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Costliness: महंगाई की मार का असर दिखने लगा ईद की तैयारियों पर

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रुड़की। अलविदा जुमे की नमाज बीतने के साथ ही रोजेदार अब ईद की तैयारी में जुट गए है। लेकिन महंगाई की मार का असर ईद की तैयारियों पर दिखने लगा है। लोगों में एक तरफ त्यौहार को लेकर उमंग तो है, लेकिन दाम बढ़ने से भीड़ दुकानों से लौट रही है। अधिकांश का बजट साथ नहीं दे रहा है, तो वे हल्के में काम चलने की जुगत कर रहें है। बाजार की नब्ज टटोलने पर सामने आया कि कपड़े से लेकर ईद के मुख्य पकवान तक के दाम में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि बाजार बेजार हैं।

ईद की तैयारी को लेकर नगर के सिविल लाइंस,मेन बाजार,बीटी गंज से लेकर आसपास के मंगलौर, भगवानपुर, झबरेडा, कलीयर आदि नगरो के बाजारों में काफी चहल-पहल बढ़ी है। अलविदा जुमा की नमाज अदा करने के बाद ईद की तैयारियों में जुट गए है। इसक्रम में घर में आपसी सलाह कर लोग बाजार जाकर वापस लौट आ रहें है। दुकानदार गुलाम हुसैन ने बताया कि हर वर्ष सूती कढ़े हुए सलवार शमीज की मांग ज्यादा रहती है। लेकिन इस वर्ष के इन कपड़ों के दामों में दस प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ऐसे में इस वर्ष कपड़ों के दाम बढ़ने से खरीदार कम हो गए है। इस वर्ष कढाई के सूती सूट सबसे कम कीमत ढाई सौ रुपये है। ऊपर का चाहे जितना चले जाए कम है। इसके स्थान पर इस वर्ष सिंथैटिक कपड़ाें की ब्रिकी बढ़ी है। हालांकि बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष सिंथैटिक कपड़ों पर भी पांच प्रतिशत दाम बढ़ा है। इनके दाम तीन सौ से लेकर दो हजार तक के है। वही थान से काटकर बिकने वाले पैंट,शर्ट के दाम में भी प्रति मीटर 20 से 25 रूपये की बढोत्तरी हुई है। इसके अलावा रेडिमेड कपड़ों में कुर्ता पाजामा साढ़े तीन सौ से साढ़े चार सौ तक के बिक रहे है इनके दाम में गत वर्ष से इस वर्ष पचास रूपये की वृद्धि हुई होने के बावजूद नमाज पढ़ने के लिए ज्यादातर लोग खरीदारी कर रहे है। बच्चों का कपड़ा छह सौ से सोलह सौ रूपये तक के बिक रहे है।

गत वर्ष की भांति इनके भी दाम में10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ईद का मुख्य पकवान सेवई भी महंगाई की मार से बची नहीं है। सबसे बारीक सेवई पचपन रूपया किलो उससे मोटी पैतालिस रूपया तथा सबसे मोटी चालीस रूपये किलो के भाव से बि रही है। जबकि देशी घी में तली हुई लच्छेदार सेवई 100 से 140 रूपया किलो के भाव से बिक रही है। बीते वर्ष की तुलना में इस वर्ष सेवइयों के दाम में पांच से दस रूपये की बढ़ोत्तरी हुई है। नौजवान युवक कपड़े खरीद कर बनवाने की जगह जिंस और रेडिमेड शर्ट खरीदने की तरफ ज्यादा झुकाव हुआ है। पूछे जाने पर एक युवक ने बताया कि अगर हम कपड़ा खरीद कर दर्जी से बनवाते है तो कपड़ा और सिलाई लेकर काफी महंगा पड़ जाता है। इसकी अपेक्षा जिंस पैट और शर्ट सस्ते पड़ते है।

Manoj kumar

Editor-in-chief

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