Delhi: दिल्ली जेलों में कैदियों की मौत पर परिवार को मिलेगा 7.5 लाख रुपये का मुआवजा, पांच शर्तें पूरी करनी होंगी

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Delhi: दिल्ली सरकार ने जेलों में कैदियों की असामयिक मौत के मामले में उनके परिवारों को 7.5 लाख रुपये के मुआवजे की योजना को मंजूरी दे दी है। यह प्रस्ताव अब उपराज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए भेजा गया है। यह निर्णय जेलों में सुधार और मानवाधिकारों की रक्षा को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

मुआवजे की पात्रता और शर्तें

इस प्रस्ताव के तहत, मुआवजा उन मामलों में दिया जाएगा जहां कैदी की मौत असामयिक कारणों से हुई है। इसमें शामिल हैं:

गृह मंत्री कैलाश गहलोत का बयान

दिल्ली के गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने इस प्रस्ताव के बारे में कहा कि यह पहल न्याय और जवाबदेही सुनिश्चित करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। उन्होंने कहा कि जेल में असामयिक परिस्थितियों में कैदियों की मौत के मामलों में परिवारों को मुआवजा देना मानवाधिकारों को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

जेल सुधार की दिशा में कदम

कैलाश गहलोत ने विश्वास व्यक्त किया कि यह कदम जेलों में सुधार लाएगा और किसी भी प्रकार की लापरवाही को कम करेगा। यदि प्रस्ताव को अनुमोदित किया जाता है, तो यह नीति अधिसूचना की तिथि से प्रभावी होगी।

रिपोर्ट और जांच की प्रक्रिया

प्रस्ताव के अनुसार, संबंधित जेल अधीक्षक को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी जिसमें मजिस्ट्रेट की जांच रिपोर्ट और सभी आवश्यक कार्रवाई शामिल होगी। यह रिपोर्ट दिल्ली के जेलों के महानिदेशक को भेजी जाएगी, जो इसे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को सूचित करने के लिए प्रस्तुत करेंगे।

इस रिपोर्ट की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की जाएगी, जिसका अध्यक्ष जेलों के महानिदेशक होगा। समिति में अतिरिक्त निरीक्षक जनरल, निवासी चिकित्सा अधिकारी, डीसीए और कानून अधिकारी शामिल होंगे। यह समिति रिपोर्ट की समीक्षा करेगी और नियमों के अनुसार मुआवजा जारी करने का निर्णय लेगी। यदि समिति की जांच में जेल के किसी कर्मचारी की सीधी संलिप्तता पाई जाती है, तो इसके खिलाफ कार्रवाई के लिए भी निर्णय लिया जाएगा।

समाज और जेल प्रणाली पर प्रभाव

यह नीति न केवल मुआवजे का प्रावधान करती है, बल्कि यह जेलों के भीतर जवाबदेही को भी सुनिश्चित करती है। मुआवजा प्रणाली से जेल अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारियों का एहसास होगा और इससे जेलों में मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में कमी आएगी। यह पहल जेलों में सुधार और कैदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

निष्कर्ष

दिल्ली सरकार की यह पहल जेलों में कैदियों की असामयिक मौत के मामलों में उनके परिवारों को आर्थिक मदद प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे न केवल कैदियों के परिवारों को न्याय मिलेगा बल्कि जेल अधिकारियों को भी अपनी जिम्मेदारी का एहसास होगा। यह नीति जेलों में सुधार की दिशा में एक सकारात्मक कदम है और मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत संदेश भेजती है।

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