Silkayar tunnel accident: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सिल्कयार टनल में 12 नवंबर पिछले साल हुआ हादसा अभी भी जांच के दायरे में है। सरकार ने टनल के ढहने के कारणों की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित की है। इस समिति ने 22 दिसंबर 2023 को मंत्रालय को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी थी।
समिति की अंतिम सिफारिशों के आधार पर दोषी ठेकेदारों, कंपनियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। राष्ट्रीय उच्चमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) द्वारा ठेकेदार, प्राधिकरण के इंजीनियर, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट सलाहकार और परियोजना की निगरानी करने वाले क्षेत्रीय अधिकारियों को शो-कॉज नोटिस जारी किए गए हैं।
दो महीने का बोनस और दो लाख रुपये की अतिरिक्त राशि
नितिन गडकरी ने सदन को जानकारी दी कि टनल के अंदर फंसे प्रत्येक श्रमिक को ठेकेदार द्वारा वेतन के अतिरिक्त दो महीने का बोनस और दो लाख रुपये की राशि दी गई। उत्तराखंड सरकार ने भी टनल में फंसे सभी श्रमिकों को एक-एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है।
मंत्री ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक उच्चस्तरीय समिति (HPC) गठित की है। इस समिति को चारधाम परियोजना के हिमालयी घाटियों पर समग्र और स्वतंत्र प्रभाव पर विचार करने और पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन करने की जिम्मेदारी दी गई है।
समिति में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, केंद्रीय मृदा संरक्षण अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, वन अनुसंधान संस्थान और वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारी शामिल हैं।
41 श्रमिक 17 दिन तक फंसे रहे
चारधाम परियोजना के तहत यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्कयारा और पोलगांव के बीच निर्माण चल रहा है। 12 नवंबर को इस टनल में भूस्खलन हुआ, जिसमें 41 श्रमिक 17 दिन तक फंसे रहे। हालांकि, उन्हें सुरक्षित रूप से बचा लिया गया।
इस टनल का कार्य मार्च 2024 में पूरा होना था, लेकिन अब तक भूस्खलन के मलबे को हटाया नहीं जा सका है। इस मलबे को रसायनों की मदद से ठोस स्थिति में परिवर्तित किया गया है। मलबे को हटाने के लिए तीन ड्रिफ्ट टनल का निर्माण किया जाना है। इस टनल के निर्माण में समय लगना निश्चित है।