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Chhath Puja 2024: देवभूमि में महिलाओं ने रखा 36 घंटे का निर्जला व्रत, संतान की दीर्घायु के लिए डूबते सूर्य को अर्घ्य

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Chhath Puja 2024: देवभूमि में छठ पूजा का चार दिवसीय महापर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। संतान की सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना करते हुए श्रद्धालु सूर्य देव और छठी मैया की आराधना कर रहे हैं। पर्व के दूसरे दिन बुधवार को श्रद्धालुओं ने ‘खरना’ की पूजा संपन्न की और प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत की। व्रतधारियों ने सूर्यास्त के समय रसियाव खाकर इस कठिन व्रत को धारण किया।

आज, गुरुवार की शाम लगभग 5:30 बजे, छठ घाटों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना की जाएगी। छठ पूजा के लिए विभिन्न घाटों को रोशनी से सजाया गया है और बाजारों में पूजन सामग्री खरीदने वालों की भीड़ देखी गई।

Chhath Puja 2024: देवभूमि में महिलाओं ने रखा 36 घंटे का निर्जला व्रत, संतान की दीर्घायु के लिए डूबते सूर्य को अर्घ्य

मंगलवार से प्रारंभ हुआ चार दिवसीय महापर्व

चार दिवसीय छठ महापर्व मंगलवार से प्रारंभ हुआ, जिसमें श्रद्धालु सूर्य देव और छठी मैया की आराधना संतान की सुख-समृद्धि के लिए कर रहे हैं। देहरादून में कुल 22 छठ घाट बनाए गए हैं, जिनमें से तपकेश्वर, चंद्रबनी, रायपुर, केसारवाला, गुल्लरघाटी, सेलाकुई, हरबंसीवाला, रायपुर, मालदेवता, पुलिया नंबर-6, प्रेमनगर, पथरीबाग, और ब्रह्मपुरी छठ पार्क प्रमुख हैं।

बुधवार को खरना की पूजा की तैयारियां सुबह से ही शुरू हो गई थीं। सूर्यास्त के बाद मिट्टी और पीतल के बर्तनों में साठी के चावल से गुड़ और गाय के दूध मिलाकर खीर बनाई गई। भोग के लिए मिट्टी और तांबे के बर्तनों में रोटी बनाई गई। इसके बाद छठी मैया का आह्वान कर उन्हें भोग अर्पित किया गया। प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ हुआ।

बाजारों में उमड़ी खरीदारों की भीड़

पूजा सामग्री खरीदने के लिए पूरे दिन बाजारों में भीड़ रही। महिलाओं ने सहारनपुर चौक, हनुमान चौक जैसे स्थानों पर बांस की टोकरियाँ, दाल, दौरा, गन्ना, सिंघाड़ा, नारियल, हल्दी, पान के पत्ते, हरा अदरक, आदि सामग्री खरीदी। इसके अतिरिक्त प्रसाद के लिए दालें, लौकी और कद्दू की भी खरीदारी की गई।

दोपहर में लगा जाम, लोगों को हुई परेशानी

दोपहर के समय सहारनपुर चौक से लेकर झंडा बाजार, हनुमान चौक और सब्जी मंडी में खरीदारों की भारी भीड़ देखने को मिली। कई लोग अपने वाहन सड़क के किनारे बेतरतीब तरीके से पार्क कर गए, जिससे लंबे समय तक जाम की स्थिति बनी रही। इस जाम के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। स्कूल की छुट्टी के समय में भी बच्चों और उनके अभिभावकों को मुश्किल हुई। हालांकि, विभिन्न स्थानों पर तैनात पुलिसकर्मियों ने किसी तरह से जाम को हटाने का प्रयास किया।

छठ घाटों की सफाई और सुरक्षा प्रबंध

पूर्व सांस्कृतिक मंच द्वारा देहरादून के 18 अलग-अलग छठ घाटों की सफाई और पेंटिंग की गई है। मंच के संस्थापक महासचिव सुभाष झा ने बताया कि सभी घाटों पर व्यवस्था का दायित्व कार्यकर्ताओं को सौंपा गया है, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो। मंच की महिला टीम भी हर घाट पर मौजूद रहेगी। किसी भी आपात स्थिति से निपटने और तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए मंच ने पांच सदस्यीय नियंत्रण कक्ष की स्थापना की है। घाटों पर किसी भी स्वास्थ्य समस्या से निपटने के लिए दो डॉक्टर भी तैनात किए गए हैं, ताकि व्रती महिलाओं या अन्य लोगों को किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकता पड़ने पर तुरंत मदद मिल सके।

आज सूर्यास्त में दिया जाएगा अर्घ्य

आज छठ महापर्व के तीसरे दिन व्रती महिलाएं डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी। इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 5:30 बजे है, जबकि शुक्रवार को सूर्योदय का समय सुबह 6:22 बजे रहेगा। आचार्य डॉ. सुशांत राज के अनुसार, कई स्थानों पर घाटों पर सूर्यास्त और सूर्योदय जल्दी हो सकता है या मौसम के खराब होने के कारण दिखाई नहीं दे सकता। ऐसी स्थिति में श्रद्धालु मन में सूर्य देव का ध्यान कर अर्घ्य दे सकते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से व्रत रखने पर सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और परिवार पर छठी मैया और सूर्य देव का आशीर्वाद बना रहता है।

टीमों को सौंपी गई जिम्मेदारी

पूर्व सांस्कृतिक मंच की कार्यकारी अध्यक्ष लालीमा वर्मा ने वर्चुअल बैठक में छठ पूजा की तैयारियों की समीक्षा की। मंच की महिला, संचालन, सूचना, चिकित्सा, सहायता और सुरक्षा टीमों को जिम्मेदारी सौंपी गई। मंच के संस्थापक महासचिव सुभाष झा ने बताया कि आज महापर्व के तीसरे दिन षष्ठी को लगभग 1.5 से 2 लाख महिलाएं देहरादून के सभी घाटों पर, अपनी छतों पर और घरों में बने स्वयं निर्मित घाटों पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी और संतान के सुखी जीवन की कामना करेंगी।

इस प्रकार, छठ पूजा की तैयारियाँ और आयोजन की विस्तृत योजना के साथ देवभूमि में यह पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है, जिसमें न केवल श्रद्धालु बल्कि पूरे समाज का सहयोग शामिल है।

Manoj kumar

Editor-in-chief

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