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Narendra Modi and Swami Vivekananda: 131 साल पुरानी ऐतिहासिक भाषण की प्रेरणादायक कहानी

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Narendra Modi and Swami Vivekananda: भारत में 11 सितंबर को ‘दिग्विजय दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है, जो स्वामी विवेकानंद के शिकागो में दिए गए ऐतिहासिक भाषण की याद में है। इस मौके पर, ‘मोदी आर्काइव’ ने एक पुरानी कहानी साझा की है, जिसमें बताया गया है कि कैसे 131 साल पहले का यह भाषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल गया और उन्हें हिमालय की ओर आत्म-खोज की यात्रा पर प्रेरित किया।

Narendra Modi and Swami Vivekananda: 131 साल पुरानी ऐतिहासिक भाषण की प्रेरणादायक कहानी

स्वामी विवेकानंद, जिनका जन्म नाम नरेंद्रनाथ दत्त था, ने 11 सितंबर 1893 को शिकागो विश्व धर्म महासभा में अपना भाषण दिया था। यह भाषण न केवल भारतीय आध्यात्मिकता का परिचय देने वाला था, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को भी प्रेरित करने वाला था। इस भाषण के प्रभाव ने 17 वर्षीय नरेंद्र मोदी को इतना प्रभावित किया कि उन्होंने अपने जीवन की दिशा बदल दी और स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं को आत्मसात करने के लिए हिमालय की ओर यात्रा की।

स्वामी विवेकानंद के नाम की उत्पत्ति

स्वामी विवेकानंद को यह नाम राजस्थान के खेत्री के राजा अजित सिंह ने दिया था। स्वामी विवेकानंद ने राजा से पूछा था कि उन्हें कौन सा नाम पसंद है, तब राजा ने उन्हें विवेकानंद नाम देने की सलाह दी थी। विवेकानंद का नाम उनके जीवन और कार्यों के साथ पूरी तरह से मेल खाता था, और इसने उनकी आध्यात्मिक यात्रा की दिशा तय की।

शिकागो में दिया गया भाषण

स्वामी विवेकानंद का शिकागो में दिया गया भाषण विश्व धर्म महासभा में भारतीय संस्कृति और धर्म का प्रतिनिधित्व करने के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था। भाषण की शुरुआत ‘ब्रदर्स एंड सिस्टर्स ऑफ अमेरिका’ से हुई थी, जिसे सुनकर पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा था। विवेकानंद ने अपनी साधारण पोशाक और प्रभावशाली शब्दों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया था। इस भाषण ने न केवल भारतीय संस्कृति की गहराई को उजागर किया बल्कि पश्चिमी दुनिया में भारत की आध्यात्मिक धरोहर को भी प्रस्तुत किया।

नरेंद्र मोदी की यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं को लेकर गहरा आकर्षण महसूस किया। उन्होंने अपने गाँव वडनगर से निकलकर हिमालय की ओर आत्म-खोज की यात्रा पर जाने का निर्णय लिया। यह यात्रा उनके जीवन के एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतीक थी। नरेंद्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद के विचारों को समझने और आत्मसात करने के लिए हिमालय की कठिन परिस्थितियों का सामना किया। ‘मोदी आर्काइव’ द्वारा साझा की गई एक पुरानी तस्वीर में नरेंद्र मोदी को उनकी यात्रा से पहले अपने गाँव में एक शादी समारोह के दौरान देखा जा सकता है।

स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का प्रभाव

स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं ने नरेंद्र मोदी पर गहरा प्रभाव डाला। मोदी ने कई बार अपने सार्वजनिक जीवन में स्वामी विवेकानंद के विचारों और शिक्षाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया है। उनके जीवन और कार्यों में विवेकानंद की शिक्षाओं की झलक साफ तौर पर देखी जा सकती है। उनके व्यक्तित्व और नेतृत्व शैली में स्वामी विवेकानंद की धार्मिकता और आदर्शों की छवि देखी जा सकती है।

विवेकानंद की स्मृति में ध्यान

स्वामी विवेकानंद के योगदान को याद करते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 लोकसभा चुनावों के बाद दो दिन स्वामी विवेकानंद स्मारक कanyakumari में ध्यान लगाने में बिताए। यह स्मारक स्वामी विवेकानंद की ध्यान की जगह के रूप में जाना जाता है और यहीं पर उन्होंने आधुनिक भारत की दृष्टि प्राप्त की थी। मोदी का इस स्मारक पर ध्यान करना उनके जीवन में स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है।

निष्कर्ष

स्वामी विवेकानंद का शिकागो में दिया गया भाषण भारतीय संस्कृति और धर्म का विश्व स्तर पर परिचय कराने वाला एक ऐतिहासिक पल था। इस भाषण ने न केवल एक पीढ़ी को प्रेरित किया बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा और स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का प्रभाव यह दर्शाता है कि कैसे एक व्यक्ति की सोच और विश्वास उसके जीवन की दिशा को बदल सकते हैं। नरेंद्र मोदी की हिमालय की यात्रा और स्वामी विवेकानंद के प्रति उनकी श्रद्धा इस बात का प्रमाण है कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का प्रभाव समय और स्थान की सीमाओं को पार कर सकता है।

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