Uttarakhand: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गोवर्धन सरस्वती विद्या मंदिर में 10वीं-12वीं बोर्ड के टॉप-10 छात्रों को किया सम्मानित

Uttarakhand: देहरादून के गोवर्धन सरस्वती विद्या मंदिर में रविवार को एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर उन्होंने उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में 10वीं और 12वीं कक्षा में शीर्ष 10 स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को सम्मानित किया। साथ ही, मुख्यमंत्री ने गोवर्धन सरस्वती विद्या मंदिर के नए भवन निर्माण के लिए 60 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने की घोषणा की।
विद्या भारती की सराहना
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि स्वतंत्रता के बाद से ही विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान निरंतर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ भारतीय मूल्यों और संस्कृति से युवाओं को परिचित कराने के लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि विद्या भारती के द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिर और विद्या मंदिर आज देश के हर कोने में हमारे भविष्य के नेताओं को संस्कारित करने का कार्य कर रहे हैं। इन विद्यालयों का उद्देश्य केवल पुस्तकीय ज्ञान देना नहीं है, बल्कि बच्चों को योग्य नागरिक बनाना है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन विद्यालयों में छात्रों को देशभक्ति, स्वदेशी सोच, सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण और समसामयिक महत्वपूर्ण विषयों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। ऐसे शिक्षा केंद्रों का मुख्य उद्देश्य बच्चों को एक बेहतर समाज की नींव रखने के लिए तैयार करना है।
उत्तराखंड में विद्या भारती की महत्वपूर्ण भूमिका
मुख्यमंत्री ने अपने भाषण में बताया कि उत्तराखंड में विद्या भारती द्वारा 500 से अधिक स्कूल चलाए जा रहे हैं, जिनमें एक लाख से अधिक छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इसके साथ ही राज्य के आदिवासी बहुल और सीमावर्ती इलाकों में भी विद्या भारती ने सैकड़ों स्कूल खोले हैं, जहाँ उन इलाकों के बच्चों को शिक्षा मिल रही है। उन्होंने खुशी जताई कि भारत सरकार ने विद्या भारती के सात स्कूलों को सैनिक स्कूल के रूप में स्थापित करने के लिए चुना है।
राज्य में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे परिवर्तन
मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि राज्य के सरकारी स्कूलों में बड़ी संख्या में स्मार्ट क्लासेज की स्थापना की जा रही है, जिससे छात्रों को आधुनिक शिक्षा पद्धतियों से परिचित कराया जा सके। सरकार ने कक्षा एक से 12वीं तक के छात्रों के लिए मुफ्त पाठ्यपुस्तकों की व्यवस्था की है, जबकि कक्षा एक से आठ तक के छात्रों को किताबों के साथ बैग और जूते भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री मेधावी छात्र प्रोत्साहन योजना के तहत हजारों मेधावी छात्रों को हर महीने छात्रवृत्ति भी दी जा रही है, ताकि उनकी शिक्षा में किसी प्रकार की रुकावट न हो। इसके अलावा, कक्षा नौ में प्रवेश लेने वाली छात्राओं को साइकिल भी प्रदान की जा रही है, ताकि उनकी शिक्षा की राह आसान हो सके। राज्य सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि राज्य के हर विकासखंड से हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के 5-5 टॉपर्स को भारत भ्रमण पर भेजा जाएगा, जिससे उन्हें देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को समझने का अवसर मिलेगा।
हिन्दू अध्ययन केंद्र की स्थापना
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर यह भी घोषणा की कि राज्य के प्रतिष्ठित दून विश्वविद्यालय में हिन्दू अध्ययन केंद्र की स्थापना की जाएगी। इस केंद्र का उद्देश्य छात्रों को भारतीय संस्कृति, धर्म और समाज के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराना होगा। यह निर्णय राज्य सरकार की ओर से लिया गया है ताकि छात्रों को भारतीय परंपराओं और संस्कृतियों के प्रति जागरूक किया जा सके।
शिक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा
कार्यक्रम के दौरान शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी छात्रों को बधाई दी और कहा कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में बेहतरी के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि सरकार शिक्षा में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए कई नई योजनाएं शुरू कर रही है, ताकि राज्य के छात्रों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिल सके। शिक्षा मंत्री ने छात्रों को मेहनत और लगन से पढ़ाई करने की प्रेरणा दी और कहा कि सरकार उनकी शिक्षा और विकास के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
कार्यक्रम में प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में विधायक उमेश शर्मा काऊ, उत्तराखंड के राज्य प्रचारक डॉ. शैलेन्द्र, भारतीय शिक्षा समिति के मंत्री डॉ. रजनीकांत शुक्ला, शिशु शिक्षा समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र मित्तल सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। सभी ने कार्यक्रम की सराहना की और छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
अंत में
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह कदम राज्य में शिक्षा को और भी बेहतर बनाने के दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। विद्या भारती के छात्रों को सम्मानित करने से राज्य के अन्य छात्रों में भी शिक्षा के प्रति उत्साह बढ़ेगा और वे भी बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित होंगे। राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे ये कदम यह दर्शाते हैं कि शिक्षा को राज्य की प्राथमिकताओं में सर्वोपरि रखा गया है, जिससे राज्य का भविष्य उज्ज्वल और सुरक्षित हो सके।
कार्यक्रम के माध्यम से यह भी साफ हुआ कि उत्तराखंड सरकार केवल पारंपरिक शिक्षा पर नहीं, बल्कि छात्रों को संस्कारों और भारतीय मूल्यों के साथ जोड़ने पर भी विशेष ध्यान दे रही है।