Uttarakhand News: चमोली में HIV वायरस का फैलाव, 14 वर्षों में 90 मामले आए सामने
Uttarakhand News: उत्तराखंड के चमोली जिले में HIV वायरस के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। पिछले 14 वर्षों (2009-10 से लेकर अब तक) में इस जिले में 90 लोग HIV पॉजिटिव पाए गए हैं। वर्तमान में, 71 लोग जिला ART सेंटर (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) से उपचार ले रहे हैं। पिछले एक साल में जिले में छह नए HIV पॉजिटिव मामले सामने आए हैं, जो स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय बन गए हैं।
चमोली में HIV के फैलाव पर चिंता बढ़ी
चमोली जिले के शांतिपूर्ण घाटियों में HIV वायरस के बढ़ते मामलों ने एक गंभीर चिंता को जन्म दिया है। वर्तमान में, 15 लोग जिला अस्पताल गोपेश्वर के ART सेंटर से HIV का इलाज ले रहे हैं, जिसमें चार पुरुष और 11 महिलाएं शामिल हैं। वहीं, कर्णप्रयाग के ART सेंटर से 56 लोग इलाज प्राप्त कर रहे हैं। पिछले एक साल में, गोपेश्वर जिला अस्पताल में चार और कर्णप्रयाग में दो नए HIV पॉजिटिव मामले सामने आए हैं।
चमोली में ART केंद्र की स्थापना और स्थानीय उपचार
पहले जिले में ART सेंटर नहीं था, लेकिन एक साल पहले कर्णप्रयाग के उप जिला अस्पताल में ART केंद्र की शुरुआत हुई और गोपेश्वर जिला अस्पताल में लिंक ART केंद्र भी स्थापित किया गया। इसके बाद, जो लोग Doon या अन्य स्थानों से HIV की दवाएं लिया करते थे, अब उन्हें अपने ही जिले में यह दवाइयां मिल रही हैं, जिससे उन्हें बेहतर सुविधा मिल रही है।
HIV से जुड़े कुछ विशिष्ट मामले
पिछले एक साल में चमोली जिले में एक विशेष मामला सामने आया, जिसमें एक नवजात बच्चा HIV पॉजिटिव पाया गया। यह बच्चा अपनी गर्भवती मां से संक्रमित हुआ था। हालांकि, अब उस बच्चे का इलाज सफलतापूर्वक चल रहा है और एक साल के उपचार के बाद अब बच्चा HIV निगेटिव हो चुका है, लेकिन उसका इलाज अगले 18 महीनों तक जारी रहेगा। 18 महीने तक यदि बच्चा HIV निगेटिव रहता है, तो उसे सुरक्षित माना जाएगा। ऐसे मामलों में नियमित उपचार 18 महीने तक जारी रहता है, और अगर तब तक HIV का पता नहीं चलता, तो 24 महीने की उम्र में अंतिम परीक्षण किया जाता है।
पति-पत्नी दोनों HIV पॉजिटिव
चमोली जिले में एक और मामला सामने आया है, जिसमें पति और पत्नी दोनों HIV पॉजिटिव पाए गए हैं। हालांकि, दोनों में से किसी का भी ऐसा कोई इतिहास सामने नहीं आया है, जिसमें किसी अन्य व्यक्ति के साथ अवैध संबंध रहे हों। वहीं, एक अन्य मामले में पति HIV पॉजिटिव था जबकि पत्नी निगेटिव पाई गई।
गर्भवती महिलाओं के लिए HIV परीक्षण की अनिवार्यता
गर्भवती महिलाओं के लिए HIV परीक्षण आवश्यक है। यह इसलिए जरूरी है क्योंकि यदि महिला के गर्भवस्था के प्रारंभिक चरण में HIV पॉजिटिव होने का पता चल जाए, तो बच्चे को HIV से बचाया जा सकता है। लेकिन अगर गर्भवस्था के सातवें महीने के बाद परीक्षण किया जाए, तो बच्चे को HIV से बचाना मुश्किल हो सकता है। इस प्रकार, गर्भवती महिलाओं के लिए HIV परीक्षण समय पर किया जाना चाहिए, ताकि यदि आवश्यकता हो तो इलाज शुरू किया जा सके और बच्चे को संक्रमित होने से बचाया जा सके।
HIV परीक्षण और जागरूकता की आवश्यकता
हर व्यक्ति को अपना HIV स्थिति जाननी चाहिए। यदि HIV का समय पर पता चल जाए तो व्यक्ति न केवल खुद को जानलेवा बीमारी जैसे AIDS से बचा सकता है, बल्कि अपने साथी को भी सुरक्षित रख सकता है। HIV एक ऐसी बीमारी नहीं है जो जानलेवा हो, क्योंकि यदि कोई व्यक्ति नियमित दवाइयां लेता है तो वह एक सामान्य जीवन जी सकता है। इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि लोग यह जान सकें कि HIV क्या है और यह कैसे फैलता है।
चमोली में HIV के बढ़ते मामलों के पीछे क्या कारण हो सकते हैं?
चमोली जैसे शांतिपूर्ण और अपेक्षाकृत कम प्रभावित क्षेत्रों में HIV के बढ़ते मामलों के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहले, HIV के प्रति जागरूकता की कमी और सही जानकारी का अभाव है, जिससे लोग इसके जोखिमों से अनजान रहते हैं। इसके अलावा, कई बार असुरक्षित यौन संबंध और असामान्य जीवनशैली भी HIV के प्रसार को बढ़ावा देती है।
प्रभावी उपचार और रोकथाम की दिशा में कदम
HIV के उपचार के लिए ART (एंटी रेट्रोवायरल थेरेपी) एक प्रभावी तरीका है, जिसके माध्यम से HIV पॉजिटिव व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। इसके अलावा, HIV के प्रसार को रोकने के लिए शिक्षा और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि HIV के मामले में जल्द पहचान और इलाज से लोगों को काफी लाभ हो सकता है।
चमोली जिले में HIV वायरस के बढ़ते मामलों पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है। हालांकि ART केंद्रों की स्थापना से लोगों को इलाज की सुविधा मिल रही है, लेकिन इसके बावजूद जागरूकता अभियान और जांच के कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी बनाना जरूरी है। HIV का समय पर पता चलने से व्यक्ति का जीवन बच सकता है और इस गंभीर समस्या का समाधान किया जा सकता है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग को इस दिशा में और भी कदम उठाने होंगे ताकि HIV के प्रसार को रोका जा सके और इसके बारे में लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके।