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Uttrakhand news: पुरकल गांव में तेंदुए के हमले से दहशत, युवाओं ने घायल तेंदुए के साथ सेल्फी लेने की कोशिश की, फिर हुआ हादसा

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Uttrakhand news: उत्तराखंड के देहरादून जिले के पुरकल  गांव में तेंदुए के हमले से हड़कंप मच गया। यह घटना उस समय घटी जब दो युवक घायल तेंदुए के साथ सेल्फी लेने के लिए पास पहुंच गए। तेंदुआ, जो एक जंगली सूअर को पकड़ने के लिए लगाए गए जाल में फंसा हुआ था, युवक की नासमझी के कारण जाल से बाहर निकल गया और एक युवक पर हमला कर दिया। हालांकि युवक ने किसी तरह अपनी जान बचा ली, लेकिन इसके बाद तेंदुआ घबराकर जंगल की ओर भाग गया। इस हमले के बाद गांववाले दहशत में हैं और वन विभाग ने इलाके में गश्त बढ़ा दी है।

घटना का विवरण

यह घटना रविवार की है, जब एक तेंदुआ, जो पिछले कुछ दिनों से आसपास के जंगलों में घूम रहा था, एक जाल में फंस गया। यह जाल विशेष रूप से जंगली सूअर को पकड़ने के लिए लगाया गया था। गांववालों ने तेंदुए के फंसने की सूचना वन विभाग को दी थी, लेकिन उससे पहले ही दो युवक उसकी फोटो और वीडियो लेने के लिए जाल के पास पहुंच गए। जैसे ही तेंदुआ जाल से बाहर निकलने की कोशिश करने लगा, वह घबराकर और ज्यादा झटका देने लगा। इसी दौरान तेंदुआ जाल से बाहर निकल आया और एक युवक पर हमला कर दिया।

Uttrakhand news: पुरकल गांव में तेंदुए के हमले से दहशत, युवाओं ने घायल तेंदुए के साथ सेल्फी लेने की कोशिश की, फिर हुआ हादसा

स्थानीय निवासी शलभ सक्सेना ने बताया कि तेंदुआ घायल था और जाल से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। उसी समय दोनों युवक पास पहुंच गए और उसे डराने की कोशिश की। इससे तेंदुआ घबराकर और अधिक झूलने लगा और जाल से बाहर निकलते हुए एक युवक पर हमला कर दिया। जब गांववालों ने शोर मचाया, तो तेंदुआ घबराकर जंगल की ओर भाग गया और युवक किसी तरह अपनी जान बचाने में सफल रहा।

वन विभाग की कार्रवाई

घटना के बाद, वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और तेंदुए की तलाश शुरू की। रैपिड रेंज के अधिकारियों ने बताया कि गश्त को तेज किया गया है और तेंदुए कोResidential क्षेत्रों से दूर करने के लिए रात भर हवाई फायरिंग की जा रही है। इसके अलावा, किमाड़ी और कद्दूवाला क्षेत्रों में दो तेंदुओं के देखे जाने की भी सूचना मिली है। वन विभाग की टीमें पूरे क्षेत्र में तेंदुए की खोज कर रही हैं और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।

पिछले साल भी था तेंदुए का आतंक

यह पहली बार नहीं है कि देहरादून में तेंदुए का आतंक फैला है। पिछले साल भी सर्दियों में तेंदुए के हमलों से कई क्षेत्रों में हड़कंप मच गया था। खासकर डून के बाहरी इलाकों में तेंदुए की गतिविधियां बढ़ गई थीं। इसके कारण शिगली, डांडा लखौंड, शिवगंगा एन्क्लेव, नहर रोड, सोंधोवाली, चिदोनवाली, संतलादेवी जैसे इलाकों में तेंदुए की खौफनाक घटनाएं सामने आईं थीं। अक्टूबर 2023 में शिगली गांव में एक तेंदुए ने एक चार साल के बच्चे को अपने शिकार बना लिया था। इसके बाद सोंधोवाली क्षेत्र में भी तेंदुए ने एक बच्चे पर हमला किया और उसे घायल कर दिया था।

वन विभाग की तत्परता

तेंदुए की बढ़ती घुसपैठ को लेकर वन विभाग ने पिछले साल भी गश्त बढ़ा दी थी। इस बार भी विभाग पूरी तरह से सतर्क है। रैपिड और मालसी रेंज के साथ-साथ मुख्यालय की रेस्क्यू टीम को भी इलाके में गश्त लगाने के लिए कहा गया है। विभाग ने लोगों से तेंदुए के किसी भी प्रकार के संपर्क में आने से बचने और तुरंत वन विभाग को सूचना देने की अपील की है।

तेंदुए के हमलों की बढ़ती घटनाएं

तेंदुए के हमलों का एक कारण यह भी हो सकता है कि इन जानवरों का प्राकृतिक निवास स्थान धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। वन्यजीवों के लिए जंगलों के क्षेत्रों में घुसपैठ करना मुश्किल हो रहा है, जिसके कारण वे मानव-आवासित क्षेत्रों में आकर शिकार करने लगे हैं। सर्दियों में वन्यजीवों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं, और तेंदुए जैसे मांसाहारी जानवर इंसानों के आसपास आने की अधिक संभावना रखते हैं।

क्या किया जाए?

पुरकल  गांव में हुई घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि तेंदुए के खतरे को लेकर सभी को सतर्क रहना चाहिए। वन विभाग को अपनी गश्त और निगरानी को और अधिक प्रभावी बनाना होगा। इसके साथ ही, स्थानीय निवासियों को भी तेंदुए के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए और उन्हें इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए उचित जानकारी दी जानी चाहिए।

गांववालों को भी यह समझने की जरूरत है कि तेंदुए जैसे वन्यजीवों से जुड़ी घटनाओं में उनकी जान जोखिम में डालने का कोई भी प्रयास न केवल उनके लिए बल्कि उनके आस-पास रहने वाले लोगों के लिए भी खतरे का कारण बन सकता है।

पुरकल  गांव में हुए तेंदुए के हमले ने वन्यजीवों के साथ संपर्क में आने के खतरों को फिर से उजागर किया है। वन विभाग ने तेंदुए की खोज शुरू कर दी है और इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है। अब यह जरूरी है कि स्थानीय लोग और प्रशासन मिलकर इस खतरे से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।

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