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Kotdwar: बाघ का 7 वर्षीय बच्चे पर जानलेवा हमला, चाचा ने बचाई जान

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Kotdwar में एक दिल दहला देने वाली घटना में, एक बाघ ने सात वर्षीय बच्चे, कार्तिक कुमार पर हमला कर दिया। यह घटना पौड़ी विकास ब्लॉक के गांव थंगर पो बड़ियूं में सुबह सात बजे हुई। बच्चे के चाचा, कुलदीप ने उसे बाघ के चंगुल से बचाया। कार्तिक को प्राथमिक उपचार के बाद AIIMS ऋषिकेश रेफर किया गया है, जहां उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

Kotdwar: बाघ का 7 वर्षीय बच्चे पर जानलेवा हमला, चाचा ने बचाई जान

घटना का विवरण

शनिवार की सुबह, कार्तिक और उसकी चार वर्षीय बहन, महिमा, घर के बाहर शौच करने गए थे। अचानक, एक बाघ ने कार्तिक पर हमला कर दिया। उस समय घर में कार्तिक का पिता, मोहन सिंह, नहीं थे। मोहन सिंह दैनिक मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं और उनके पास घर में शौचालय नहीं है, जिसके कारण उन्हें घर से बाहर जाना पड़ता है।

चाचा की बहादुरी

जैसे ही बाघ ने कार्तिक पर हमला किया, कुलदीप ने तत्परता से प्रतिक्रिया दी और अपने भतीजे को बचाने के लिए दौड़ पड़े। यह न केवल एक अद्भुत साहस था, बल्कि परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण भी था। कुलदीप की इस बहादुरी के बिना, स्थिति और भी भयानक हो सकती थी।

क्षेत्र में आतंक का माहौल

इस घटना के बाद, क्षेत्र में भय का माहौल बन गया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्हें लगातार बाघों के हमलों का सामना करना पड़ रहा है। बाघ की उपस्थिति से लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और उन्होंने वन विभाग से अपील की है कि बाघ को पकड़ने के लिए जाल लगाएं।

वन विभाग पर सवाल

स्थानीय लोगों का आरोप है कि वन विभाग बाघों को पकड़कर उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर छोड़ता है, जिससे बाघ विभिन्न स्थानों पर जानलेवा हमले करते हैं। यह तरीका न केवल बाघों के लिए बल्कि इंसानों के लिए भी खतरनाक साबित हो रहा है। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या वन विभाग के पास इन जानवरों की सुरक्षा और मानव सुरक्षा के लिए कोई ठोस योजना है।

सरकारी मदद की आवश्यकता

बच्चे की स्थिति गंभीर है और उसकी तुरंत चिकित्सा सहायता की आवश्यकता है। स्थानीय निवासियों ने सरकार से मांग की है कि बाघ के हमलों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। इसके साथ ही, उन्हें इस प्रकार की घटनाओं से बचाने के लिए सुरक्षा उपायों को भी लागू किया जाए।

घटना की सामाजिक और पारिस्थितिकी पहलू

यह घटना न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामुदायिक स्तर पर भी चिंताजनक है। वन्यजीवों और मानवों के बीच बढ़ती टकराव की घटनाएं एक गंभीर समस्या बन चुकी हैं। ऐसे में, वन्यजीव संरक्षण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।

निवारक उपाय

स्थानीय निवासियों का मानना है कि यदि इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो भविष्य में और भी जानलेवा हमले हो सकते हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि वन विभाग स्थायी समाधान निकाले, जैसे कि बाघों की जनसंख्या का प्रबंधन, बाघों के प्रवास मार्गों का अध्ययन, और जन जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन।

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