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Uttarakhand: ई-बस चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण के लिए 30 करोड़ की प्राप्ति, दून-हरिद्वार में 150 बसें चलाने की योजना

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Uttarakhand: उत्तराखंड में प्रदूषण को कम करने और यातायात को सुगम बनाने के लिए प्रधानमंत्री ई-बस सेवा के तहत देहरादून और हरिद्वार में 150 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना बनाई गई है। इस योजना के तहत, केंद्र सरकार ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के माध्यम से 30 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की है, जो ई-बस चार्जिंग स्टेशनों और डिपो के निर्माण के लिए उपयोग की जाएगी।

ई-बस सेवा का महत्व

ई-बस सेवा को पर्यावरण के अनुकूल और सुगम यातायात का बेहतर विकल्प माना जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत, देहरादून में 100 और हरिद्वार में 50 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जाएगा। इन बसों के संचालन की जिम्मेदारी रोडवेज को सौंपी जाएगी, जो अन्य कार्यों के साथ-साथ एक कंपनी तैयार करने की प्रक्रिया में भी शामिल है।

चार्जिंग स्टेशनों और डिपो का विकास

मंत्रालय द्वारा जारी किए गए फंड का उपयोग करते हुए, देहरादून और हरिद्वार में ई-बसों के लिए चार्जिंग स्टेशनों और डिपो का विकास किया जाएगा। परिवहन अधिकारियों के अनुसार, इन स्थानों की पहचान कर ली गई है।

  • देहरादून में ट्रांसपोर्ट नगर में एक डिपो का निर्माण किया जाएगा।
  • हरिद्वार में, कार्यशाला के पास एक डिपो बनाने की योजना है।

प्रक्रिया की प्रगति

परिवहन सचिव बृजेश कुमार संत ने बताया कि डिपो और चार्जिंग स्टेशनों के स्थान को चिन्हित करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और इसके लिए फंड भी प्राप्त हो चुके हैं। अब इन स्थलों पर निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी की जा रही है।

Uttarakhand: ई-बस चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण के लिए 30 करोड़ की प्राप्ति, दून-हरिद्वार में 150 बसें चलाने की योजना

स्थानीय परिवहन व्यवस्था पर प्रभाव

इस योजना के लागू होने से न केवल दून और हरिद्वार में परिवहन व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि इससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर मिलेंगे। ई-बसों के संचालन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि यह एक स्वच्छ और सुरक्षित परिवहन विकल्प प्रदान करेगा।

चुनौती और अवसर

हालांकि, इस परियोजना के साथ कुछ चुनौतियाँ भी हैं। रोडवेज को ई-बसों के संचालन के लिए तकनीकी और मानव संसाधन तैयार करने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, स्थानीय निवासियों को ई-बसों के उपयोग के प्रति जागरूक करना भी आवश्यक है ताकि वे इस परिवहन विकल्प को अपनाएँ।

पर्यावरणीय लाभ

ई-बस सेवा का सबसे बड़ा लाभ पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव है। इलेक्ट्रिक बसों के उपयोग से वायु प्रदूषण में कमी आएगी और शहरी क्षेत्रों में ट्रैफिक जाम की समस्या भी हल होगी। इसके अलावा, यह योजना राज्य में स्मार्ट सिटी विकास के लक्ष्यों के साथ भी मेल खाती है।

इस प्रकार, उत्तराखंड में ई-बस सेवा के संचालन की योजना एक नई दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार के इस प्रयास से न केवल पर्यावरण का संरक्षण होगा, बल्कि स्थानीय परिवहन व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। इससे जुड़े सभी कार्य समय पर पूरे होने चाहिए, ताकि इस योजना का लाभ जल्द से जल्द आम जनता तक पहुँच सके।

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