Dehradun: शादी न करने पर महिला को दी गई जान से मारने की धमकी, प्रधान के पति समेत पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
Dehradun: देहरादून के जीवानगढ़ गांव की एक महिला ने प्रधान के पति समेत पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। आरोप है कि ये लोग उसके बेटे को जबरन एक नाबालिग लड़की से शादी करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इस विरोध पर उसे और उसके बेटे को जान से मारने की धमकी दी जा रही है।
घटना की पृष्ठभूमि
जीवानगढ़ की निवासी हसीना, जो वार्ड नंबर सात में रहती हैं, ने पुलिस में एक लिखित शिकायत दी है। उन्होंने बताया कि गांव के मुस्तफा, अनीस, युनुस, नफीस (सालिम के बेटे) और गांव के प्रधान सारा साहीुल के पति सुहैल पाशा उनके बेटे को एक 14 वर्षीय लड़की से शादी करने के लिए दबाव बना रहे हैं। हसीना का कहना है कि इस शादी के लिए उन पर लगातार दबाव डाला जा रहा है।
धमकियाँ और भय
हसीना ने पुलिस को बताया कि यदि उन्होंने इस शादी के लिए सहमति नहीं दी, तो उन्हें और उनके बेटे को जान से मारने की धमकी दी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका बेटा पहले से ही सात महीने पहले शादी कर चुका है, फिर भी यह दबाव बनाना जारी है। हसीना की इस स्थिति ने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे गांव में चिंता की लहर दौड़ा दी है।
पुलिस की कार्रवाई
कोटवाली इंचार्ज राजेश शाह ने बताया कि इस मामले में शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
समाज में प्रभाव
इस मामले ने स्थानीय समाज में महिलाओं के अधिकारों और सम्मान की सुरक्षा पर सवाल उठाया है। जबरन शादी का यह प्रयास न केवल हसीना और उनके बेटे के लिए एक गंभीर समस्या है, बल्कि यह समाज में महिलाओं के प्रति हिंसा और भेदभाव को भी दर्शाता है। ऐसे मामलों में पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे महिलाओं को सुरक्षित महसूस कराएं और उन्हें अपनी आवाज उठाने का मौका दें।
कानूनी पहलू
भारतीय कानून के तहत, नाबालिगों से विवाह करना अवैध है और यह एक गंभीर अपराध है। ऐसी स्थिति में जब किसी लड़की को जबरन शादी के लिए मजबूर किया जाता है, तो यह न केवल उसके अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह उसके भविष्य के लिए भी खतरा है। इस मामले में पुलिस को सख्त से सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
सामुदायिक जागरूकता
इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, यह आवश्यक है कि स्थानीय समुदाय में जागरूकता बढ़ाई जाए। ग्रामीणों को यह समझाने की आवश्यकता है कि जबरन शादी न केवल एक सामाजिक अपराध है, बल्कि यह कानून का भी उल्लंघन है। इसके लिए सामुदायिक संगठनों और स्थानीय प्रशासन को मिलकर काम करना चाहिए ताकि महिलाओं और बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।