Dehradun में स्कूल वाहनों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों और यौन उत्पीड़न की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए प्रशासन ने अब सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। हाल ही में हुई एक घटना, जिसमें एक स्कूल वैन के ड्राइवर द्वारा छात्रा के साथ छेड़छाड़ का मामला सामने आया था, ने प्रशासन को मजबूर किया कि वह स्कूल वाहनों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीरता से विचार करे। इस संदर्भ में परिवहन सचिव ब्रजेश कुमार संत ने तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए हैं और सभी स्कूल वैन ऑपरेटरों की एक बैठक बुलाई गई है, जहां ड्राइवरों का सत्यापन किया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स का पालन हो।
घटना का संज्ञान और प्रशासन की सख्ती
Dehradun के पटेल नगर थाने क्षेत्र में एक छात्रा के साथ स्कूल वैन में हुई छेड़छाड़ की घटना के बाद प्रशासन ने स्कूल वाहनों में सुरक्षा को लेकर गंभीरता दिखाई है। इस घटना के बाद परिवहन सचिव ने आरटीओ को निर्देश दिया है कि सभी स्कूल वाहन चालकों और कंडक्टरों का सत्यापन कराया जाए। इसके तहत स्कूल वाहनों के चालकों और कंडक्टरों के आपराधिक इतिहास की जानकारी और उनके चरित्र का सत्यापन किया जाएगा।
इस प्रक्रिया के तहत, आरटीओ (प्रवर्तन) शैलेश तिवारी ने सभी स्कूल वैन ऑपरेटरों की आज बैठक बुलाई है, जिसमें ड्राइवरों का सत्यापन किया जाएगा। सत्यापन के दौरान, ड्राइवर के नाम, पता, मोबाइल नंबर, और लाइसेंस के साथ उनके दस्तावेजों की जांच होगी। साथ ही, ड्राइवरों को आवश्यक परामर्श भी दिया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स का पालन अनिवार्य
सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्कूल वाहनों और उनके चालकों के लिए 14 नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन 100 प्रतिशत किया जाएगा। इन नियमों के अनुसार, यदि किसी ड्राइवर पर ओवरस्पीडिंग, शराब पीकर गाड़ी चलाने या खतरनाक ड्राइविंग के लिए एक बार भी चालान हुआ है, तो उसे स्कूल वाहन चलाने से हटा दिया जाएगा। इसके अलावा, यदि किसी ड्राइवर का दो बार रेड लाइट जंप करने के लिए चालान हुआ है, तो उसे स्कूल वाहन चलाने के लिए अयोग्य माना जाएगा।
इसके साथ ही, स्कूल वाहनों में कनिष्ठ कंडक्टर की उपस्थिति अनिवार्य होगी और यदि छात्राओं को वाहन से ले जाया जा रहा है, तो महिला सहायक की उपस्थिति भी जरूरी होगी। स्कूल बसों की गति नियंत्रक (स्पीड गवर्नर) का होना आवश्यक है और दरवाजों को बंद रखने का प्रावधान भी अनिवार्य किया गया है।
स्कूलों में भी होगा सर्वेक्षण
बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अब परिवहन विभाग स्कूलों में भी जाकर उनकी ट्रांसपोर्ट सुविधाओं का सर्वे करेगा। आरटीओ के अनुसार, यह देखा जाएगा कि बच्चे किस प्रकार के वाहनों से स्कूल आ रहे हैं—स्कूल बस, वैन, प्राइवेट कैब, ऑटो या रिक्शा। इसका रिपोर्ट सरकार को भेजी जाएगी ताकि बच्चों की सुरक्षा को और भी बेहतर किया जा सके।
ड्राइवरों के लिए दिशानिर्देश
स्कूल वाहन चालकों के लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशानिर्देश दिए गए हैं, जो इस प्रकार हैं:
- ड्राइवर को भारी वाहनों को चलाने का कम से कम पांच साल का अनुभव होना चाहिए।
- पुलिस द्वारा ड्राइवर का चरित्र सत्यापन और आपराधिक इतिहास की जानकारी अनिवार्य है।
- यदि ड्राइवर पर पिछले दिनों में परिवहन नियमों के उल्लंघन के लिए दो बार चालान हुआ है, तो उसे स्कूल वाहन चलाने के लिए अयोग्य माना जाएगा।
- यदि ड्राइवर पर ओवरस्पीडिंग, खतरनाक ड्राइविंग या शराब पीकर गाड़ी चलाने के लिए एक बार भी चालान हुआ है, तो उसे स्कूल वाहन चलाने से हटा दिया जाएगा।
- स्कूल बस का संचालन बिना प्रशिक्षित कंडक्टर के नहीं किया जा सकता।
- कंडक्टर की योग्यता केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के अनुसार होनी चाहिए।
- जिस वाहन में छात्राओं को ले जाया जा रहा है, उसमें महिला सहायक की उपस्थिति अनिवार्य है।
- स्कूल वाहन निर्धारित गति सीमा में ही चलाए जाएंगे। स्पीड गवर्नर का होना अनिवार्य है।
- स्कूल बैग रखने के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए और वाहन में तय संख्या से अधिक बच्चों को बैठाने की अनुमति नहीं है।
- वाहन में बंद दरवाजों का प्रावधान अनिवार्य है। खुले दरवाजों वाले वाहन प्रतिबंधित हैं।
- ड्राइवर के पास बच्चों का नाम, पता, ब्लड ग्रुप, रूट प्लान और स्टॉपिंग पॉइंट की पूरी जानकारी होनी चाहिए।
- वाहन में प्राथमिक उपचार बॉक्स और अग्निशामक यंत्र का होना अनिवार्य है।
परिवहन विभाग की कार्रवाई
परिवहन सचिव के निर्देशों के अनुसार, Dehradun शहर में स्कूल वाहनों के ड्राइवरों के सत्यापन का अभियान पहले चरण में शुरू किया जाएगा। ड्राइवरों को सत्यापन के लिए अपने ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड और चरित्र सत्यापन पत्र के साथ आने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, उनके वाहनों के दस्तावेजों की भी जांच की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी नियमों का पालन किया जा रहा है।
समाप्ति
स्कूल वाहनों में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम बेहद महत्वपूर्ण हैं। ड्राइवरों और कंडक्टरों का सत्यापन, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन्स का पालन और ट्रांसपोर्ट सुविधाओं का सर्वेक्षण बच्चों की सुरक्षा के प्रति एक महत्वपूर्ण कदम है। इन नियमों का पालन करने से न केवल बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि स्कूल वाहनों से जुड़े खतरों को भी कम किया जा सकेगा। उम्मीद की जा रही है कि इस नई पहल से स्कूल वाहनों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर माता-पिता का विश्वास बढ़ेगा और बच्चों का सफर सुरक्षित और सुगम होगा।