Sidhbali Mahotsav: कोटद्वार में सिद्धबली बाबा महोत्सव के आखिरी दिन बाबा का जागर आयोजित किया गया, जिसमें बाबा के डंडे की ध्वनि गूंज उठी। गुरु गोरखनाथ, माता भगवती, भैरों, नरसिंह और हनुमानजी के जागरों के साथ डौर-थाली की धुन पर देवता भक्तों के साथ नृत्य करते नजर आए। सुबह से लेकर दोपहर तक भक्तों ने बाबा के जागर सुनें और उनकी पूजा अर्चना की।
जागर की शुरुआत और उत्सव का माहौल
रविवार को बाबा के जागर का आयोजन एकादश कुंडीय यज्ञ स्थल में सुबह 10 बजे से किया गया। जागरी अपनी डौर-थाली लेकर आए और सबसे पहले भगवान श्री गणेश की पूजा की। इसके बाद उन्होंने माता भगवती, नरसिंह, गुरु गोरखनाथ और हनुमानजी के जागर गाए। जागर की धुन सुनते ही भक्तों के बीच एक अद्भुत ऊर्जा का संचार हुआ। विशेष रूप से माता भगवती का जागर गाते ही, कई महिलाओं पर माता भगवती का आशीर्वाद हुआ और वे नृत्य करने लगीं।
देवताओं का आगमन और भक्तों की आस्था
माता भगवती के जागर के बाद, जैसे ही गुरु गोरखनाथ और हनुमानजी के जागर शुरू हुए, कई भक्तों पर देवताओं का आशीर्वाद हुआ। भक्तों के चेहरे पर सुख, शांति और समृद्धि की लहर छा गई। इन जागरों के दौरान, भैरों और नरसिंह देवता के पाश्वा पर जलते हुए अंगारे थे, और वे इन अंगारों पर नृत्य करने लगे। देखकर भक्तों का मन प्रसन्न हो गया और उन्होंने देवताओं को शांति देने के लिए उनके ऊपर दीपक, अगरबत्ती और गंगाजल छिड़का।
सिद्धबली बाबा का आशीर्वाद
जब सिद्धबली बाबा का जागर शुरू हुआ, तो सिद्धबली बाबा स्वयं अपने पाश्वा पर प्रकट हुए और नृत्य करने लगे। यह दृश्य भक्तों के लिए अत्यंत श्रद्धा और आस्था से भरा हुआ था। लोग बाबा की पूजा करते हुए उनकी भक्ति में डूबे हुए थे और बाबा से सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना कर रहे थे। बाबा का डंडा और जागरों की ध्वनि पूरे वातावरण में एक दिव्य ऊर्जा का संचार कर रही थी, जिसे सुनकर भक्तों की आस्था और विश्वास में वृद्धि हो रही थी।
भक्तों का उमड़ा हुआ आस्था का सैलाब
इस दिन के आयोजन में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी थी। भक्तों ने पूरी श्रद्धा और भाव से बाबा के जागरों में भाग लिया। डौर-थाली की धुन पर नृत्य करते हुए भक्तों ने बाबा से अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना की। सिद्धबली बाबा के जागर के दौरान वातावरण में एक अद्भुत माहौल था, जहां भक्तों के साथ-साथ देवताओं का भी आशीर्वाद महसूस किया जा रहा था।
सिद्धबली महोत्सव का धार्मिक महत्व
सिद्धबली बाबा महोत्सव, जो हर साल आयोजित किया जाता है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक अवसर होता है। यह महोत्सव न केवल भक्तों के लिए एक श्रद्धा का अवसर है, बल्कि यह भी उनके जीवन में शांति, सुख और समृद्धि लाने का माध्यम बनता है। सिद्धबली बाबा के जागर की ध्वनि से समूचा कोटद्वार क्षेत्र गूंज उठता है, और यह वातावरण में एक दिव्य ऊर्जा का संचार करता है। इस महोत्सव के दौरान भक्तों का अटूट विश्वास और आस्था भगवान के प्रति उनकी भक्ति को और भी गहरा करता है।
समापन और आशीर्वाद
सिद्धबली बाबा महोत्सव का समापन एक भव्य पूजा और आरती के साथ हुआ, जिसमें सभी भक्तों ने एकजुट होकर बाबा से आशीर्वाद प्राप्त किया। इस महोत्सव के दौरान भक्तों ने अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए बाबा से प्रार्थना की और उनकी कृपा प्राप्त की। इस आयोजन ने सभी भक्तों के दिलों में एक विशेष स्थान बना लिया है, और वे अगले साल फिर से इस महोत्सव का हिस्सा बनने का इंतजार करेंगे।
सिद्धबली महोत्सव न केवल धार्मिक आस्था और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में एकता और सांस्कृतिक विरासत को बनाए रखने का भी एक माध्यम है। बाबा के जागरों और उनके आशीर्वाद से भक्तों का जीवन और भी दिव्य हो जाता है। इस महोत्सव में शामिल होने से भक्तों को शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है, जो उनके जीवन को एक नया दिशा देती है। सिद्धबली बाबा महोत्सव की समाप्ति पर भक्तों के दिलों में एक नई आशा और विश्वास का संचार हुआ, और यह महोत्सव आगामी वर्षों में और भी धूमधाम से मनाया जाएगा।