Dehradun: छात्रों के लिए खुशखबरी, योग्यता एवं नौकरी की जरूरत के अनुसार अब खुद-ब-खुद बॉयोडेटा पहुंचेगा कंपनी तक

नई तकनीक के प्रति छात्रों में भारी रुझान
अब नौकरी दिलाने में मददगार बनेगा एआई
देहरादून। अब छात्रों को नौकरी दिलाने में मददगार बनेगा एआई। यूटीयू ने एआई आधारित स्मार्ट प्लेसमेंट एंड इंटर्नशिप सॉफ्टवेयर डेवलप किया है, जिससे खुद-ब-खुद छात्रों की योग्यता एवं नौकरी की जरूरत के अनुसार उनके बॉयोडेटा कंपनी तक पहुंच जाएंगे। इसमें एआई छात्रों के बॉयोडेटा में की-वर्ड को सर्च करेगा और फिर उसी के अनुरूप संबंधित कंपनियों को जानकारी देगा। इस नई तकनीक के प्रति छात्रों में भारी रुझान देखने को मिल रहा है।
वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) ने गत 8 अप्रैल को स्मार्ट प्लेसमेंट ऑटोमेशन सिस्टम लांच किया है। जो एआई तकनीक आधारित है। यह यूटीयू के छात्रों के लिए निशुल्क है, वहीं अन्य निजी संस्थानों के छात्रों से वनटाइम 1000 रुपये रजिस्ट्रेशन शुल्क लिया जाएगा।
इसके बाद छात्रों को लाॅगिन, पासवर्ड मिलेगा। जिसके जरिए छात्र अपना बॉयोडेटा व अन्य जानकारी अपलोड करेंगे। इसके बाद साफ्टवेयर का ऑटोमेशन सिस्टम छात्र की योग्यता के अनुसार सिस्टम में रजिस्टर्ड कंपनियों को बॉयोडेटा भेज देगा। इसके बाद कंपनी और छात्र एक दूसरे से संवाद कर सकते हैं। छात्र कंपनियों के हिसाब से भी अपने बॉयोडेटा को तैयार कर सॉफ्टवेयर में अपलोड कर सकेंगे। यह नौकरी के साथ ही इंटर्नशिप के भी अवसर प्रदान करेगा।
500 कंपनियां और 1200 छात्र हो चुके हैं रजिस्टर्ड
कुछ दिनों में ही सॉफ्टवेयर पर विवि के 1200 छात्र रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। जबकि 500 से ज्यादा कंपनियां भी रजिस्टर्ड हो चुकी है। साफ्टवेयर की खूबी यह है कि इसमें हर समय कितने नौकरी के अवसर हैं और कितनों को नौकरी मिल चुकी है, उसका आकड़ा और ग्राफ जारी होता रहेगा।
तकनीकी संस्थानों की सहमति के बाद किया गया लांच
इस प्लेटफार्म में शामिल होने के लिए विवि की ओर से पिछले साल सितंबर माह में विभिन्न संस्थानों की बैठक लेने के बाद सहमति प्राप्त की गई। साफ्टवेयर व्यू में कंपनियों की संख्या और उनमें रिक्त पद, आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या, ऑफर और सबसे अधिक और सबसे कम पैकेज आदि का सभी ब्योरा डिस्प्ले होगा।
स्मार्ट प्लेसमेंट ऑटोमेशन सिस्टम को लांच कर दिया गया है। इससे छात्रों को प्लेसमेंट में भारी सुविधा होगी। प्राइवेट संस्थानों के छात्रों को संबंधित संस्थान के निदेशक के माध्यम से सूचना देनी होगी। जिसके बाद उन्हें भी इस सुविधा का लाभ मिलेगा। – प्रो. ओंकार सिंह, कुलपति