Supreme Court order: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश भर में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि अगर किसी भी अवैध निर्माण को तोड़ने का मामला सामने आता है, तो यह संविधान के मूल्यों के खिलाफ है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बावजूद, यदि कुछ शर्तों का उल्लंघन होता है, तो सरकार आपके निर्माण पर बुलडोजर चला सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और उसकी शर्तें
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस बीआर गवाई और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे, ने बुलडोजर कार्रवाई पर सुनवाई की। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि उनका आदेश उन मामलों पर लागू नहीं होगा जहां सार्वजनिक सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइनों और जलाशयों पर अतिक्रमण किया गया है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी ने इन स्थानों पर अतिक्रमण किया है, तो सरकार उन पर बुलडोजर कार्रवाई कर सकती है।
सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके आदेश का अनुपालन उन अवैध निर्माणों पर नहीं होगा जो सार्वजनिक स्थानों पर किए गए हैं। इनमें सार्वजनिक सड़कें, फुटपाथ, रेलवे लाइन्स और जलाशय शामिल हैं। ये स्थान सार्वजनिक उपयोग के लिए होते हैं और किसी भी प्रकार के अतिक्रमण के लिए इनका उपयोग नहीं किया जा सकता। अगर किसी ने इन स्थानों पर निर्माण या अतिक्रमण किया है, तो संबंधित सरकारी एजेंसियां इस पर कार्रवाई कर सकती हैं।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश कैसे लागू होगा?
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश विशेष रूप से उन मामलों के लिए है जहां निजी संपत्तियों या आवासीय क्षेत्रों में अवैध निर्माण की स्थिति है। अगर किसी ने सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण किया है, तो सरकार को इसकी अनुमति होगी कि वह बुलडोजर की कार्रवाई करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी निर्माण पर या किसी अतिक्रमण पर कोर्ट के आदेश से पहले कार्रवाई की गई है, तो यह आदेश लागू नहीं होगा।
क्यों जरूरी है यह आदेश?
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश इसलिए जारी किया गया है ताकि संविधान के मूल्यों की रक्षा की जा सके और लोगों की संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। अवैध निर्माणों और अतिक्रमणों को रोकने के लिए यह आदेश जरूरी था ताकि कहीं पर भी गलत तरीके से बनी संरचनाएं लोगों के लिए समस्या न बन सकें। हालांकि, सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण से संबंधित मामलों में सरकार को कार्रवाई की अनुमति दी गई है ताकि इन स्थानों को ठीक किया जा सके।
सरकारी कार्रवाइयों पर प्रभाव
इस आदेश के बाद, सरकारी एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करें और केवल उन स्थानों पर ही बुलडोजर की कार्रवाई करें जहां कोर्ट के आदेश के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है। अगर सरकारी अधिकारी किसी भी सार्वजनिक स्थान पर अवैध निर्माण की स्थिति को देखते हैं, तो उन्हें इस पर कार्रवाई करने का पूरा अधिकार होगा।
नागरिकों के अधिकार और सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि किसी भी नागरिक की संपत्ति को बिना किसी उचित प्रक्रिया के न तोड़ा जाए। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि किसी भी अवैध निर्माण को केवल तब तोड़ा जा सकता है जब वह सार्वजनिक स्थान पर न हो और यदि सरकार को यह सुनिश्चित करना है कि यह आदेश पूरी तरह से लागू हो रहा है, तो उन्हें इस आदेश का पालन करना होगा।