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Agra Crime: आगरा में पिता ने विकलांग बेटी को जहर देकर की आत्महत्या, क्या पैसों की तंगी ने लिया यह कदम?

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Agra Crime: आगरा में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक पिता ने अपनी विकलांग बेटी को जहर खिला दिया और फिर खुद को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना एत्माद्दौला  थाना क्षेत्र के कटरा वजीर खान इलाके की है, जहां एक गरीब जूता बनाने वाले ने अपनी आर्थिक तंगी और अपनी बेटी की देखभाल की जिम्मेदारी से परेशान होकर यह खौ़फनाक कदम उठाया। इस हादसे ने सभी को हैरान कर दिया है और इस सवाल को जन्म दिया है कि क्या सच में पैसों की तंगी इंसान को इस हद तक मजबूर कर सकती है?

घटना का विवरण

घटना 1 दिसंबर शुक्रवार की सुबह की है, जब चंद्रप्रकाश नामक जूता बनाने वाला व्यक्ति अपनी विकलांग बेटी खुशी के साथ अपने घर में अकेला था। चंद्रप्रकाश की पत्नी रेखा की मार्च 2022 में मृत्यु हो चुकी थी, और उनकी बेटी खुशी, जो कि पैरों से विकलांग थी, उनकी अकेली संतान थी। चंद्रप्रकाश के भाई इन्द्रजीत, जो दिल्ली में रहते थे, उन्होंने सुबह 8 बजे अपने भाई के घर जाने का निर्णय लिया था। इन्द्रजीत जब चंद्रप्रकाश के कमरे में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि खुशी बेड पर पड़ी थी और उसके मुंह से झाग निकल रहा था। यह देख वह बुरी तरह घबराए और शोर मचाया। जब खुशी को कोई हरकत नहीं हुई तो इन्द्रजीत ने किचन में जाकर देखा, जहां चंद्रप्रकाश का शव फांसी से झूल रहा था।

Agra Crime: आगरा में पिता ने विकलांग बेटी को जहर देकर की आत्महत्या, क्या पैसों की तंगी ने लिया यह कदम?

पुलिस जांच और प्रारंभिक निष्कर्ष

पुलिस ने मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं पाया, लेकिन किचन में एक पैकेट में जहर का पदार्थ पाया, जिसे फोरेंसिक टीम ने जब्त कर लिया है। पुलिस के अनुसार, यह शक जताया जा रहा है कि चंद्रप्रकाश ने रात को अपनी बेटी खुशी को जहर दिया और फिर खुद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने चंद्रप्रकाश और उसकी बेटी की शव परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर अपनी जांच जारी रखी है।

परिवार और व्यक्तिगत संघर्ष

चंद्रप्रकाश के परिवार ने पुलिस को बताया कि चंद्रप्रकाश की पत्नी रेखा की मृत्यु के बाद वह अकेले अपनी विकलांग बेटी खुशी की देखभाल कर रहे थे। उनकी बेटी खुशी को चलने के लिए सहारे की आवश्यकता थी, और चंद्रप्रकाश के लिए यह जिम्मेदारी बेहद कठिन हो गई थी। चंद्रप्रकाश ने दूसरी बार शादी की थी, लेकिन हाल ही में उनका रोजगार छिन गया था, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई थी। इसके बावजूद उन्होंने अपनी बेटी की देखभाल की, लेकिन जॉब न मिलने और पत्नी के घर जाने के बाद वह मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे।

परिवार के बयान

इन्द्रजीत ने पुलिस को बताया कि उसने रात करीब 10 बजे अपने भाई से बात की थी, जिसमें चंद्रप्रकाश ने उसे बताया कि वह सोने जा रहे थे। इसके बाद चंद्रप्रकाश से कोई संपर्क नहीं हुआ। चंद्रप्रकाश की पत्नी सीमा, जो दिल्ली में रहती थीं, ने भी पुलिस को बताया कि उन्होंने गुरुवार को अपने पति से वीडियो कॉल के जरिए बात की थी। सीमा ने बताया कि चंद्रप्रकाश उन्हें घर आने के लिए कह रहे थे, और उन्होंने आश्वासन दिया था कि वह कुछ दिनों में घर लौट आएंगे।

बेटी खुशी की विकलांगता

चंद्रप्रकाश के साले सुनील ने बताया कि उनकी बहन रेखा के 16 वर्षों के बाद बेटी खुशी का जन्म हुआ था, लेकिन वह विकलांग थी। इसके बावजूद, चंद्रप्रकाश और रेखा ने खुशी की पूरी देखभाल की और उसे स्कूल भेजने की भी कोशिश की, लेकिन खुशी पढ़ाई में सफल नहीं हो पाई और अंततः उन्होंने उसे स्कूल भेजना बंद कर दिया।

आत्महत्या का कारण

पुलिस के अनुसार, चंद्रप्रकाश के लिए उसकी बेटी की देखभाल बेहद चुनौतीपूर्ण थी। वह अपनी बेटी के लिए आर्थिक संकट से जूझ रहे थे और काम की तलाश में भी थे। उनकी आर्थिक तंगी ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया था, और उनकी पत्नी की अनुपस्थिति ने इस तनाव को और बढ़ा दिया। ऐसा लगता है कि इन्हीं कारणों से उन्होंने आत्महत्या करने का निर्णय लिया और अपनी बेटी को भी साथ में ले लिया।

मुख्यमंत्री का बयान

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस दुखद घटना पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त की है और राज्य सरकार से कहा है कि इस मामले की पूरी तरह से जांच की जाए। उन्होंने कहा कि यह घटना इस बात को उजागर करती है कि मानसिक तनाव और आर्थिक संकट इंसान को किस हद तक मजबूर कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि ऐसे मामलों में पीड़ित परिवारों को सहायता देने के लिए और कदम उठाए जाएं।

मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक दबाव

यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक तंगी किसी भी व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकती है। चंद्रप्रकाश की दुखद मृत्यु और उसकी बेटी के साथ उसकी मृत्यु का कारण उन लोगों के लिए एक कड़ी चेतावनी हो सकती है जो मानसिक तनाव और आर्थिक दबाव से जूझ रहे हैं। इस घटना से यह सवाल उठता है कि क्या समाज और सरकार ऐसे व्यक्तियों के लिए उचित सहायता प्रदान कर रहे हैं, ताकि वे ऐसे कठोर कदम उठाने से बच सकें।

आगरा में हुई यह घटना एक बड़ा सवाल छोड़ जाती है कि क्या पैसे की तंगी और मानसिक दबाव किसी इंसान को इस हद तक मजबूर कर सकते हैं? चंद्रप्रकाश की आत्महत्या ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना कितना महत्वपूर्ण है। इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए समाज और सरकार को अपनी भूमिका निभानी चाहिए, ताकि ऐसे दुखद घटनाओं का पुनरावृत्ति न हो।

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