दिल्ली

Delhi news: राज्यसभा में राघव चड्ढा ने दिल्ली में प्रदूषण पर उठाया मुद्दा, कहा- “हमें AQI पर बात करनी चाहिए, AI पर नहीं”

Spread the love

Delhi news: दिल्ली और एनसीआर में जैसे ही सर्दी का मौसम शुरू होता है, वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन जाता है। इसके साथ ही इस पर राजनीति भी तेज हो जाती है। इस दौरान आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने मंगलवार को राज्यसभा में दिल्ली में वायु प्रदूषण पर गंभीर चिंता जताई और कहा कि हम बहुत कुछ AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के बारे में बात करते हैं, लेकिन हमें AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) पर बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आज कई ऐसे इलाके हैं जैसे भागलपुर, भिवानी, मुजफ्फरनगर, हापुड़, नोएडा, विदिशा, आगरा और फरीदाबाद, जहां दिल्ली से अधिक प्रदूषण है, लेकिन फिर भी प्रदूषण का सारा दोष किसानों पर डाल दिया जाता है।

प्रदूषण की बढ़ती समस्या और किसानों पर दोषारोपण

राघव चड्ढा ने राज्यसभा में कहा कि प्रदूषण के कारणों पर हमें गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रदूषण के मुद्दे पर किसानों को अकेला नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि आईआईटी ने यह स्पष्ट किया है कि पराली जलाने से प्रदूषण का केवल एक कारण है, लेकिन यह एकमात्र कारण नहीं है। उन्होंने कहा, “हम पूरे साल कहते हैं कि किसान हमारे आपूर्तिकर्ता हैं, लेकिन जैसे ही नवम्बर का महीना आता है, हम उन पर आरोप लगाते हैं और उनसे जुर्माना लगाने की बात करने लगते हैं। किसान मजबूरी में पराली जलाने के लिए विवश हैं।”

Delhi news: राज्यसभा में राघव चड्ढा ने दिल्ली में प्रदूषण पर उठाया मुद्दा, कहा- "हमें AQI पर बात करनी चाहिए, AI पर नहीं"

पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 70 प्रतिशत कमी

राघव चड्ढा ने अपने भाषण में कहा कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में 70 प्रतिशत तक की कमी आई है। उन्होंने कहा, “पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में बड़ी कमी आई है, लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह घटनाएं बढ़ी हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब में चावल की फसल मुख्य रूप से देश की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उगाई जाती है, क्योंकि पंजाब का पारंपरिक आहार चावल नहीं है। इसका असर जमीन के पानी स्तर पर भी पड़ा है और किसानों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ा है।

किसानों की मुश्किलें और पराली जलाने का कारण

राघव चड्ढा ने आगे कहा, “चावल की फसल की कटाई के बाद केवल 10 से 12 दिन का समय होता है, ताकि पराली को हटाया जा सके, क्योंकि अगली फसल की बुआई करनी होती है। मशीनों से पराली हटाने में 2 से 3 हजार रुपये प्रति एकड़ खर्च होते हैं, जिससे किसान मजबूरी में पराली को जलाने के लिए विवश होते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार को किसानों की मदद करनी चाहिए, ताकि वे यह खर्च उठा सकें और पराली जलाने से बच सकें।

केंद्र और राज्य सरकार से किसानों को मदद की अपील

राघव चड्ढा ने कहा, “मैं इस समस्या का एक समाधान लेकर आया हूं। अगर केंद्र सरकार किसानों को पराली हटाने के लिए 2,000 रुपये प्रति एकड़ की मदद देती है और राज्य सरकार 500 रुपये की मदद करती है, तो इस समस्या का एक तात्कालिक समाधान निकल सकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और किसानों को वित्तीय मदद देने के उपायों पर काम करना चाहिए।

प्रदूषण की समस्या का समग्र दृष्टिकोण

राघव चड्ढा ने यह भी कहा कि वायु प्रदूषण के अन्य कारणों पर भी ध्यान देना चाहिए, जिनमें वाहन प्रदूषण, निर्माण कार्यों से निकलने वाली धूल, और औद्योगिक प्रदूषण जैसे कारण शामिल हैं। उन्होंने कहा, “हमें इन सभी कारणों पर ध्यान देना होगा और समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा, ताकि प्रदूषण की समस्या को स्थायी रूप से हल किया जा सके।”

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर और सरकार की नीतियां

दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में हर साल सर्दियों के दौरान भारी वृद्धि देखी जाती है, खासकर दीपावली के आसपास और पराली जलाने के सीजन में। इस समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जैसे कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना, कंस्ट्रक्शन साइट्स पर प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को लागू करना, और पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए किसानों को जागरूक करना। हालांकि, इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को मिलकर काम करने की जरूरत है, ताकि प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सके।

भविष्य के उपाय और समाधान

राघव चड्ढा ने इस मुद्दे के समाधान के लिए कुछ सुझाव दिए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर किसानों को मशीनों से पराली हटाने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए, ताकि किसानों पर बोझ कम हो और वे पराली जलाने की बजाय उसे हटाने का काम करें। इसके अलावा, प्रदूषण को कम करने के लिए दीर्घकालिक उपायों की आवश्यकता है, जैसे कि स्वच्छ ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ावा देना, प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर सख्त नियम लागू करना और सार्वजनिक परिवहन को बेहतर बनाना।

राघव चड्ढा ने राज्यसभा में जो मुद्दे उठाए, वे प्रदूषण से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे किसानों की स्थिति को उजागर करते हैं। उनका यह बयान केवल प्रदूषण की समस्या को सामने लाने का ही नहीं, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति और उनके साथ हो रहे अन्याय की ओर भी ध्यान आकर्षित करता है। प्रदूषण की समस्या के समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा, ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके और किसानों को बेहतर सहायता मिल सके

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button