भारत के बाहर से कई विशेषज्ञों सहित लगभग 500 प्रतिभागी सम्मेलन में लेंगे हिस्सा
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रूड़कीl केन्द्रीय श्रम एवं रोज़गार मंत्री भुपेन्द्र सिंह यादव इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनोमिक्स के 62वें सालाना लेबर इकोनोमिक कॉन्फ्रैन्स का उद्घाटन करेंगेl जिसका आयोजन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रूड़की में किया जाएगा। तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन आईआईटी रूड़की के डिपार्टमेन्ट ऑफ हृमेनिटीज़ एण्ड सोशल साइन्सेज़ द्वारा होगाl इस मौके पर जाने-माने दिग्गज एवं विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे।
आईआईटी मैन बिल्डिंग स्थित बोर्ड रूम मे पत्रकारों से वार्ता करते हुए प्रोफसर दीपक नायर, प्रेज़ीडेन्ट, इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनोमिक्स के अध्यक्ष प्रोफेसर दीपक नायर ने कहा कि आईएसएलई के सालाना सम्मेलन का आयोजन 1958 के बाद से हर साल किया जा रहा है। हालांकि कोविड महामारी के चलते 2020 और 2021 में यह आयोजन नहीं हो सका। कोविड के बाद यह देश का सबसे बड़ा अकादमिक आयोजन होगा। इस साल सम्मेलन में चर्चा के विषय होंगे- रोज़गार की चुनौतियां; माइग्रेशन और विकास; तथा श्रमिकों की सुरक्षा। इसके अलावा सम्मेलन से पहले 10 अप्रैल को ‘कार्य के भविष्य’ विषय पर एक सिम्पोसियम का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें दक्षिणी देशों के इस सम्मेलन में जाने-माने अर्थशास्त्री हिस्सा लेंगे, और हमारे अध्यापकों और छात्रों को उनसे बातचीत करने का अवसर मिलेगा।’ प्रोफसर दीपक नायर, प्रेज़ीडेन्ट, इंडियन सोसाइटी ऑफ लेबर इकोनोमिक्स एवं पूर्व वाईस- चांसलर, दिल्ली युनिवर्सिटी ने कहा, ‘‘तकनीक में बदलाव के चलते श्रम के कार्य के भविष्य में नई चुनौतिया उबर रही है, जिनसे निपटने के लिए शिक्षा और कौशल में बदलाव लाना बहुत ज़रूरी है। यह सम्मेलन भारत एवं दुनिया भर के संदर्भ में इन चुनौतियों पर रोशनी डालेगा।’
प्रोफेसर अलख एन. शर्मा, सम्मेलन के प्रेज़ीडेन्ट एवं डायरेक्टर, इंस्टीट्यूट ऑफ हृमन डेवलपमेन्ट, नई दिल्ली ने कहा, ‘‘यह सम्मेन भारत के कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर रोशनी डालेगा और श्रमिकों के लिए रोज़गार सृजन, माइग्रेशन एवं सामाजिक सुरक्षा जैसे पहलुओं पर नीति निर्माण पर चर्चा को बढ़ावा देगा। यह सम्मेलन श्रम, रोज़गार एवं विकास से जुड़े इन सभी मुद्दों के लिए सबसे महत्वपूर्ण मंच है।’
प्रोफेसर एस. पी. सिंह, डिपार्टमेन्ट ऑफ हृमेनिटीज़ एण्ड सोशल साइन्सेज ने कहा, ‘‘यह सम्मेलन अकादमिकज्ञों और नीति निर्माताओं को उत्कृष्ट मंच प्रदान करेगा, जहां उन्हें श्रम से जुड़े मुद्दों और नीतियों पर अपने विचार प्रस्तुत करने का मौका मिलेगा। भारत के बाहर से कई विशेषज्ञों सहित लगभग 500 प्रतिभागी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। प्लेनेरी एवं टेकनिकल सत्रों के अलावा मैमोरियल लैक्चर्स, पैनल चर्चाएं भी होगी। इसके अलावा ‘उत्तराखण्ड में आजीविकास एवं रोज़गार के सुधार’ पर एक सिम्पोसियम भी सम्मेलन का आकर्षण केन्द्र होगा। यह सिम्पोसियम उत्तराखण्ड के पहाड़ों में आजीविका के विकल्पों की कमी के चलते श्रमिकों के माइग्रेशन के मुद्दे पर रोशनी डालेगा। क्षेत्र से लोगों के माइग्रेशन को रोकने के लिए ज़यरी नीतियों पर चर्चा एवं बहस की आवश्यकता पर ज़ोर देगा।’’