NH-74 Scam: 15 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में मुख्य आरोपी और सात किसान, अगली सुनवाई 13 नवंबर को
NH-74 Scam: उत्तराखंड में चर्चित राष्ट्रीय राजमार्ग-74 (NH-74) घोटाले में एक नया मोड़ आया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मुख्य आरोपी पीसीएस अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह और सात किसानों पर 15 करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया है। विशेष अदालत ने शुक्रवार को आरोप पत्र को स्वीकार कर लिया और मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को निर्धारित की गई है। यह घोटाला मार्च 2017 में उजागर हुआ था और इसे उत्तराखंड का सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है।
घोटाले का संक्षिप्त परिचय
एनएच-74 घोटाले में आरोपितों पर 15 करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया है। इस मामले में पीसीएस अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह और सात किसान आरोपी हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस घोटाले की जांच की और कई किसानों की संपत्तियों को अटैच कर दिया है। इस घोटाले की शुरुआत मार्च 2017 में हुई थी और इसे उत्तराखंड के सबसे बड़े घोटालों में से एक माना जाता है।
मामला और जांच की शुरुआत
एनएच-74 घोटाले का खुलासा मार्च 2017 में हुआ था। यह मामला तब सामने आया जब तत्कालीन एडीएम प्रवीण शाह ने एनएचएआई के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सिडकुल थाने में केस दर्ज कराया। इसमें तब के एसडीएम, तहसीलदार और सात तहसीलों के कर्मचारियों को भी शामिल किया गया। त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था।
जांच की प्रक्रिया और सजा
जांच के दौरान, दो आईएएस और पांच पीसीएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया, और 30 से अधिक अधिकारी, कर्मचारी और किसान जेल गए। पीसीएस अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह, जो इस घोटाले के प्रमुख आरोपी थे, एक साल से अधिक समय तक जेल में रहे।
सरकार की जांच के दौरान, यह घोटाला 400 करोड़ रुपये से अधिक का पाया गया। एसआईटी ने आरोप पत्र दाखिल किया और कई अधिकारियों और किसानों पर आरोप लगाए, जिनमें पीसीएस अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह भी शामिल हैं। इन किसानों में कई पंजाब से हैं।
प्रवर्तन निदेशालय की भूमिका
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस घोटाले की जांच में सक्रिय भूमिका निभाई और अधिकारियों और किसानों की करोड़ों रुपये की संपत्तियों को अटैच कर दिया। इस मामले की जांच तीन साल तक चली और 10 सितंबर को ED ने पीसीएस अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह, किसान जिशान अहमद, सुधीर चावला, अजमेर सिंह, गुरवैल सिंह, सुखवंत सिंह, सुखदेव सिंह और सतनाम सिंह के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की कार्रवाई
विशेष अदालत ने शुक्रवार को आरोप पत्र को स्वीकार कर लिया और मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को निर्धारित की गई है। यह मामला उत्तराखंड में प्रशासनिक भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ एक महत्वपूर्ण उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है।
इस घोटाले की सुनवाई और जांच की प्रक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि उत्तराखंड की प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखना कितना आवश्यक है। प्रवर्तन निदेशालय और विशेष अदालत की कार्रवाई इस बात का संकेत है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई भी दया नहीं दिखाई जाएगी और दोषियों को सख्त सजा दी जाएगी।
समापन
एनएच-74 घोटाला उत्तराखंड की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है। यह घोटाला दर्शाता है कि शासन और प्रशासन में पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखना कितना आवश्यक है। प्रवर्तन निदेशालय और विशेष अदालत की कार्रवाई इस बात का संकेत है कि किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे। आने वाले दिनों में इस मामले की सुनवाई और जांच का परिणाम उत्तराखंड में प्रशासनिक सुधार और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।