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Uttarakhand: कैबिनेट विस्तार की ओर इशारा, मुख्यमंत्री की दिल्ली वापसी के साथ बढ़ी हलचल

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Uttarakhand: पिछले 15 दिनों में उत्तराखंड में विधायकों, मंत्रियों, सांसदों और पूर्व मुख्यमंत्रियों की छोटी-छोटी बैठकें कैबिनेट विस्तार की ओर इशारा कर रही हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की दिल्ली से वापसी के साथ ही देहरादून में कैबिनेट विस्तार और पदों की भरपाई को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

Uttarakhand: कैबिनेट विस्तार की ओर इशारा, मुख्यमंत्री की दिल्ली वापसी के साथ बढ़ी हलचल

माना जा रहा है कि नगर निगम चुनावों से पहले मुख्यमंत्री कैबिनेट का परिवार बढ़ा सकते हैं। वर्तमान में उनकी कैबिनेट में चार पद खाली हैं। हालांकि, कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन के बाद से कैबिनेट में बदलाव की बात चल रही है, लेकिन इस बार चर्चा काफी गंभीर हो गई है। कुछ प्रमुख छोटी-छोटी बैठकों को इस पर चर्चा का आधार माना जा रहा है।

कैबिनेट विस्तार की अटकलें

1. धामी सरकार के कुछ मंत्रियों की दिल्ली दौड़।
2. पूर्व मुख्यमंत्रियों और सांसदों की केंद्रीय नेताओं के साथ बैठकें।
3. हाल के दिनों में पार्टी के विधायकों की मुख्यमंत्री से शिष्टाचार भेंट।

मुख्यमंत्री ने दिल्ली जाने से पहले पूर्व कैबिनेट मंत्रियों मदन कौशिक, अरविंद पांडे, बंशीधर भगत, बिशन सिंह चुप्पल के साथ-साथ कई नए और पुराने विधायकों के साथ एक श्रृंखला की बैठकें की थीं, जिसने कैबिनेट विस्तार की अटकलों को बल दिया है।

इन अटकलों के बीच, यह भी स्पष्ट है कि मुख्यमंत्री ने अपनी ओर से कैबिनेट विस्तार की संभावना के संकेत नहीं दिए हैं। दिल्ली जाने से पहले मीडिया कर्मियों ने भी मुख्यमंत्री धामी से कैबिनेट विस्तार के संभावनाओं के बारे में सवाल किया था, लेकिन उन्होंने मुस्कुराते हुए इसे टाल दिया।

धामी सरकार ने अपने कार्यकाल के लगभग दो ढाई महीने पूरे कर लिए हैं और समय के साथ, संगठन स्तर पर कैबिनेट विस्तार को लेकर दबाव बढ़ रहा है। इस बार कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं संगठन के भीतर भी गर्मा गई हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री धामी कैबिनेट विस्तार के बहाने अपने मंत्रियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन भी कर सकते हैं।

यदि ऐसा होता है, तो कैबिनेट में चेहरों के बदलाव की संभावना के साथ-साथ मंत्रियों के विभागों का पुनर्संरचना भी हो सकता है। मुख्यमंत्री अपनी विभागीय जिम्मेदारियों को भी हल्का कर सकते हैं। इसके अलावा, पार्टी के वरिष्ठ और सक्रिय नेताओं और कार्यकर्ताओं को सरकार में जिम्मेदारियों और स्थिति का वितरण करने की चर्चा भी हो रही है।

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