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क्या आप रोजाना अच्छी नींद ले पा रहे हैं? अगर नहीं, तो आपकी सेहत पर हो सकता है इसका दुष्प्रभाव 

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अच्छी सेहत के लिए पौष्टिक आहार और नियमित व्यायाम जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है रोज रात में अच्छी और गहरी नींद लेना। तमाम अध्ययनों से पता चलता है कि वयस्कों को रोजाना रात में कम से कम 6-9 घंटे की गहरी नींद जरूर लेनी चाहिए। एक रात भी अगर आपकी नींद पूरी नहीं होती है तो अगले दिन सेहत पर इसका दुष्प्रभाव हो सकता है। क्या आप अच्छी नींद ले पा रहे हैं?

ये सवाल इसलिए क्योंकि हाल के वर्षों में नींद न आने की समस्या (अनिद्रा) के मामलों में काफी वृद्धि हुई है। वयस्कों से लेकर बुजुर्ग तक सभी आयु के लोगों को इसका शिकार देखा जा रहा है। अनिद्रा क्या किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का कारण है या इसकी वजह से आपको कोई गंभीर बीमारी हो सकती है? नींद की समस्याओं से छुटकारा कैसे पाया जा सकता है, आइए इन सबके बारे में विस्तार से समझते हैं।

नींद न आने की समस्या (अनिद्रा)

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की सेहत को ठीक बनाए रखने के लिए अच्छी नींद की जरूरत होती है। नींद के दौरान शरीर में कई प्रकार की रासायनिक क्रियाएं होती हैं, हार्मोन्स उत्पादित होते हैं जो आपको स्वस्थ रखने और तरोताजा बनाए रखने में मदद करते हैं। हालांकि आधुनिक जीवनशैली, तनाव और अन्य कई कारकों के कारण बहुत से लोग नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं।

यह समस्या न केवल थकावट का कारण बनती है, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का रूप भी ले सकती है। दीर्घकालिक रूप में इसके कारण हापरटेंशन और अवसाद जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

नींद की गोलियों या ‘मेलाटोनिन की गोलियों’ की न बनाएं आदत

अक्सर लोग नींद की समस्याओं को दूर करने के लिए ‘मेलाटोनिन’ टेबलेट लेना शुरू कर देते हैं। मेलाटोनिन एक हार्मोन है जो आपका मस्तिष्क अंधेरे के प्रति प्रतिक्रिया में पैदा करता है। यह आपके सर्कैडियन रिदम (आंतरिक घड़ी) और नींद में मदद करता है। बाजार में मेलाटोनिन के स्तर को कंट्रोल करने के लिए कई टेबलेट मौजूद हैं। यह सप्लीमेंट मस्तिष्क में पीनियल ग्रंथि द्वारा स्वाभाविक रूप से उत्पादित हार्मोन का एक सिंथेटिक वर्जन होते हैं जो नींद लाने में मददगार हो सकते हैं।

हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, इस सप्लीमेंट पर निर्भर होने से बचना चाहिए। नई दिल्ली स्थित एक अस्पताल में स्लीप संबंधित श्वसन विकारों की डॉक्टर नीतू जैन कहती हैं, अनिद्रा की समस्या में मेलाटोनिन का सहारा नहीं लेना चाहिए। आप पहले ये समझने की कोशिश करिए कि नींद न आने की वजह क्या है और उसमें कैसे सुधार किया जा सकता है?

नींद न आने की समस्या कई तरह से नुकसानदायक

नींद विकारों की समस्या कई प्रकार से आपकी शारीरक और मानसिक सेहत को प्रभावित करने वाली हो सकती है। अनिद्रा की दिक्कत बने रहने के कारण थकान और ऊर्जा की कमी तो होती ही है साथ ही आपकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने,मोटापा और हृदय रोग की समस्या, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का जोखिम भी बढ़ जाता है।

मानसिक स्वास्थ्य पर भी नींद की कमी के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसके कारण आपको एकाग्रता और याददाश्त कमजोर होने, अवसाद और चिड़चिड़ापन की समस्या होने, उत्पादकता में कम का जोखिम रहता है। लंबे समय तक नींद की दिक्कत बने रहने के कारण डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

कैसे पाएं आराम?

विशेषज्ञ कहते हैं, दवाओं पर निर्भर होने की जगह स्लीप हाइजीन में सुधार करें। इसके लिए रोज सोने का एक समय रखना, अपने दिमाग को आराम देने वाले उपाय जैसे मेडिटेशन-अच्छे संगीत सुनना, शरीरिक रूप से सक्रिय रहना और सोने से कम से कम एक घंटे पहले स्क्रीन या डिवाइस से दूर रहना शामिल है।

समय पर न सोना और जागना, काम के घंटे बदलना या रात को देर तक काम करना नींद के चक्र को प्रभावित करता है। मोबाइल-कंप्यूटर जैसे उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन के उत्पादन को बाधित करती है, जिससे नींद नहीं आती। इनमें सुधार जरूरी हैं।

(साभार)

Manoj kumar

Editor-in-chief

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