
Less voting:
रुड़की। रुड़की विधानसभा क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत लगभग 60 रहा, जो कि पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले तो बहुत कम है ही, पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले भी बेहद कम है। इसमें भी पेंच यह है कि इसमें अधिकतम मतदान उन क्षेत्रों में हुआ जहां मतदान के प्रति जागरूकता के अधिक प्रयास नहीं किए गए थे। आईआईटी कैंपस समेत जिन क्षेत्रों में मतदान को लेकर सतत अभियान चलाए गए, तमाम प्रयास किए गए, बड़ी रकम खर्च कर दीl वहां मतदान का प्रतिशत गिर कर सबसे कम रहा। हालांकि इस विधान सभा क्षेत्र में कहीं मतदान के बहिष्कार का सवाल नहीं उठा, लेकिन कम मतदान प्रतिशत ने सारे प्रयासों पर ही स्वालिया निशान लगा दिया है।
मतदान के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए चुनाव आयोग की सक्रियता काफी पहले शुरू हो गई थी। इसके लिए स्वीप का गठन किया गया था जो मतदान के लिए जागरूकता अभियान चला रहा था। इसमें विभिन्न n.g.oऔर वॉलिंटियर्स का भी सहयोग लिया गयाl रुड़की में तमाम गोष्ठियों, बैनर, होर्डिंग्स आदि के माध्यम से तो जागरूकता अभियान चलाया ही गया था, मैराथन का आयोजन भी किया गया था। इसके अलावा नुक्कड़ नाटक मंडलियां बुलाई गई थी जिन्होंने खासतौर पर भद्र जनों के निवास क्षेत्रों में अपनी परफॉर्मेंस दी थी। “मेरा वोट, मेरी आवाज”, “मतदान अधिकार ही नहीं बल्कि कर्तव्य भी” आदि स्लोगंस के साथ निरंतर प्रयास किए गए थे।
स्कूली विद्यार्थियों, एन एस एस की टीमों, एन सी सी कैडेट्स की टीमों ने सामान्य रैलियां और साइकिल रैलियां आयोजित की थी, सोशल मीडिया पर खूब विज्ञापन चलाए गए थे। इसके बावजूद हालिया इतिहास के मुकाबले मतदान प्रतिशत गिर गया। ऐसे में चुनाव आयोग के सारे प्रयासों की प्रासंगिकता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। जो करोड़ों रुपए इस अभियान पर खर्च हुए उनकी बर्बादी को लेकर असंतोष सामने आ रहा है।