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Uttarakhand: मुख्यमंत्री धामी ने बापू और पूर्व पीएम की जयंती पर दी श्रद्धांजलि

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Uttarakhand: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। यह अवसर मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास पर आयोजित किया गया, जहां उन्होंने महात्मा गांधी को याद किया, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी, और देश के दूसरे प्रधानमंत्री शास्त्री जी को भी सम्मानित किया, जिन्होंने ‘जय जवान – जय किसान’ का उद्घोष किया।

इस कार्यक्रम में मुख्य सचिव राधा रतूरी ने भी सचिवालय में महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की तस्वीर पर माला चढ़ाई और भावुक होकर उन्हें याद किया। इस अवसर पर भारतखंडे संगीत महाविद्यालय के छात्रों द्वारा गांधी जी की प्रिय भजन “वैष्णव जन तो…” गाया गया।

Uttarakhand: मुख्यमंत्री धामी ने बापू और पूर्व पीएम की जयंती पर दी श्रद्धांजलि

मुख्य सचिव राधा रतूरी ने अपने संबोधन में कहा कि इस दिन हम हर साल इन दो महान नेताओं को याद करते हैं। उन्होंने कहा कि “वैष्णव जन” भजन में जीवन के कई मानव मूल्यों को बनाए रखने की प्रेरणा है। गांधी जी के विचार और सिद्धांत आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं।

महात्मा गांधी का योगदान

महात्मा गांधी, जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है, ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों के माध्यम से स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। गांधी जी का मानना था कि सच्चाई और मानवता की सेवा सबसे महत्वपूर्ण हैं। उनके नेतृत्व में भारतीय जनता ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाई।

गांधी जी का जीवन और उनके विचार हमें प्रेरित करते हैं कि हम सत्य, अहिंसा और प्रेम के मार्ग पर चलें। उन्होंने यह सिखाया कि किस प्रकार समाज में बदलाव लाने के लिए हमें अपने अंदर के मूल्य और नैतिकता को कायम रखना चाहिए।

लाल बहादुर शास्त्री का योगदान

पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, जिन्होंने “जय जवान – जय किसान” का नारा दिया, का योगदान भी अति महत्वपूर्ण है। शास्त्री जी ने अपने कार्यकाल के दौरान देश के विकास में महत्त्वपूर्ण कदम उठाए और संकट के समय में साहसिक निर्णय लिए।

शास्त्री जी की नीतियों ने कृषि और रक्षा दोनों क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित किया। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि कैसे एक नेता को अपने देश और जनता के प्रति वफादार रहना चाहिए।

महात्मा गांधी की सोच और सिद्धांत

महात्मा गांधी का जीवन सत्य और सेवा का उदाहरण है। उन्होंने हमेशा मानवता की भलाई के लिए काम किया और समाज में व्याप्त बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाई। उनका सिद्धांत “सत्याग्रह” न केवल राजनीतिक आंदोलन का एक तरीका था, बल्कि यह जीवन का एक सिद्धांत भी था।

गांधी जी का कहना था कि “अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है।” यह विचार हमें आज भी प्रेरित करता है, विशेषकर जब हम समाज में नफरत और हिंसा का सामना कर रहे हैं।

आज की आवश्यकता

आज, जब हम महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मना रहे हैं, हमें उनकी शिक्षाओं को अपनाने की आवश्यकता है। हमें अपने जीवन में सत्य, अहिंसा और सेवा को प्राथमिकता देनी चाहिए। केवल इसी तरह हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री धामी और मुख्य सचिव राधा रतूरी के इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम ने हमें यह याद दिलाया कि हमें अपने महान नेताओं की विचारधाराओं को जीवित रखना है।

सारांश

महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देना न केवल एक परंपरा है, बल्कि यह एक अवसर है हमें उनके सिद्धांतों और विचारों पर विचार करने का। हमें उनकी शिक्षाओं को अपनाते हुए अपने समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित होना चाहिए।

हमारे नेताओं ने हमें जो मार्गदर्शन दिया है, उसे हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। उनके जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चाई, सेवा और प्यार ही मानवता का असली धर्म है। इस प्रकार, हमें अपने जीवन में इन मूल्यों को अपनाना चाहिए ताकि हम अपने समाज को एक बेहतर दिशा में आगे बढ़ा सकें।

हम सबको चाहिए कि हम महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के विचारों को अपने जीवन में उतारें और अपने समाज को सशक्त बनाएं। उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम उनके दिखाए मार्ग पर चलकर अपने समाज में सकारात्मक बदलाव लाएंगे।

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