Dowry harassment: ससुराल वालों की क्रूरता से विवाहिता की मौत, गले में फंदा डालकर की मारपीट
Dowry harassment: गौतम बुद्ध नगर के नोएडा में एक विवाहिता की दहेज के लिए उत्पीड़न के चलते मौत हो गई। महिला ने 40 दिन तक एक निजी अस्पताल में इलाज कराने के बाद शुक्रवार की शाम अंतिम सांस ली। इस मामले में अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनीष कुमार मिश्रा ने कहा कि संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए एक टीम का गठन किया गया है। महिला की मौत के बाद उनके परिवार के सदस्यों ने अस्पताल में हंगामा किया, और पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। हालांकि, पुलिस ने समझा-बुझाकर लोगों को शांत किया।
परिवार का आरोप
परिवार के सदस्यों का आरोप है कि इस मामले में 10 अगस्त को ससुराल पक्ष के छह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था, लेकिन पुलिस ने अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया है। इस मामले को लेकर परिवार ने बृहस्पतिवार को सहायक पुलिस आयुक्त से मुलाकात की और कार्रवाई की मांग की।
शादी का इतिहास
महिला, नैना, की शादी 2018 में वरुण, जो कि महेंद्र का पुत्र है, के साथ हुई थी। नैना के भाई दीपक ने पुलिस स्टेशन सेक्टर 113 में 10 अगस्त को रिपोर्ट दर्ज कराई थी। दीपक का कहना है कि उनकी परिवार ने शादी पर 25 लाख रुपये खर्च किए। दीपक का आरोप है कि शादी के बाद से ही नैना के ससुराल वाले अतिरिक्त दहेज की मांग कर रहे थे। जब दहेज की मांग पूरी नहीं हुई, तो 10 अगस्त को नैना के ससुराल वालों ने उसे पीट दिया। दीपक ने कहा कि नैना के सिर पर गंभीर चोट आई, जिसके चलते वह बेहोश हो गई।
हत्या का प्रयास
दीपक का आरोप है कि नैना के पति वरुण ने उसे गला घोंटकर मारने का प्रयास किया और उसके ससुराल वाले भी उसे पीटते रहे। जब दीपक को इस घटना की सूचना मिली, तो वह हापुर से नोएडा आया और पता चला कि उसकी बहन को सेक्टर 62 स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दीपक ने आरोप लगाया कि जब दहेज की मांग पूरी नहीं हुई, तो नैना को उसके पति वरुण, सास, ससुर महेंद्र, ननद अंचल, देवर पवन, और मामा देवेंद्र ने पीटा और उसे मारने का प्रयास किया।
पुलिस की लापरवाही
परिवार ने आरोप लगाया कि पुलिस की लापरवाही के कारण आरोपी स्वतंत्र घूम रहे हैं। दीपक का कहना है कि शुक्रवार की शाम को उसकी बहन का इलाज के दौरान निधन हो गया। इस घटना ने समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ उठने वाली आवाजों को फिर से तेज कर दिया है। दहेज के लिए महिलाओं के उत्पीड़न की घटनाएं अब आम होती जा रही हैं, और यह एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बन गया है।
दहेज प्रथा का सामाजिक प्रभाव
भारत में दहेज प्रथा का सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव गहरा है। यह केवल एक व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि समाज के ताने-बाने को प्रभावित करने वाली एक गंभीर चुनौती है। महिलाएं इस प्रथा के चलते मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न का शिकार होती हैं। यह स्थिति न केवल महिलाओं की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि समाज में समानता और मानवाधिकारों के लिए भी एक बड़ी चुनौती है।
समाज का जिम्मेदारी लेना
इस प्रकार की घटनाएं समाज के लिए एक चेतावनी हैं। सभी को इस समस्या के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूकता फैलानी चाहिए। समाज को यह समझना होगा कि दहेज केवल एक वित्तीय लेन-देन नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन है। हमें इस प्रथा को खत्म करने के लिए मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
सरकारी कदम
सरकार ने दहेज प्रथा के खिलाफ कई कानून बनाए हैं, लेकिन इन कानूनों के सही कार्यान्वयन की आवश्यकता है। समाज को चाहिए कि वह इन कानूनों का पालन कराए और दहेज प्रथा के खिलाफ सख्त कदम उठाए। यह जरूरी है कि हम एक ऐसा समाज बनाएं जहाँ महिलाएं सुरक्षित और सम्मानित महसूस करें।