How the Goonda Act was imposed: उच्च न्यायालय की डबल बेंच ने सरकार से पूछा, अगली सुनवाई 19 वीं को; पूरी बात जानें
How the Goonda Act was imposed: नैनीताल हाईकोर्ट ने चोरगलिया हल्द्वानी निवासी समाजसेवी और आरटीआई अधिवक्ता भुवन चंद्र पोखरिया को सुरक्षा प्रदान करने के लिए दायर की गई याचिका की सुनवाई के बाद अगली सुनवाई 19 जुलाई को तय की है। यह मामला वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायाधीश पंकज पुरोहित की डिवीजन बेंच के सामने सुना गया था। अदालत ने सरकार से सवाल किया है कि उन्हें गुंडा एक्ट कैसे लागू किया गया था।
मामले के अनुसार, याचिका में कहा गया है कि 2020 में राज्य सरकार ने एनजीटी और हाईकोर्ट के आदेशों का अवहेलना करते हुए स्टोन क्रशर, खनन भंडारण जैसे कार्यों को किया। जिसका विरोध याचिकाकर्ता ने किया। लेकिन अपने कार्यों को छिपाने के लिए सरकार ने उसके खिलाफ चोरगलिया पुलिस द्वारा आईपीसी की धारा 107, 116 के तहत कार्यवाही की। फिर उसी रिपोर्ट के आधार पर उसकी लाइसेंस वाली बंदूक रद्द की गई और खजाने में जमा कर दी गई। पुलिस ने उसे आईपीसी की धारा 16 और 17 के अंतर्गत की गई अपराधों के लिए बरी कर दिया और उसे जिले से बाहर निकाल दिया। इस मामले में अदालत ने उसे 2022 में बरी कर दिया था और उसकी सेशन को कुमाऊं कमिश्नर की अदालत ने पुनः स्थापित किया था।
लेकिन जिला अधिकारी ने लाइसेंस की पुनः नवीकरण की अनुमति नहीं दी। 15 जनवरी 2024 और 18 जनवरी 2024 को उसने डीजीपी के पास शिकायत दर्ज की थी। याचिका में कहा गया है कि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए धमकियां मिल रही हैं। राज्य सूचना आयोग ने उसके मामले को सुनते हुए एसएसपी नैनीताल से उसे सुरक्षा प्रदान करने और जांच रिपोर्ट के साथ निर्देशित किया था। एएसपी हल्द्वानी ने एक गलत जांच रिपोर्ट तैयार करके रिपोर्ट प्रस्तुत की। कहा गया कि जांच के बिना, उसी मामलों की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई जिसमें उसे बरी किया गया था। लेकिन एक साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। न ही उसे सुरक्षा दी गई। इस आधार पर उसने उच्च न्यायालय में सुरक्षा के लिए अपील की है।