Uttarakhand News: ओम पर्वत पर पहली बार बर्फ का गायब होना, पर्यावरण के लिए गंभीर संकट
Uttarakhand News: ओम पर्वत, जिसे दुनिया के आठवें आश्चर्य के रूप में जाना जाता है, पहली बार बर्फ रहित हो गया है। ओम पर्वत की बर्फ का गायब होना पर्यावरण के लिए एक बड़ा संकट बन गया है। यह घटना ग्लोबल वार्मिंग, वाहनों की आवाजाही और सड़क निर्माण से संबंधित बताई जा रही है। इस लेख में हम इस घटना के कारणों और इसके संभावित प्रभावों पर चर्चा करेंगे।
बर्फ का गायब होना: पहली बार
ओम पर्वत पर बर्फ का गायब होना पहली बार हुआ है। ओम पर्वत, जो नबिधांग से देखा जा सकता है, अपने आप में एक आश्चर्य है। यहाँ बर्फ पर लिखा “ओम” हर किसी को आकर्षित करता है। भगवान शिव की भूमि होने के कारण यह स्थल गहरा धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह पहली बार है जब ओम पर्वत पर बर्फ पूरी तरह से गायब हो गई है।
कुछ गांववाले कहते हैं कि ओम पर्वत पर बर्फ इस बार पूरी तरह से नहीं है। वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि आठ साल पहले 2016 में भी ओम पर्वत पर बहुत कम बर्फ थी और बर्फ के हल्के धब्बे केवल एक या दो जगहों पर ही बचे थे। पर्यावरणविदों का कहना है कि इस क्षेत्र में सड़क नेटवर्क का निर्माण, सड़क के लिए हॉटमिक्स प्लांट की स्थापना और ओम पर्वत के पास लोडर मशीन का उपयोग, अत्यधिक पर्यटकों की आवाजाही के कारण पर्यावरण पर असर पड़ा है।
पर्यावरणीय संवेदनशीलता
पर्यावरणविदों का कहना है कि यह हिमालय क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टिकोण से बहुत संवेदनशील है। यहाँ लोडर मशीनों से सड़क निर्माण और वाहनों की आवाजाही पर्यावरण असंतुलन के लिए जिम्मेदार है। ओम पर्वत की ऊँचाई 6191 मीटर है। इस ऊँचाई पर बर्फ का न होना पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अत्यंत गंभीर है। इस मुद्दे पर प्रशासन और संबंधित विभागों से अभी तक कोई पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन जो लोग ओम पर्वत पर पहुँचे हैं, वे बर्फ के बिना ओम देखकर निराश हैं।
संभावित प्रभाव
बर्फ का गायब होना न केवल एक धार्मिक स्थल के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र के पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है। यहाँ की पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने के लिए जरूरी है कि इस क्षेत्र में पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के उपाय किए जाएँ। इसके लिए स्थानीय प्रशासन और पर्यावरणीय संगठनों को मिलकर काम करना होगा ताकि भविष्य में ऐसे संकटों से बचा जा सके।
इस स्थिति में जागरूकता और सतर्कता आवश्यक है ताकि इस प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित किया जा सके और पर्यावरणीय संकट को रोका जा सके।