Varunavat Landslide: संवेदनशील बफर जोन, जहां बिना अनुमति के एक पत्ता भी नहीं हिलता, वहां अतिक्रमण की बाढ़ आई हुई है और सरकारी मशीनरी बेखबर बैठी है। हम बात कर रहे हैं उत्तरकाशी में वरुणावत पर्वत के तल पर स्थित इंदिरा कॉलोनी से गोफियारा तक के 1.5 किमी क्षेत्र की, जो बफर जोन में शामिल है।
पिछले 21 वर्षों में यहां 3.5433 हेक्टेयर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण हो चुका है। यहां बने 287 से अधिक अवैध निर्माण सिस्टम का मजाक उड़ा रहे हैं। अतिक्रमणकर्ताओं में सरकारी विभागों के अधिकारी और प्रभावशाली लोग भी शामिल हैं। शायद यही कारण है कि सब कुछ जानते हुए भी जिम्मेदार लोग अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
हर जगह अतिक्रमण की शिकायतें यह तस्वीर दैनिक जागरण द्वारा सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी में सामने आई। बताया गया कि वर्ष 2023 में तत्कालीन उप-जिला मजिस्ट्रेट चतर सिंह चौहान ने जिला मुख्यालय में विभिन्न स्थानों पर अतिक्रमण की शिकायत पर जांच की थी। इसके दायरे में इंदिरा कॉलोनी से गोफियारा तक वरुणावत का बफर जोन भी शामिल था।
जांच में पता चला कि इंदिरा कॉलोनी से भटवाड़ी टैक्सी स्टैंड तक 160 व्यक्तियों ने 0.9023 हेक्टेयर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर रखा है। जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय से 500 मीटर की दूरी पर स्थित गोफियारा में 2.641 हेक्टेयर सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का खुलासा हुआ। यहां 127 व्यक्ति अवैध रूप से कब्जा किए हुए हैं। अतिक्रमण में टिन शेड से लेकर चार मंजिला इमारतें तक शामिल हैं।
24 अगस्त को उप-जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय से जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय को अतिक्रमण की विस्तृत रिपोर्ट भेजी गई थी। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में अतिक्रमणकर्ताओं का विवरण भी दिया था, इसके बावजूद जमीन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
RTI के तहत प्राप्त जानकारी में यह भी बताया गया कि अतिक्रमण में शामिल कुछ सरकारी अधिकारियों ने जांच में सहयोग नहीं किया। इस पर उप-जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय से उन्हें नोटिस भी जारी किया गया था। जांच रिपोर्ट में लीज पर ली गई जमीन पर मुक्तहस्त भूमि के आड़ में अतिक्रमण का भी उल्लेख है।
त्रासदी के बाद घोषित हुआ बफर जोन
समुद्र तल से लगभग 1,150 मीटर की ऊंचाई पर स्थित उत्तरकाशी शहर वरुणावत के तल पर स्थित है। वरुणावत के तल क्षेत्र का क्षेत्रफल 12.02 वर्ग किमी है। वर्ष 2003 में यहां वरुणावत से आए भूस्खलन में भारी नुकसान हुआ था। इसके बाद विशेषज्ञों ने तल के कुछ क्षेत्रों को संवेदनशील मानते हुए इन्हें बफर जोन घोषित कर दिया।
जिला प्रशासन के अनुसार, बफर जोन में भूस्खलन से 202 भवन प्रभावित हुए थे। यहां रहने वाले 362 परिवारों के 2,911 सदस्यों को विस्थापित करना पड़ा। इनमें से 191 परिवारों ने अपने स्वयं के संसाधनों से कहीं और व्यवस्था की, जबकि 40 को सरकार द्वारा 3.15 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया।