुस्साए IAS अधिकारी, सचिवालय संघ ने किया काम का बहिष्कार
Uttarakhand News: उत्तराखंड में वरिष्ठ IAS अधिकारी Meenakshi Sundaram और उनके स्टाफ के साथ हुई दुर्व्यवहार की घटना को लेकर कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया है। सचिवालय संघ ने शुक्रवार दोपहर को काम का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। IAS संघ ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मुख्य सचिव राधा रतुरी से मुलाकात कर विरोध जताया और कार्रवाई की मांग की।
IAS संघ ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से की मुलाकात
IAS संघ के उत्तराखंड चैप्टर के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की और उन्हें नियमों के अनुसार कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने बिना किसी दबाव के संघ को कार्रवाई का आश्वासन दिया। इससे पहले दिन में, प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव राधा रतुरी से भी मुलाकात की और एक शिकायत पत्र प्रस्तुत किया। पत्र में कहा गया कि वे सचिव सुन्दरम और उनके स्टाफ के साथ हुई दुर्व्यवहार और हमले की कड़ी निंदा करते हैं। सभी अधिकारी इस घटना से दुखी हैं।
मार्च में हुए हमले पर भी हुई नाखुशी
IAS संघ के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव को यह भी बताया कि मार्च महीने में नगर निगम आयुक्त गौरव कुमार के साथ हुई दुर्व्यवहार की घटना के आठ महीने बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इस मामले में मुख्य सचिव राधा रतुरी ने गृह सचिव को निर्देश दिया है कि वे आरोपी के खिलाफ त्वरित और कड़ी कानूनी कार्रवाई करें। इसके साथ ही उन्होंने सचिवालय प्रशासन के सचिव को भी पुलिस कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
प्रतिनिधिमंडल में IAS संघ के सचिव दिलीप जवालकर, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव Meenakshi Sundaram, डॉ. पंकज कुमार पांडे, शैलेश बागोली, विनय शंकर पांडे, बीवीआरसी पुरूषोत्तम, बीके संत, और नीरज खैरवाल शामिल थे।
सचिवालय कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन
उत्तराखंड सचिवालय संघ ने इस घटना के विरोध में एक आपात बैठक आयोजित की, जिसमें सचिवालय संघ के सभी संघों के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक के बाद एक सामान्य बैठक का आयोजन एटीएम चौक पर किया गया, जहां सभी ने घटना की कड़ी निंदा की। संघ ने तय किया कि जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से मुलाकात करेगा और कार्रवाई की मांग करेगा। शुक्रवार को सभी कर्मचारी दोपहर 1 बजे एटीएम चौक पर एकत्र होंगे और काम का बहिष्कार करेंगे। संघ ने चेतावनी दी कि अगर समय पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है, तो उनका आंदोलन और तेज़ होगा।
संगठन के अध्यक्ष सुनील लखेरा ने कहा कि इस तरह की घटना को कतई सहन नहीं किया जाएगा और सरकार को तुरंत सचिवालय कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। संघ ने भी इस मामले में ठोस कार्रवाई की मांग की।
ऊर्जा सचिव और उनके सचिव के साथ हुई दुर्व्यवहार की निंदा
उत्तराखंड पावर इंजीनियर्स संघ ने गुरुवार को मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजकर ऊर्जा सचिव और उनके निजी सचिव के साथ हुई दुर्व्यवहार की कड़ी निंदा की और कार्रवाई की मांग की। इसके साथ ही हाइड्रो इलेक्ट्रिक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष केहर सिंह, उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ के प्रमुख महासचिव प्रदीप कुमार कंसल, और उत्तराखंड बिजली ठेका कर्मचारी संगठन INTUC के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कवी ने भी घटना की निंदा करते हुए निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पांडे और प्रदेश महासचिव शक्ति प्रसाद भट्ट ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह घटना उत्तराखंड में प्रशासनिक व्यवस्था को चुनौती देती है और इस मामले में उच्च स्तरीय जांच और कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
कांग्रेस विधायक ममता राकेश ने की कार्रवाई की मांग
वहीं, कांग्रेस विधायक ममता राकेश ने भी सचिवालय में सचिव Meenakshi Sundaram के साथ हुई दुर्व्यवहार और हमले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इस संदर्भ में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की अपील की।
सचिवालय कर्मचारियों की सुरक्षा पर उठे सवाल
इस घटना ने सचिवालय कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर ऐसे जघन्य घटनाओं की सजा समय पर नहीं दी जाती है, तो यह कर्मचारियों के मनोबल को भी प्रभावित करेगा। इस घटनाक्रम ने सरकार और प्रशासन को अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए नए उपायों पर विचार करने को मजबूर कर दिया है।
उत्तराखंड सचिवालय में हुई इस घटना ने राज्यभर में प्रशासनिक तंत्र और कर्मचारियों के बीच असंतोष और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। IAS अधिकारियों से लेकर अन्य कर्मचारियों तक, सभी ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की है। यह घटना केवल प्रशासनिक कामकाज को प्रभावित नहीं करती, बल्कि राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। सरकार को इस मुद्दे पर तुरंत कदम उठाते हुए सभी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि इस तरह की घटनाओं से कर्मचारियों का विश्वास फिर से बहाल किया जा सके।