Snowfall in Uttarakhand: सितंबर में ही पंचाचूली पर्वत की तलहटी बर्फ से ढकी
Snowfall in Uttarakhand: उत्तराखंड में लगातार बारिश ने हिमपात को बढ़ा दिया है। सितंबर महीने में ही चार हजार फीट ऊँचाई तक बर्फ पहुंच गई है। बुधवार को पंचाचूली पर्वत की तलहटी भी बर्फ से ढक गई। सामान्यत: इस क्षेत्र में बर्फबारी नवंबर के पहले सप्ताह में होती है, लेकिन इस साल सितंबर में ही बर्फबारी शुरू हो गई है। मुनस्यारी के ऊँचे चोटियों पर पिछले एक सप्ताह से बर्फबारी हो रही है। पंचाचूली , हंसलिंग, राजरंभा जैसी छह हजार पाँच सौ फीट ऊँची चोटियाँ बर्फ से ढकी हुई हैं।
पंचाचूली की तलहटी पर बर्फ
पंचाचूली की तलहटी, जो चार हजार फीट की ऊँचाई पर स्थित है, मंगलवार रात से बर्फ से ढक गई। आमतौर पर नवंबर में ही यहाँ बर्फ पहुंचती है, लेकिन इस साल सितंबर में ही बर्फबारी हुई है। स्थानीय निवासी वीरेंद्र सिंह का कहना है कि सितंबर में ही बर्फबारी शुरू होने के कारण इस साल अच्छी बर्फबारी की उम्मीद है।
पिछले साल मुनस्यारी के बेटुलीधर, खालियातप जैसे क्षेत्रों में बर्फबारी जनवरी के मध्य के बाद शुरू हुई थी। बुधवार को फिर से ऊँची चोटियों पर बर्फबारी हुई। रात को तहसील मुख्यालय में भारी बारिश हुई। बारिश के बाद मुनस्यारी में ठंड बढ़ गई है। लोगों को सुबह और शाम को गर्म कपड़े पहनने पड़ रहे हैं। मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण लोगों को सर्दी, खांसी और बुखार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
थल-सत्शिलिंग मोटर रोड 14वें दिन खुला
थल-सत्शिलिंग सड़क, जो जिले के मुख्यालय पिथोरागढ़ को जोड़ती है, 14वें दिन खुल गई है। सड़क के खुलने से यातायात व्यवस्था सुचारू हो गई है। दो हफ्ते बाद सड़क खुलने पर लोगों ने राहत की सांस ली। 4 सितंबर को सुबह 10:30 बजे, 100 मीटर थल-सत्शिलिंग सड़क ढह गई और रामगंगा नदी में गिर गई। इसके कारण सड़क पर यातायात पूरी तरह से ठप हो गया। इस सड़क के बंद हो जाने के कारण थल, मुवानी, मुनस्यारी, तेजाम, बरीनगर, पंखू, बंसबगड, धर्मघर, किटी, बर्थी, गिनी बैंड जैसे दर्जनों कस्बों का जिला मुख्यालय से संपर्क कट गया था। वाहनों को 20 किलोमीटर अतिरिक्त यात्रा करनी पड़ी।
इस खतरनाक स्थिति की सड़क को खोलना पीडब्ल्यूडी पिथोरागढ़ के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई थी। विभाग के जेई मुकेश जुकरिया और ठेकेदार ने सड़क की स्थिति पर हर दिन सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक नजर रखी। इसके परिणामस्वरूप सड़क को दो हफ्ते बाद मंगलवार को दोपहर 2 बजे खोला गया। सड़क को दोपहिया वाहनों, जीपों, पिकअप और टिपर्स के लिए खोला गया है। अभी, बाएं तरफ की हल्की चढ़ाई के कारण वाहनों को पार करने में कठिनाई हो रही है, जबकि दाएं तरफ की ढलान के कारण वाहनों की आवाजाही सुचारू है, लेकिन सड़क पर अभी भी खतरा बना हुआ है।
नागिमल मंदिर की पहाड़ी से landslide की वजह से सड़क पर बड़े-बड़े पत्थर दिखाई दे रहे हैं। इन पत्थरों के गिरने की संभावना है। सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद उपाध्याय ने सड़क के ऊपर लैंडस्लाइड स्थल पर आधे झुके हुए पेड़ों को हटाने और सड़क के दोनों तरफ चेतावनी बोर्ड लगाने की मांग की है।