Gaya Crime News: गया पुलिस की बड़ी कार्रवाई, साइबर ठगी रैकेट का पर्दाफाश

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Gaya Crime News: बिहार के गया जिले के रामपुर थाना क्षेत्र स्थित मिर्जा गालिब कॉलेज के पास एक निजी मकान में साइबर ठगी के बड़े रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। इस रैकेट को कॉल सेंटर की आड़ में चलाया जा रहा था। पुलिस को मिली जानकारी के अनुसार, उस मकान में चल रहे इस कथित कॉल सेंटर में 37 युवक-युवतियां काम कर रहे थे।

साइबर डीएसपी के नेतृत्व में हुई बड़ी कार्रवाई

साइबर डीएसपी साक्षी राय के नेतृत्व में गठित एक विशेष टीम ने इस कॉल सेंटर पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान पुलिस ने 37 युवक-युवतियों को हिरासत में लिया और उन्हें अलग-अलग थानों में पूछताछ के लिए रखा गया है। इस दौरान पुलिस ने कई लैपटॉप, कंप्यूटर और दस्तावेज भी बरामद किए हैं।

दस्तावेजों की जांच में जुटी पुलिस

पुलिस द्वारा बरामद दस्तावेजों की गहनता से जांच की जा रही है। अभी तक पुलिस ने यह खुलासा नहीं किया है कि छापेमारी में कौन-कौन सी चीजें बरामद हुई हैं। जिन 37 लोगों को हिरासत में लिया गया है, उनकी पृष्ठभूमि, काम करने का तरीका, वेतन भुगतान और भर्ती प्रक्रिया को लेकर तकनीकी सेल द्वारा पूछताछ की जा रही है।

अलग-अलग राज्यों से जुड़े हैं आरोपी

पुलिस सूत्रों के अनुसार, हिरासत में लिए गए युवक-युवतियां अलग-अलग राज्यों से हैं। उनसे यह जानकारी ली जा रही है कि वे इस कॉल सेंटर में कैसे आए, किसके माध्यम से भर्ती हुए और उनका काम करने का तरीका क्या था।

8 घंटे बाद भी नहीं हुआ खुलासा

छापेमारी को 8 घंटे से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन गया पुलिस ने अभी तक कोई विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारी फिलहाल कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

परिजनों का पुलिस थानों पर हंगामा

इधर, जिन 37 युवक-युवतियों को हिरासत में लिया गया है, उनके परिजन भी पुलिस थानों पर पहुंच चुके हैं। वे अपने बच्चों को निर्दोष बताते हुए उन्हें रिहा करने की मांग कर रहे हैं। कुछ परिजन प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बनाने की भी कोशिश कर रहे हैं।

डिलीवरी के नाम पर होती थी ठगी

पुलिस विभाग के अनुसार, यह साइबर क्राइम से जुड़े सबसे बड़े रैकेट में से एक माना जा रहा है। इस रैकेट से जुड़े लोग केवल बिहार में ही नहीं, बल्कि बिहार के बाहर भी लोगों को ऑनलाइन पेमेंट, एटीएम और सामान की डिलीवरी के नाम पर ठगते थे।

ठगी का नेटवर्क कितना बड़ा?

गया पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए इन लोगों की जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि इस रैकेट का नेटवर्क कितना बड़ा है और इसका प्रभाव किन-किन राज्यों तक फैला हुआ है। फिलहाल, फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL), तकनीकी सेल और विशेष टीम हिरासत में लिए गए लोगों के इतिहास और उनके कार्यप्रणाली को खंगालने में जुटी है।

कॉल सेंटर की आड़ में साइबर ठगी

इस रैकेट का संचालन कॉल सेंटर की आड़ में किया जा रहा था। युवक-युवतियां फर्जी कॉल सेंटर के जरिए लोगों को ठगने के लिए प्रशिक्षित थे। वे विभिन्न तरीकों से लोगों को झांसा देकर उनके बैंक खातों से पैसे निकाल लेते थे।

साइबर ठगी के शिकार लोग

पुलिस ने यह भी बताया कि इस रैकेट से जुड़ी शिकायतें पहले भी मिली थीं, लेकिन इस बार ठोस सूचना मिलने पर कार्रवाई की गई। यह रैकेट मुख्य रूप से उन लोगों को निशाना बनाता था, जो ऑनलाइन लेनदेन के बारे में कम जानकारी रखते हैं।

पुलिस की बड़ी उपलब्धि

इस छापेमारी को गया पुलिस की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। पुलिस का दावा है कि इस रैकेट को पकड़ने से साइबर अपराधों पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।

सामाजिक प्रतिक्रिया

इस घटना के बाद स्थानीय लोग और साइबर अपराध के शिकार हुए लोग पुलिस की इस कार्रवाई की सराहना कर रहे हैं। लोगों का मानना है कि ऐसे रैकेट को खत्म करना समाज की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है।

गया में साइबर ठगी के इस बड़े रैकेट का खुलासा न केवल पुलिस के लिए, बल्कि आम जनता के लिए भी एक बड़ी चेतावनी है। कॉल सेंटर के नाम पर चल रहे इस ठगी के खेल ने यह साबित कर दिया है कि तकनीकी युग में अपराधी नए-नए तरीके अपना रहे हैं। पुलिस की इस कार्रवाई से न केवल ठगी के शिकार लोगों को न्याय मिलेगा, बल्कि भविष्य में ऐसे अपराधों पर लगाम लगने की उम्मीद भी बढ़ेगी

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