Roorkee: केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह का आयोजन, मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में भारतीय विज्ञान और अनुसंधान के महत्व को किया रेखांकित

रुड़कीl सीएसआईआर-केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह सफलता के साथ संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में वैज्ञानिकों, छात्रों, शोधकर्ताओं, पेशेवरों और विज्ञान के प्रति उत्साही लोगों की उत्साहपूर्ण भागीदारी देखी गई।
इस उत्सव में विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के प्रति गहरी समझ और सराहना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आकर्षक गतिविधियों की एक श्रृंखला प्रदर्शित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत बाल विद्या मंदिर स्कूल में नए भवन के उद्घाटन से हुई, जिसके बाद ‘विकसित भारत के लिए विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व हेतु भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना’ विषय पर चयनित प्रतिभागियों द्वारा प्रस्तुतियाँ दी गईं।
इससे पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. एम.के. गोयल ओर संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर. प्रदीप कुमार ओर मंचासीन डॉ. अजय चौरसिया, एस.के. नेगी ओर कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश चंद्र थपलियाल के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन से हुआ। इसके बाद संस्थान के निदेशक प्रो. आर. प्रदीप कुमार ने उद्घाटन भाषण दिया, जिसमें उन्होंने विज्ञान और नवाचार के बढ़ते प्रभाव पर प्रकाश डाला। इस अवसर “एक स्वास्थ्य, एक विश्व” (OHOW 2025) विवरणिका का विमोचन डॉ. अजय चौरसिया द्वारा विस्तृत जानकारी के साथ किया गयाl इसी के साथ डॉ. किशोर ने जलवायु अनुकूल भवन डिज़ाइन दिशानिर्देश विवरणिका का विमोचन मुख्य अतिथि द्वारा किया। यह पुस्तक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में टिकाऊ, ऊर्जा-कुशल इमारतों के निर्माण, पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक प्रगति के साथ मिश्रित करने के लिए एक व्यापक मार्गदर्शिका के रूप में कार्य कर सकती है।
इसके बाद आशीष ओर चंद्रभान पटेल ने भी गुणवत्ता ऑडिट डैशबोर्ड ‘प्रहरी’ का उद्घाटन मुख्य अतिथि द्वारा किया गया इसके अलावा, संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर. प्रदीप कुमार के द्वारा दो नवीन तकनीकों को लोकजगत के क्षेत्र मे उतारने के लिए प्रस्तुत किया जिनमे एक (1) टेक्नॉलजी उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए मड ब्लॉक मशीन ओर जिसकी विस्तृत जानकारी डॉ. रवींद्र बिष्ट द्वारा दी गई ओर उन्होंने बताया कि उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों के लिए “मड ब्लॉक मशीन” तकनीक दूरस्थ, पहाड़ी और कठोर भूभागों में निर्माण से जुड़ी चुनौतियों का सामना करने हेतु एक स्थायी और किफायती समाधान प्रदान करती है। यह मशीन एक यांत्रिक उत्पादन प्रणाली का उपयोग करती है, जो प्रति बैच 2 ब्लॉक तैयार करती है और केवल दो ऑपरेटरों के साथ एक शिफ्ट में 1000 ब्लॉक तक उत्पादन करती है।
एवं (2) ऊर्जा-कुशल सौर-सहायता प्राप्त ऊष्मा पम्प वॉटर हीटर जो गर्म पानी की उपलब्धता को अधिक टिकाऊ और किफायती बनाएगा जिसकी विस्तृत जानकारी डॉ. चन्दन स्वरूप मीना द्वारा दी गई। एवं दूसरी उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पारंपरिक जल हीटिंग प्रणालियाँ ऊर्जा की दृष्टि से अत्यधिक खपत करने वाली होती हैं।
इस समस्या को हल करने के लिए, सीएसआईआर-सीबीआरआई ने अत्यधिक मौसम परिस्थितियों के लिए एक समाधान पेश किया है, जैसे कि लेह-लद्दाख, सियाचिन, हिमाचल, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड और उत्तर-पूर्वी क्षेत्र। यह प्रणाली अत्यधिक ठंडे पर्यावरण तापमान (10℃ से -25℃ तक) से गर्मी निकाल सकती है। यह तकनीक बिजली की खपत को 60% से 75% तक कम कर सकती है, जो स्थान और साइट के आधार पर इलेक्ट्रिक गीजरों की तुलना में होती है।
इसे एक बार निवेश के रूप में स्थापित किया जा सकता है, जिसके बाद यह लंबी अवधि के लाभ और पर्याप्त बिजली बचत प्रदान करती है। बढ़ती हुई बिजली की लागत और जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन पर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के साथ, यह नवाचारी तकनीक एक स्थिर समाधान पेश करती है जो जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता को कम करती है। इसके अलावा, इसका कम-कार्बन फुटप्रिंट और घटित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन इसे पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार समाधान बनाता है जो भारत के नवीनीकरणीय ऊर्जा और स्थिरता लक्ष्यों के अनुरूप है। इसके बाद मुख्य अतिथि का परिचय एस.के. नेगी द्वारा दिया गया।
मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में भारतीय विज्ञान और अनुसंधान के महत्व को रेखांकित किया। इसके बाद मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कार वितरण डॉ। राजेश कुमार के सहायता से किया गया , जिसमें विज्ञान कार्यक्रम का समापन डॉ. हेमलता द्वारा धन्यवाद ज्ञापन और राष्ट्रगान के साथ हुआ।