Uttarkashi: उत्तरकाशी का वरुणावत पर्वत एक संवेदनशील क्षेत्र है, जहाँ हाल ही में भूस्खलन हुआ है। यह क्षेत्र अब फिर से सक्रिय हो चुका है। इसके उपचार में किसी भी प्रकार की देरी खतरनाक हो सकती है। इस पर्वत पर भूस्खलन की एक बड़ी वजह मानव हस्तक्षेप है। लोगों ने पर्वत की तलहटी को खोदने के साथ ही अब ऊपर की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है, जिससे पर्वत पर दबाव बढ़ गया है। यही वजह है कि भूस्खलन हुआ है।
डॉ. पीसी नवानी का बयान
डॉ. पीसी नवानी, जो भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के तत्कालीन निदेशक थे और जिन्होंने 2003 में वरुणावत पर्वत पर भूस्खलन के बाद उपचार कार्य का नेतृत्व किया था, ने 21 वर्षों के बाद वरुणावत पर फिर से हुए भूस्खलन पर चिंता व्यक्त की। डॉ. नवानी ने कहा कि इस पर्वत पर उत्पन्न समस्याओं का एक बड़ा कारण मानव हस्तक्षेप है।
मानव हस्तक्षेप का प्रभाव
लोगों ने पहले से ही पर्वत की तलहटी पर मकान बना लिए हैं और अब वे ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं। इन मकानों से निकलने वाले सीवेज और पानी के उचित निकास की व्यवस्था नहीं है। यह पानी पर्वत की तलहटी में चला जाता है। इस वजह से पर्वत पर दबाव बढ़ गया है और बारिश के मौसम के दौरान एक नया भूस्खलन क्षेत्र खुल गया है।
डॉ. नवानी ने बताया कि 2003 में जब भूस्खलन शुरू हुआ था, तब पूरे उत्तरकाशी शहर को स्थानांतरित करने की बात चल रही थी। उस समय इस पर 5000 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना थी, जिसका उन्होंने विरोध किया। इसके बाद, केंद्र से प्राप्त 250 करोड़ रुपये में से केवल 58 करोड़ रुपये में पर्वत की चोटी का विश्वस्तरीय उपचार पूरा किया गया, जो अगले 100 वर्षों को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है।
भूस्खलन की पूर्व चेतावनी
डॉ. पीसी नवानी ने 23 सितंबर 2003 को वरुणावत पर हुए भूस्खलन के बारे में एक महीने पहले ही चेतावनी दी थी। उन्होंने बताया कि कुछ जीएसआई अधिकारियों ने यहाँ काम किया था और उन्होंने रिपोर्ट दी थी कि यहाँ बड़ा भूस्खलन हो सकता है। तत्कालीन जिलाधिकारी ने इसे गंभीरता से लिया और समय पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर निकाल लिया, जिससे किसी की जान नहीं गई।
भूस्खलन से निपटने के उपाय
वरुणावत पर्वत पर भूस्खलन की समस्या को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई की आवश्यकता है। इस समस्या के समाधान के लिए पर्वत की तलहटी में पुनर्निर्माण और उचित जल निकासी व्यवस्था की स्थापना की जानी चाहिए। इसके अलावा, पर्वत पर अधिक दबाव को कम करने के लिए विकास योजनाओं पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। लोगों को भी संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण और अन्य गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।
सारांश
उत्तरकाशी का वरुणावत पर्वत एक संवेदनशील और सक्रिय भूस्खलन क्षेत्र है। डॉ. पीसी नवानी की चेतावनियों और सुझावों को ध्यान में रखते हुए, इसके उपचार में किसी भी प्रकार की देरी को टाला जाना चाहिए। मानव हस्तक्षेप के कारण पर्वत पर बढ़े दबाव और बिना उचित जल निकासी की व्यवस्था की वजह से भूस्खलन की घटनाएं हो रही हैं। इसके लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि इस संवेदनशील क्षेत्र में रहने वाले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और भविष्य में इस प्रकार की समस्याओं से बचा जा सके।