Dehradun school ragging case: स्कूल ने आरोपों को नकारा, पुलिस हॉस्टल जाकर छात्रों के बयान करेगी दर्ज
Dehradun school ragging case: देहरादून के एक प्रसिद्ध स्कूल में आठवीं कक्षा के छात्र के रैगिंग और यौन उत्पीड़न के मामले में, पुलिस की विशेष जांच टीम अब आरोपी छात्रों के बयान दर्ज करने के लिए हॉस्टल में जाने की तैयारी कर रही है। पीड़ित छात्र ने शुक्रवार को वीडियो कॉल पर पुलिस को अपने बयान में पांच सीनियर छात्रों के नाम बताए हैं।
पुलिस द्वारा स्कूल प्रशासन को सूचित किया गया
पुलिस ने इस संबंध में स्कूल प्रशासन को भी सूचित किया है। SSP अजय सिंह ने कहा कि पुलिस मामले के हर पहलू की गंभीरता से जांच कर रही है। चूंकि पीड़ित और आरोपी दोनों ही नाबालिग हैं, इसलिए POCSO एक्ट के तहत सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है।
हॉस्टल में घटना से संबंधित सबूत जुटाने के निर्देश
जब तक पीड़ित छात्र और उनके पिता मजिस्ट्रियल बयान दर्ज करने नहीं पहुंचते, जांचकर्ता को स्कूल और हॉस्टल में घटना से संबंधित सबूत जुटाने के निर्देश दिए गए हैं।
SSP अजय सिंह ने कहा कि असम में तैनात एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी द्वारा स्कूल हॉस्टल में उनके बेटे के साथ की गई रैगिंग और यौन उत्पीड़न की शिकायत की गंभीरता से जांच की जा रही है। जब पीड़ित छात्र यहां पहुंचेगा, तो उसका मेडिकल चेकअप भी कराया जाएगा।
पुलिस टीम और स्कूल प्रशासन की लगातार संपर्क
पुलिस की एक टीम लगातार स्कूल प्रशासन से संपर्क बनाए हुए है और घटना की जानकारी जुटा रही है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्कूल में किसी भी विरोध प्रदर्शन के कारण कोई अशांति न हो, स्कूल की निगरानी की जा रही है। चीता टीम और इंटेलिजेंस यूनिट को स्कूल के बाहर लगातार गश्त करने के लिए कहा गया है।
बाल आयोग और शिक्षा विभाग की टीम स्कूल पहुंची
छात्र के रैगिंग और यौन उत्पीड़न के मामले में, उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग और शिक्षा विभाग की टीम शनिवार को स्कूल पहुंची और प्रधानाचार्य से जानकारी ली। प्रधानाचार्य ने आयोग के सदस्य विनोद कपर्वन को बताया कि स्कूल की जांच समिति ने पहले ही मामले की जांच की है और कोई ऐसी घटना पुष्टि नहीं हुई है।
आयोग ने स्कूल की मान्यता, अग्नि सुरक्षा, POCSO समिति, शिकायत सेल, और चाइल्ड हेल्पलाइन के बारे में भी जानकारी ली। इस संबंध में आयोग ने SSP और मुख्य शिक्षा अधिकारी प्रदीप रावत से रिपोर्ट प्रदान करने के लिए कहा है। इस दौरान आयोग के अवर सचिव SK सिंह, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी प्रेमलाल भारती, बाल मनोवैज्ञानिक निशांत इकबाल और विशाल छाचरा आदि उपस्थित थे।
निष्कर्ष
देहरादून के इस स्कूल में रैगिंग और यौन उत्पीड़न के मामले ने एक गंभीर सवाल उठाया है कि क्या स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों का सही ढंग से ध्यान रखा जा रहा है। पुलिस और संबंधित विभागों द्वारा की जा रही जांच इस बात की पुष्टि करने के लिए आवश्यक है कि बच्चों के खिलाफ की गई किसी भी तरह की उत्पीड़न की सच्चाई सामने आए और दोषियों को सजा मिले। इस मामले में जांच की प्रक्रिया और स्कूल प्रशासन की भूमिका पर नजर रखना आवश्यक है ताकि इस तरह की घटनाएं भविष्य में न हो सकें।