Uttarakhand news: उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल में ऋषिकेश बद्रीनाथ हाइवे पर एक भीषण हादसा सामने आया है, जिसमें एक वाहन अनियंत्रित होकर सड़क के पेरापेट को तोड़ते हुए आलकनंदा नदी में गिर गया। हादसा होते ही आसपास के गांवों से सूचना मिलते ही पुलिस और एसडीआरएफ (State Disaster Response Force) की टीम मौके पर पहुंच गई और बचाव कार्य शुरू किया। इस दुर्घटना में दो लोगों के वाहन में सवार होने की जानकारी प्राप्त हुई है। फिलहाल बचाव कार्य जारी है, लेकिन नदी में वाहन को निकालने में कई चुनौतियां सामने आ रही हैं।
हादसे की जानकारी मिलते ही पहुंची पुलिस और एसडीआरएफ
स्थानीय लोगों द्वारा दिए गए सूचना के बाद पुलिस और एसडीआरएफ की टीम तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। हादसे की गंभीरता को देखते हुए बचाव कार्य को तत्काल रूप से शुरू कर दिया गया। घटना श्रीनगर गढ़वाल के समीप ऋषिकेश बद्रीनाथ हाइवे पर स्थित एक ऐसे स्थान पर हुई है, जहां सड़कों के किनारे गहरी खाई और नदी की धार मौजूद है, जिससे बचाव कार्य में और भी मुश्किलें उत्पन्न हो रही हैं।
वाहन ने पेरापेट तोड़ा, नदी में गिरा
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह वाहन तेज रफ्तार में था और अचानक चालक के नियंत्रण से बाहर हो गया। चालक ने वाहन को संभालने की कोशिश की, लेकिन वह सड़क पर लगे पेरापेट को तोड़ते हुए नीचे गिर गया और आलकनंदा नदी में जा गिरा। हादसे के बाद वाहन का एक हिस्सा नदी के किनारे पर फंसा हुआ था, जबकि दूसरा हिस्सा पानी में बहने लगा।
घटना के बाद से स्थानीय लोगों के बीच अफरा-तफरी का माहौल हो गया। हालांकि, घटनास्थल पर पहुंचे पुलिस और एसडीआरएफ के जवानों ने स्थिति को संभालते हुए बचाव कार्य की शुरुआत की।
बचाव कार्य में आ रही कठिनाईयां
रिवरबेड में गिरे वाहन को बाहर निकालने में कई प्रकार की चुनौतियाँ आ रही हैं। आलकनंदा नदी का जलस्तर अधिक होने की वजह से पानी में बहने वाले वाहनों और मलबे को निकालना बेहद कठिन हो गया है। एसडीआरएफ टीम की ओर से पानी के तेज बहाव में बचाव कर्मियों को खासे मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। टीम ने पहले वाहन में सवार व्यक्तियों की तलाश करने के लिए खोजबीन शुरू की।
बचाव कार्य में एसडीआरएफ के जवानों के अलावा स्थानीय गोताखोरों और पुलिस कर्मियों ने भी सहायता की। पुलिस द्वारा नाव की मदद से राहत और बचाव कार्य तेज किया गया है।
दो लोगों के घायल होने की आशंका
सूचना के मुताबिक, वाहन में दो लोग सवार थे। हादसे के बाद उनकी स्थिति गंभीर हो सकती है, लेकिन फिलहाल उनकी पहचान नहीं हो पाई है। एसडीआरएफ और पुलिस टीम के सदस्य उनकी खोजबीन कर रहे हैं और इलाज के लिए उन्हें अस्पताल पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।
स्थानीय लोग और बचाव दल के सदस्य वाहन के अंदर फंसे लोगों को निकालने के लिए नदी के किनारे तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। यह स्थिति सभी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि पानी का तेज बहाव और खतरनाक रास्ते बचाव कार्य को और भी जटिल बना रहे हैं।
खराब मौसम और मुश्किल रास्ते
वहीं, उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम की स्थिति भी इस बचाव कार्य को प्रभावित कर रही है। घाटी में अचानक मौसम के खराब होने की संभावना है, जिससे बचाव कार्य को तेज़ी से पूरा करने की आवश्यकता है। इस बीच, बचाव दल के कर्मचारियों ने वाहन को बाहर निकालने के लिए कई उपकरणों का इस्तेमाल करना शुरू किया है, ताकि राहत और बचाव कार्य जल्द से जल्द पूरा हो सके।
गौरतलब है कि यह क्षेत्र दुर्घटनाओं के लिहाज से संवेदनशील है। क्यूंकि हाइवे की स्थिति, तेज मोड़ और खड़ी चढ़ाई के चलते कई बार इस प्रकार के हादसे हो चुके हैं। प्रशासन और एसडीआरएफ द्वारा इन दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन स्थिति को देखते हुए सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
स्थानीय प्रशासन की ओर से अपील
स्थानीय प्रशासन ने अपील की है कि यात्री और वाहन चालक इन खतरनाक इलाकों में यात्रा करते समय विशेष सावधानी बरतें। प्रशासन की ओर से यह भी बताया गया कि यदि किसी भी वाहन को तेज रफ्तार से चलाने की जरूरत हो तो वह पहले सड़कों की स्थिति और मौसम की जानकारी ले लें। साथ ही दुर्घटना की स्थिति में तुरंत मदद के लिए प्रशासन और पुलिस से संपर्क करें।
आलम यह है कि पहाड़ी रास्तों और घाटियों में सुरक्षा उपायों का पालन न करने से इस प्रकार के हादसों का जोखिम अधिक बढ़ जाता है। इसलिए इस मार्ग पर यात्रा करने वालों को सावधानी बरतने और किसी भी खतरे की संभावना के प्रति सचेत रहने की सलाह दी गई है।
अब तक की स्थिति
घटना के समय से लेकर अब तक राहत और बचाव कार्य जारी है। स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने इलाके में यातायात को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है ताकि बचाव कार्य में किसी भी प्रकार की रुकावट न आए। प्रशासन ने इस दुर्घटना के कारण हुए नुकसान की जांच शुरू कर दी है और पूरी घटना की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
हादसे के बाद, स्थानीय निवासी और राहत कार्य में लगे कर्मी लगातार एकजुट होकर इस मुश्किल स्थिति से निपटने का प्रयास कर रहे हैं। फिलहाल वाहन को निकालने का कार्य जारी है और उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही दोनों पीड़ितों को सुरक्षित निकाला जाएगा।
इस घटना ने एक बार फिर से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में यातायात सुरक्षा की गंभीरता को उजागर किया है। राज्य सरकार और प्रशासन को अब इस मुद्दे पर विचार करना होगा कि कैसे इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।
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