Dehradun: जॉलीग्रांट एयरपोर्ट का विस्तार, नई दिशा और बड़े विमानों के लिए बढ़ी क्षमता

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Dehradun: जॉलीग्रांट एयरपोर्ट का विस्तार अब एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है। एयरपोर्ट के रनवे के विस्तार के लिए प्रशासन ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जिनमें से प्रमुख है एयरपोर्ट रूट को दूसरी दिशा में शिफ्ट करना। इस बदलाव से एयरपोर्ट की क्षमता में बड़ा इजाफा होगा और बड़े विमानों के उतरने की संभावना भी बढ़ जाएगी।

रनवे का विस्तार और भूमि अधिग्रहण

जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के वर्तमान रनवे को विस्तारित करने के लिए, लगभग 46 हेक्टेयर वनभूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। यह भूमि थानो वन क्षेत्र में स्थित है और इसकी लंबाई 700 मीटर और चौड़ाई 184 मीटर है। वन विभाग, यूसीएडीए और एयरपोर्ट अधिकारियों की एक संयुक्त टीम ने इस भूमि का सर्वेक्षण किया है। अब प्रस्तावित भूमि की सीमांकन की प्रक्रिया शुरू होगी और इस पर खड़े वृक्षों की गणना की जाएगी। भूमि हस्तांतरण के बाद, यह भूमि एयरपोर्ट को सौंप दी जाएगी, जिस पर रनवे को लगभग 700 मीटर तक बढ़ाया जाएगा।

सड़क परिवहन में बदलाव

रनवे के विस्तार के साथ-साथ, एयरपोर्ट की ओर जाने वाली सड़क जो रिषिकेश-भानियावाला मुख्य सड़क से रानीपोकरी पुल के पास शुरू होती है, उसे भी नई दिशा में स्थानांतरित किया जाएगा। इस सड़क को रनवे के अंत में जाखन नदी की ओर वनभूमि पर शिफ्ट किया जाएगा। इसके बाद, इस नए मार्ग का उपयोग एयरपोर्ट की ओर जाने के लिए किया जाएगा। रिषिकेश और गढ़वाल से थानो होते हुए रायपुर जाने वाले लोगों को भी इस नए मार्ग से यात्रा करनी होगी।

एनटीआरओ का स्थानांतरण

यदि भूमि उपलब्ध होती है, तो एयरपोर्ट के रनवे के समीप स्थित राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) को भी स्थानांतरित किया जा सकता है। रनवे के विस्तार के साथ-साथ अन्य सुविधाओं के लिए भी काफी भूमि की आवश्यकता है। यदि एयरपोर्ट के पास कहीं और भूमि उपलब्ध हो, तो एनटीआरओ को वहाँ स्थापित किया जा सकता है। वर्तमान में, एनटीआरओ संस्थान एयरपोर्ट रनवे के निकट स्थित है, जो नए विस्तार के लिए एक चुनौती हो सकती है।

बड़े विमानों की लैंडिंग की संभावना

जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के रनवे का विस्तार अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के निर्माण के तहत किया जा रहा है। इसके बाद बड़े विमानों के उतरने की संभावना बढ़ जाएगी। वर्तमान में, 185-सीटर यात्री विमान आराम से एयरपोर्ट पर लैंड कर सकते हैं। इसके अलावा, सेना के लड़ाकू विमान और विशाल विमान जैसे C-17 ग्लोबमास्टर का उपयोग भी यहाँ किया गया है। वर्तमान में रनवे की लंबाई 2140 मीटर है। यदि 700 मीटर और जोड़ा जाए, तो रनवे की कुल लंबाई लगभग 2800 मीटर हो जाएगी, जिससे बड़े विमानों के उतरने में और भी आसानी होगी।

आगे की योजना और अपेक्षाएँ

वर्तमान में, एयरपोर्ट के विस्तार के लिए वन क्षेत्र की ओर प्रस्तावित भूमि की प्रक्रिया में कई तकनीकी और प्रशासनिक पहलुओं पर काम चल रहा है। भूमि के अधिग्रहण के बाद, रनवे के विस्तार की योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा। एनटीआरओ के स्थानांतरण और अन्य संबंधित सुविधाओं के विकास के बारे में निर्णय शीर्ष स्तर पर लिया जाएगा।

प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि “एयरपोर्ट के विस्तार के लिए वन भूमि की ओर प्रस्तावित योजना के बाद, रनवे की क्षमता में बड़ा इजाफा होगा। हमें उम्मीद है कि इससे एयरपोर्ट की कार्यक्षमता में भी सुधार होगा। एनटीआरओ के स्थानांतरण का निर्णय उच्च स्तर पर लिया जाएगा, और हम सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए योजना को लागू करेंगे।”

निष्कर्ष

जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार से केवल रनवे की लंबाई ही नहीं बढ़ेगी, बल्कि यह क्षेत्र के विकास और विमानन क्षमता को भी नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा। यह विस्तार यात्रियों और मालवाहन दोनों के लिए फायदेमंद होगा और इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर एक प्रमुख हवाई अड्डे के रूप में स्थापित करेगा। आने वाले समय में, इस विस्तार से जुड़े सभी पहलुओं का ध्यानपूर्वक कार्यान्वयन होगा, जिससे एयरपोर्ट की क्षमता और सुरक्षा दोनों में सुधार होगा।

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