Uttrakhand news: त्रियुगीनारायण में शादी का उत्साह बढ़ा, अप्रैल तक बुकिंग पूरी, यह पवित्र स्थल है खास
Uttrakhand news: उत्तराखंड के धार्मिक स्थल त्रियुगीनारायण में विवाह समारोहों का आयोजन हर साल बढ़ता जा रहा है। यह वह स्थल है, जहाँ भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था, और यहां होने वाली शादियाँ अब एक खास धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्राप्त कर चुकी हैं। स्थानीय लोग ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों से भी लोग अपनी बेटियों और बेटों की शादी के लिए इस पवित्र स्थान का चयन कर रहे हैं। इस बढ़ते हुए आकर्षण को देखते हुए, यहाँ की बुकिंग अब 30 अप्रैल 2025 तक पूरी हो चुकी है।
त्रियुगीनारायण मंदिर: भगवान शिव-पार्वती का विवाह स्थल
त्रियुगीनारायण मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग पर सोनप्रयाग से 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यहाँ पर भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज भी यहां मौजूद है। यहां की अखंड ज्योति और यज्ञ वेदी, जो कि तीन युगों से जल रही हैं, यहां के धार्मिक धरोहरों का हिस्सा हैं।
हर साल लाखों श्रद्धालु यहां भगवान शिव-पार्वती के विवाह स्थल और उनकी अखंड ज्योति के दर्शन करने के लिए आते हैं। विशेष रूप से केदारनाथ यात्रा के दौरान इस स्थान पर एक रिकॉर्ड 6 लाख से अधिक भक्तों ने दर्शन किए। त्रियुगीनारायण में विवाह स्थल के रूप में पहचाना जाना अब धार्मिक पर्यटन का एक अहम हिस्सा बन चुका है।
बढ़ता हुआ विवाह पर्यटन
2017 में राज्य सरकार ने त्रियुगीनारायण को एक विवाह स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। तब से इस स्थल पर विवाह समारोहों का आयोजन तेजी से बढ़ा है। इस साल 150 से अधिक विवाहों का आयोजन इस मंदिर में हुआ है, जिसमें से नवंबर महीने में अकेले 100 से ज्यादा शादियाँ संपन्न हुईं। यहां होने वाली शादियाँ न केवल एक धार्मिक अनुभव होती हैं, बल्कि पर्यटकों के लिए एक यादगार यात्रा बन जाती हैं।
पिछले कुछ वर्षों में स्थानीय और बाहरी राज्यों से लोग त्रियुगीनारायण में अपनी शादियाँ कराने के लिए आ रहे हैं। उत्तराखंड के पौड़ी, श्रीनगर, देहरादून और दिल्ली जैसे स्थानों से लोग यहां विवाह करने के लिए आते हैं। यही कारण है कि यहाँ विवाह समारोहों की बुकिंग अब 2025 तक की जा चुकी है।
धार्मिक महत्त्व और विशेष दिन
इस पवित्र स्थल पर होने वाली शादियाँ केवल एक सामान्य विवाह नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था से जुड़ी होती हैं। यहां विवाह करने से भक्तों का विश्वास है कि वे भगवान शिव और पार्वती की तरह एक-दूसरे से जीवनभर का साथ निभाएंगे। इस वर्ष मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, महाशिवरात्रि, बैसाखी और विजयदशमी जैसे प्रमुख अवसरों पर यहां विवाह समारोह आयोजित किए गए। इन अवसरों पर होने वाली शादियों की बुकिंग पहले ही पूरी हो चुकी है, और लोग अगले साल की तारीखों के लिए अग्रिम बुकिंग करा रहे हैं।
पर्यटन और व्यवसाय में वृद्धि
त्रियुगीनारायण में विवाहों के आयोजन से स्थानीय व्यापार को भी काफी बढ़ावा मिला है। त्रियुगीनारायण व्यापार संघ के अध्यक्ष महेन्द्र सेमवाल ने बताया कि इस मंदिर में होने वाली शादियों के कारण स्थानीय बाजार में भी रौनक आ गई है। इस वर्ष, विशेष रूप से केदारनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या के कारण बाजार में लगातार ग्राहकों की भीड़ रही, जिससे व्यापारियों को अच्छा लाभ हुआ है। उन्होंने सरकार से इस क्षेत्र की सड़कों और अन्य बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने की अपील की है ताकि यहां आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को और अधिक सुविधाएं मिल सकें।
त्रियुगीनारायण के लिए सुविधाओं की कमी
हालांकि त्रियुगीनारायण को एक प्रमुख विवाह स्थल के रूप में स्थापित करने के लिए राज्य सरकार ने 2017 में इसे एक ‘वेडिंग डेस्टिनेशन’ के रूप में घोषित किया था, लेकिन सात साल बाद भी इस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अभी भी सड़क की स्थिति और अन्य सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
यहां की मुख्य सड़क सोनप्रयाग से त्रियुगीनारायण तक अब भी जर्जर है, और आने-जाने में यात्रियों को कठिनाई होती है। इसके अलावा, वहां के होटलों और खाने-पीने के स्थलों की सुविधाओं में भी सुधार की आवश्यकता है।
भविष्य में त्रियुगीनारायण का विकास
अब जबकि त्रियुगीनारायण में विवाहों का आयोजन लगातार बढ़ता जा रहा है, सरकार को इस स्थान के विकास पर गंभीर ध्यान देना चाहिए। पर्यटन और धार्मिक यात्रा के साथ-साथ विवाह पर्यटन भी एक महत्वपूर्ण उद्योग बन चुका है। इसके विकास से न केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र का पर्यटन उद्योग भी फल-फूल सकेगा।
सरकार को इस क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास, जैसे सड़क निर्माण, आवास सुविधाएं और बेहतर यातायात व्यवस्था की दिशा में काम करना चाहिए। यदि सरकार इन पहलुओं पर ध्यान देती है, तो त्रियुगीनारायण न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे देश और विदेशों से आने वाले पर्यटकों के लिए एक प्रमुख विवाह स्थल बन सकता है।
त्रियुगीनारायण में विवाह का आयोजन न केवल एक धार्मिक अनुभव है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और पर्यटन दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बन चुका है। यहां होने वाली शादियाँ अब केवल एक पारंपरिक रस्म नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक और धार्मिक यात्रा का हिस्सा बन गई हैं। इस पवित्र स्थल के महत्व को समझते हुए, राज्य सरकार को इस क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के सुधार पर ध्यान देना चाहिए, ताकि त्रियुगीनारायण विवाह पर्यटन के साथ-साथ धार्मिक पर्यटन का भी केंद्र बन सके।