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Earthquake in Uttarakhand: उत्तरकाशी के मोरी में भूकंप के झटके, तीव्रता 3.0 रिक्टर स्केल पर

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Earthquake in Uttarakhand: आज शुक्रवार सुबह उत्तरकाशी के मोरी क्षेत्र में भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.0 मापी गई। भूकंप का केंद्र माना जा रहा है कि सिंगटूर वन क्षेत्र, उत्तरकाशी-हिमाचल सीमा पर था। हालांकि, किसी भी प्रकार के नुकसान की जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।


Earthquake in Uttarakhand: उत्तरकाशी के मोरी में भूकंप के झटके, तीव्रता 3.0 रिक्टर स्केल पर

भूकंप का विवरण

भूकंप की घटना का समय सुबह 11:56:32 IST था। भूकंप की तीव्रता 03.00 मापी गई। भूकंप का केंद्र वायव्य अक्षांश: 31.03N, पूर्वी देशांतर: 78.09E पर स्थित था और इसकी गहराई 05 किमी थी।

जिला मुख्यालय और अन्य क्षेत्रों में स्थिति

प्राप्त जानकारी के अनुसार, तहसील/पुलिस थाना/पोस्ट क्षेत्रों में भूकंप के झटके महसूस नहीं किए गए और जिला मुख्यालय में भी किसी प्रकार के नुकसान की सूचना नहीं मिली है। जिला में शांति बनी हुई है और लोग सामान्य जीवन में लौट आए हैं।

मामूली भूकंप के झटकों से बड़ी चेतावनी

26 अगस्त की रात को राजधानी देहरादून में भी मामूली भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। हालांकि भूकंप की तीव्रता मामूली थी, लेकिन इसके पीछे एक बड़ी चेतावनी थी। यह चेतावनी उन ऊंची इमारतों के लिए थी जो भूकंप रेखा के आसपास या उस पर स्थित हैं। हाल ही में, देहरादून के मास्टर प्लान में भूकंप रेखा को चिह्नित किया गया और इसके आसपास निर्माण पर रोक लगाने की सिफारिश की गई थी। सरकार ने इस सिफारिश को मंजूरी भी दे दी थी।

इसके बावजूद, भूकंप रेखा के आसपास ऊंची इमारतों का निर्माण लगातार जारी है, जो देहरादून के लिए एक बड़ा खतरा बन रहा है। देहरादून भूकंप के दृष्टिकोण से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है। यहां मुख्य सीमा प्रक्षिप्त दोष रेखा (Main Boundary Thrust Fault Line) राजपुर रोड, सहस्त्रधारा और शाहंशाही आश्रम से गुजरती है और हिमालयन फ्रंट थ्रस्ट दोष रेखा (Himalayan Front Thrust Fault Line) मोहंड के आसपास से गुजरती है। इसके अलावा, देहरादून घाटी में 29 अन्य भूकंपीय दोष रेखाएं हैं। इन क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ऊंची आवासीय और वाणिज्यिक इमारतों का निर्माण हो रहा है।

सरकारी उपाय और भविष्य की दिशा

भूकंप के खतरे को देखते हुए, सरकार और संबंधित विभागों को अब और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। भूकंप रेखा के आसपास निर्माण कार्यों पर प्रभावी निगरानी रखी जानी चाहिए और सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इसके अलावा, भूकंप सुरक्षा और आपातकालीन प्रतिक्रिया की तैयारी को भी मजबूत करने की आवश्यकता है।

निष्कर्ष

उत्तरकाशी के मोरी क्षेत्र में भूकंप के झटकों ने एक बार फिर से भूकंप की संवेदनशीलता और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को उजागर किया है। देहरादून में भूकंप की मामूली घटनाएं भी बड़े खतरे का संकेत हो सकती हैं। इन घटनाओं से सबक लेते हुए, हमें अपने निर्माण कार्यों और सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावी तरीके से निपटा जा सके।

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