Uttarakhand: एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की “मैपिंग लैंडस्लाइड एंड वल्नेरेबिलिटी जोन्स ऑन चार धाम यात्रा रूट – अ सिटिजन सेंट्रिक लेंस” रिपोर्ट
![Uttarakhand: एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की “मैपिंग लैंडस्लाइड एंड वल्नेरेबिलिटी जोन्स ऑन चार धाम यात्रा रूट – अ सिटिजन सेंट्रिक लेंस” रिपोर्ट Uttarakhand: एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की “मैपिंग लैंडस्लाइड एंड वल्नेरेबिलिटी जोन्स ऑन चार धाम यात्रा रूट – अ सिटिजन सेंट्रिक लेंस” रिपोर्ट](https://i2.wp.com/opinionpower.in/wp-content/uploads/2025/02/bhuskhalan.jpg?w=780&resize=780,470&ssl=1)
देहरादून। एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड राज्य में बार-बार होने वाले भूस्खलन और जाम को राज्य की आर्थिकी और लोगों की सुरक्षा के लिए बेहद चिंताजनक बताया है। फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने “मैपिंग लैंडस्लाइड एंड वल्नेरेबिलिटी ज़ोन्स ऑन चार धाम यात्रा रूट – अ सिटिज़न सेंट्रिक लेंस” नामक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा की बदरीनाथ और सिरोबगड़ के बीच उनके नागरिक दृष्टिकोण से 20 प्रमुख भूस्खलन इस मार्ग के सबसे ज्यादा संवेदनशील जोन है। उन्होंने कुमाऊं के क्वारब का भी उदाहरण दिया, जहां हुए भूस्खलन के कारण पूरे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप हुई।
एसडीसी फाउंडेशन के दिनेश सेमवाल ने सचिव आपदा प्रबंधन, विनोद कुमार सुमन को सचिवालय में रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट की एक कॉपी लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता राजेश चंद्र शर्मा को भी दी गयी है। अन्य संबधित विभागों को भी रिपोर्ट सौंपे जाने का काम जारी है।
अनूप नौटियाल ने कहा कि नवम्बर के महीने में उन्होंने बदरीनाथ धाम की यात्रा की थी। इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर बदरीनाथ से सिरोबगड़ के बीच नागरिक दृष्टिकोण से उन्होंने 20 ऐसे प्रमुख भूस्खलन जोन देखे, जो इस राजमार्ग पर यात्रा करने वालों के लिए जानलेवा साबित हो सकते हैं। उन्होंने इन सभी 20 जोन का रिपोर्ट में डॉक्यूमेंटेशन करते हुए इस में जरूरी सुरक्षात्मक प्रबंध करने की मांग की है।
उन्होंने अफसोस जताया कि इस महत्वपूर्ण सड़क के कई हिस्सों में या तो व्यापक स्तर पर भूस्खलन हुआ है या वे भूस्खलन की दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील हैं। जहां पहले चट्टानें गिर चुकी हैं, वहां सड़क पर गहरी दरारें और कटाव हैं। अगर इन जगहों पर गतिशीलता के साथ ध्यान नहीं दिया गया तो ये आने वाले समय में बड़ा खतरा बन सकती हैं। बदरीनाथ से सिरोबगड़ के बीच जिन 20 संवेदनशील भूस्खलन जोन को चिन्हित किया गया, वे अत्यधिक संवेदनशील हैं।
अनूप नौटियाल ने कुमाऊं क्षेत्र के क्वारब का भी उदाहरण दिया, जहां हल्द्वानी-अल्मोड़ा राजमार्ग पर हुए भूस्खलन के कारण इस मार्ग को काफी समय के लिए बंद रखना पड़ा। इससे काफी समय के लिए क्षेत्र की सभी गतिविधियं लगभग ठप हुई। उन्होंने इस तरह के भूस्खलन के अलावा सड़कों पर बार-बार लगने वाले जाम को भी राज्य की आर्थिकी के लिए नुकसानदेह बताया है और इन समस्याओं से निपटने के लिए त्वरित गति से काम करने की बात कही है।
फाउंडेशन की रिपोर्ट में सुरक्षा संबंधी 5 बिंदु भी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, सीमा सड़क संगठन और स्थानीय प्रशासन को दिये गए हैं। इनमें मुख्य रूप से क्षतिग्रस्त सड़क की सतहों को मजबूत करने, रिटेनिंग वॉल या वायर मेश लगाने, जल निकासी व्यवस्था में सुधार करने, चेतावनी प्रणाली स्थापित करने, नियमित निगरानी रखने, रखरखाव की व्यवस्था करने और आपात स्थिति में जल्द से जल्द बचाव व राहत अभियान शुरू करने जैसी योजनाओं पर काम करने की मांग की गई है।