Haldwani violence: पुलिस-प्रशासन की लापरवाही से पलटा खेल, हाई कोर्ट ने पूछा – चार्जशीट क्यों नहीं पेश की गई 90 दिन में
Haldwani violence: हल्द्वानी हिंसा के मामले में हाई कोर्ट ने एक बार में 50 आरोपियों को जमानत दे दी है। पुलिस की लापरवाही के कारण ही आरोपियों को जमानत मिली है। नियमों के अनुसार, पुलिस को अदालत में 90 दिनों के भीतर चार्जशीट पेश करनी चाहिए थी, लेकिन पूरी टीम को जुटाने के बावजूद पुलिस समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई। अब तक 51 आरोपियों को जमानत मिल चुकी है, हालांकि एक आरोपी को गंभीर बीमारी के कारण जमानत मिली है।
घटना की पृष्ठभूमि
8 फरवरी को हल्द्वानी में पुलिस की मौजूदगी में नगरपालिका और प्रशासन की टीम ने अतिक्रमण हटाने के लिए मलिक के बाग में कार्रवाई की। इस दौरान स्थानीय भीड़ हिंसक हो गई। भीड़ ने पत्थरबाजी की और आगजनी की। बनभूलपुरा पुलिस स्टेशन को भी आग के हवाले कर दिया गया। घटना के बाद पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए 107 लोगों को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। इन आरोपियों पर UAPA समेत कई गंभीर धाराएं लगाई गईं।
हाई कोर्ट की कार्रवाई
ये तीन मामले CO रामनगर, CO भवाली और CO लालकुआं द्वारा जांचे जा रहे थे। नियमों के अनुसार, पुलिस को मामले दर्ज करने के 90 दिनों के भीतर अदालत में चार्जशीट पेश करनी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। तीन महीने बाद आरोपियों ने निचली अदालत में जमानत याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया। गंभीर आरोपों और मामले की गंभीरता को देखते हुए निचली अदालत ने जमानत नहीं दी। इसके बाद सभी आरोपियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी, जहां हाई कोर्ट ने सभी 50 आरोपियों को जमानत दी।
सरकार की दलील
सरकार ने अदालत को बताया कि अतिरिक्त समय इसलिए लिया गया क्योंकि CCTV रिकॉर्ड, पेट्रोल बम और मेडिकल रिपोर्ट्स को इकट्ठा करने और जांचने की प्रक्रिया लंबी थी, लेकिन कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया। हाई कोर्ट की डबल बेंच ने आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई की और उन्हें जमानत दी। दूसरी ओर, SSP प्रह्लाद नारायण मीणा ने अपने PRO ऑफिस में तैनात पुलिसकर्मियों के माध्यम से कहा कि कोर्ट ने मानवता के आधार पर आरोपियों को जमानत दी है।