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Uttarkashi: वरुणावत पर भूस्खलन का खतरा, पत्थर गिरने से हर पल डर का माहौल

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Uttarkashi: उत्तरकाशी जिले के मुख्यालय में वरुणावत पर्वत पर लगातार हो रहे भूस्खलन के बीच स्थिति काफी भयावह हो गई है। बारिश के कारण पर्वत से अचानक पत्थर गिर रहे हैं, जिससे बस्तियों तक पहुंचने का खतरा बढ़ गया है। इस स्थिति में लोग हर पल डर के साये में जी रहे हैं।

Uttarkashi: वरुणावत पर भूस्खलन का खतरा, पत्थर गिरने से हर पल डर का माहौल

भूस्खलन की स्थिति

वरुणावत पर्वत से हो रहे भूस्खलन के चलते पत्थर अचानक गिर रहे हैं। फिलहाल स्थिति सामान्य बनी हुई है, लेकिन कभी-कभी बड़े पत्थर गिरते हैं जो कि अभी तक बस्तियों तक नहीं पहुंचे हैं, क्योंकि ये जंगल में अटक गए हैं। मंगलवार को भूस्खलन की जोरदार आवाज सुनकर लोग अपने घरों से बाहर निकल पड़े। मस्जिद मोहल्ला की निवासी अनिता और बीना ने बताया कि बच्चे पढ़ाई कर रहे थे, तभी अचानक घर से बाहर भागे। आवाज इतनी जोरदार थी कि सभी डर गए।

संबंधित अधिकारियों की प्रतिक्रिया

सूचना मिलने पर एडीएम रजा अब्बास और एसडीएम ब्रजेश कुमार तिवारी आपदा प्रबंधन केंद्र पहुंच गए। केंद्र के अधिकारियों ने भूस्खलन की स्थिति पर नजर रखने के लिए विशेष ध्यान केंद्रित किया है। अधिकारियों ने इलाके की स्थिति की निगरानी के लिए फोकस लाइट का उपयोग किया है।

पिछले एक सप्ताह में भूस्खलन

वरुणावत पर्वत पर एक सप्ताह में दूसरी बार भूस्खलन हुआ है। इससे पहले 27 अगस्त को भी यहां भूस्खलन हुआ था। जब अचानक पहाड़ से पत्थर residential क्षेत्रों के पास गिरे, तो लोगों में अफरा-तफरी मच गई। यह घटना 2003 के भूस्खलन की कड़ी यादें ताजा कर दीं।

21 साल बाद सक्रिय हुआ भूस्खलन

उत्तरकाशी शहर वरुणावत पर्वत के तलहटी में Asi और Varuna नदियों के बीच स्थित है। वरुणावत पर्वत पंचकोसी वरुणी यात्रा और इसके ऊपर स्थित पुरातात्विक मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। 2003 के विनाशकारी भूस्खलन के कारण यह पर्वत याद किया जाता है।

2003 में जब अचानक भूस्खलन शुरू हुआ था, तब पत्थर और मलबा तीन से चार क्षेत्रों में गिरा करते थे। सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र वर्तमान सब्जी मंडी के पास भटवाड़ी रोड पर था। इसके बाद पत्थर मस्जिद मोहल्ला, गोफियारा क्षेत्र और तमबाकनी रोड पर भी गिरे थे।

भटवाड़ी रोड पर कई बहुमंजिला इमारतें भूस्खलन में धराशायी हो गई थीं। इसके बाद बड़ी संख्या में लोगों को खतरनाक क्षेत्र से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया था। अब लगभग 21 साल बाद, वरुणावत पर्वत से फिर से पत्थर गिरने के कारण लोगों में भय का माहौल है।

भूस्खलन के प्रभाव

2003 के भूस्खलन ने उत्तरकाशी के नागरिकों को गहरा आघात पहुँचाया था और इसकी यादें अब भी लोगों के मन में ताजातरीन हैं। उस समय भटवाड़ी रोड पर कई बहुमंजिला इमारतें ढह गई थीं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करना पड़ा था। अब फिर से वरुणावत पर्वत से पत्थर गिरने से उसी तरह की स्थिति बन रही है, जिससे क्षेत्र के निवासियों के मन में पुनः भय पैदा हो गया है।

आगामी चुनौतियाँ और उपाय

वरुणावत पर्वत पर लगातार हो रहे भूस्खलन को देखते हुए कई महत्वपूर्ण उपाय किए जाने की आवश्यकता है। इसमें सबसे पहले क्षेत्र की स्थिरता की जांच करना, भूमि की सुरक्षा को सुनिश्चित करना और भूस्खलन के खतरे को कम करने के लिए आवश्यक तकनीकी और संरचनात्मक उपाय करना शामिल है। साथ ही, स्थानीय निवासियों को भी आपदा की स्थिति से निपटने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।

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