Durga aastmi: दुर्गा अष्टमी पर मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की हुई पूजा अर्चना,

क्षेत्रवासियों ने अष्टमी पर कन्याओ को जिमाया, पूजा अर्चना कर दिए दक्षिणा और उपहार
Durga aastmi:
रुड़की l आज नगर व देहात क्षेत्र में दुर्गाष्टमी पर कुछ लोगों द्वारा व्रत का समापन किया गया इस दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की आराधना की गईl इसके साथ ही अपने घर में पूजा अर्चना के बाद कन्याओं का पूजन कर उन्हें जिमाया गया और कन्याओं को दक्षिणा में उपहार भी भेंट किए गएl आपको बता दें कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गाष्टमी या महाष्टमी व्रत रखा जाता हैl इस दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की आराधना की जाती है. इस साल चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि 08 अप्रैल को रात 11 बजकर 05 मिनट पर शुरु हुई और 09 अप्रैल दिन शनिवार को देर रात 01 बजकर 23 मिनट तक रहेगीl उदयातिथि के अनुसार, दुर्गाष्टमी व्रत आज रखा गयाl जो लोग पूरे 09 दिन तक नवरात्रि व्रत नहीं रखते हैं, वे पहले दिन और दुर्गाष्टमी के दिन व्रत रखते हैंl जिनके यहां दुर्गाष्टमी पर कन्या पूजन होता है, वे इस दिन विधिपूर्वक कन्या पूजन करना करते है l जिनके यहां नवरात्रि का हवन होता है, वे इस दिन विधि विधान से नवरात्रि का हवन भी कर लें. हवन करने से सकारात्मकता एवं शुद्धता बढ़ती हैl दुर्गाष्टमी पर नगर व देहात क्षेत्रों में देवी के मंदिरों पर क्षेत्रवासियों की भारी भीड़ नजर आईl भक्तगण लंबी-लंबी कतारें में लगकर बारी बारी से माता के दर्शन कर रहे थेl वही जिन लोगों ने अष्टमी के दिन अपने व्रत का समापन कियाl उन लोगों ने मंदिरों के बाहर कन्याओं का पूजन कर उन्हें भोजन कराया इसके साथ ही दक्षिणा एवं उपहार भेंट किएl
दुर्गाष्टमी का महत्व
इस दिन मां महागौरी की पूजा विधिपूर्वक करते हैं. उनकी कृपा से सुख, सफलता, धन, धान्य, संपत्ति और विजय प्राप्त होती हैl देवी महागौरी को मां अन्नपूर्णा का स्वरूप मानते हैं, जिन पर उनकी कृपा होती है, उसे जीवन में कभी भी धन धान्य की कमी नहीं रहतीl दुर्गाष्टमी के अवसर पर कन्या पूजन करते हैंl मां दुर्गा के साक्षात् स्वरूप कन्याओं से आशीर्वाद लेने से सुख एवं सौभाग्य प्राप्त होता हैl महागौरी सफेद रंग के वस्त्र और आभूषण धारण करती हैंl वे गौर वर्ण की हैं. भगवान शिव को पाने के लिए इन्होंने कठोर साधना की, जिससे इनका शरीर काला हो गया. जब भगवान शिव प्रकट हुए तो उन्होंने गंगाजल से उनके शरीर को शुद्ध कर दियाl जिससे ये गौर वर्ण की हो गईंl