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Supreme Court ने FIR में देरी पर उठाए सवाल, जज ने कहा – 30 साल में ऐसा नहीं देखा

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आज Supreme Court में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने कोलकाता पुलिस और राज्य सरकार से कई अनसुलझे सवाल पूछे और कई मौकों पर उनकी खिंचाई भी की। बेंच में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे।

कोलकाता पुलिस की देरी पर कोर्ट की चिंता

Supreme Court ने कोलकाता पुलिस की देरी को ‘अत्यंत परेशान करने वाला’ बताया। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि उनके 30 साल के अनुभव में इस प्रकार की प्रक्रिया का सामना नहीं किया है। उन्होंने पूछा कि पोस्टमॉर्टम किस समय किया गया था और क्या यह एक अप्राकृतिक मौत का मामला था या नहीं। जब यह अप्राकृतिक मौत का मामला था तो पोस्टमॉर्टम की आवश्यकता क्यों पड़ी?

FIR और UD रिपोर्ट में विसंगति

जांच के दौरान, न्यायमूर्ति पारदीवाला ने पूछा कि UD केस 861 रात 11:30 बजे दर्ज किया गया और FIR 11:45 बजे दर्ज की गई। उन्होंने इस रिकॉर्ड की सत्यता पर सवाल उठाया और कहा कि पोस्टमॉर्टम UD रिपोर्ट के पंजीकरण से पहले हुआ था, जो कि चौंकाने वाला है। उन्होंने अधिकारियों से बात करने की सलाह दी और कहा कि जिम्मेदारी से बयान दिया जाए।

Supreme Court ने FIR में देरी पर उठाए सवाल, जज ने कहा - 30 साल में ऐसा नहीं देखा

CJI की डॉक्टरों से अपील और नेशनल टास्क फोर्स की घोषणा

मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने डॉक्टरों से अपील की कि वे अपने कर्तव्यों पर लौटें और अधिकारियों से किसी भी कठोर कार्रवाई से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि एक राष्ट्रीय टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा जो स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी पक्षों से बात करेगा, जिसमें इंटर्न, रेजीडेंट, सीनियर रेजीडेंट, नर्सें और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं। CJI ने कहा, “कमीटी सुनिश्चित करेगी कि सभी प्रतिनिधियों की सुनवाई हो।”

Supreme Court द्वारा रिपोर्ट की समीक्षा

Supreme Court ने CBI और राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत स्थिति रिपोर्ट की समीक्षा की। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिबल ने कहा कि राज्य ने भी एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है, जबकि सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि राज्य को स्थिति रिपोर्ट देने के लिए नहीं कहा गया था। CJI ने पुष्टि की कि कोलकाता पुलिस से रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया था।

इस सुनवाई के दौरान, Supreme Court ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की स्थिति और डॉक्टरों की समस्याओं को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की और सभी संबंधित पक्षों से संवाद और समाधान की प्रक्रिया को सुनिश्चित किया।

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