Manipur violence: मणिपुर में पिछले कुछ दिनों से जारी हिंसा और तनाव के बीच राज्य सरकार ने इंफाल घाटी के स्कूलों और कॉलेजों को 23 नवंबर तक बंद रखने का निर्णय लिया है। यह कदम छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। जिरीबाम जिले में हुई हिंसा के बाद से राज्य में स्थिति गंभीर बनी हुई है, और राज्य सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय किए हैं। इस निर्णय की जानकारी एक आधिकारिक अधिसूचना के माध्यम से बुधवार को दी गई।
इंफाल घाटी में तनाव का माहौल
मणिपुर की इंफाल घाटी, जिसमें इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल, बिष्णुपुर और काकचिंग जिले शामिल हैं, इन दिनों हिंसा और अशांति का सामना कर रही है। राज्य में शांति बनाए रखने और छात्रों के जीवन को खतरे से बचाने के लिए, 16 नवंबर से ही इन जिलों में स्कूल और कॉलेज बंद किए गए थे। अब इसे 23 नवंबर तक बढ़ा दिया गया है। इस आदेश के अनुसार, सरकारी और निजी स्कूलों के साथ-साथ कॉलेज भी बंद रहेंगे।
23 नवंबर तक स्कूलों और कॉलेजों का बंद रहना
अधिसूचना के मुताबिक, मणिपुर के पांच जिलों में स्थित सरकारी और निजी स्कूलों और कॉलेजों को 23 नवंबर तक बंद रखा जाएगा। इस कदम का उद्देश्य छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, क्योंकि हिंसा के दौरान कोई अप्रत्याशित घटना घटी तो इससे छात्रों के जीवन को खतरा हो सकता है। पुलिस प्रशासन ने इन स्कूलों और कॉलेजों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया है।
जरूरी वस्तुओं की खरीदारी के लिए ढील
मणिपुर सरकार ने हिंसा और शांति बहाली की दिशा में एक और कदम उठाया है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में जारी निषेधाज्ञा (कर्फ्यू) के बीच, 23 नवंबर तक कुछ खास छूट दी जाएगी। इसके तहत, इंफाल पूर्व और काकचिंग जिलों में सुबह पांच बजे से दोपहर 12 बजे तक और इंफाल पश्चिम, थौबल और बिष्णुपुर जिलों में सुबह पांच बजे से सुबह 10 बजे तक लोगों को आवश्यक वस्तुएं खरीदने के लिए छूट दी जाएगी। सरकार का कहना है कि लोगों को दवाइयां, खाद्य पदार्थ और अन्य आवश्यक सामान खरीदने के लिए यह ढील जरूरी है ताकि उनके दैनिक जीवन की जरूरतें पूरी हो सकें।
जिरीबाम में हिंसा के बाद स्थिति बिगड़ी
जिरीबाम जिले में हिंसा के बाद स्थिति और भी बिगड़ गई। इस हिंसा के कारण बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई थी। इस हिंसा के बाद से राज्य के विभिन्न हिस्सों में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। पुलिस और सुरक्षा बल स्थिति को नियंत्रित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अभी भी कई इलाकों में अशांति बनी हुई है।
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार को दिया आठ हफ्ते का समय
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर राज्य सरकार को इनर लाइन परमिट (आईएलपी) व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब देने के लिए आठ हफ्ते का समय दे दिया है। मणिपुर के अलावा, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड और मिजोरम में भी आईएलपी व्यवस्था लागू है। इस व्यवस्था के तहत बाहरी लोग, यानी देश के अन्य राज्यों के लोग, इन राज्यों में प्रवेश करने के लिए अनुमति प्राप्त करते हैं।
इनर लाइन परमिट (आईएलपी) प्रणाली
आईएलपी प्रणाली एक विशेष प्रशासनिक व्यवस्था है, जिसके तहत बाहरी लोगों को उन राज्यों में प्रवेश करने के लिए एक तरह की अनुमति की आवश्यकता होती है, जहां यह व्यवस्था लागू है। मणिपुर में यह व्यवस्था लागू होने के बाद बाहरी लोगों को राज्य में प्रवेश करने के लिए अनुमति प्राप्त करनी होगी। इस व्यवस्था के विरोध में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि यह व्यवस्था मणिपुर के स्थायी निवासियों के अधिकारों का उल्लंघन करती है।
मणिपुर में आईएलपी के खिलाफ याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में ‘आमरा बंगाली’ नामक संगठन की याचिका पर नोटिस जारी किया था। इस याचिका में यह तर्क दिया गया था कि आईएलपी व्यवस्था गैर-मूल निवासियों के प्रवेश व निकास को प्रतिबंधित करती है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इसके बाद मणिपुर सरकार को इस याचिका पर जवाब देने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया गया है।
मणिपुर में कानून-व्यवस्था का संकट
मणिपुर में हिंसा और तनाव की स्थिति ने कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा कर दी है। सरकार की ओर से उठाए गए कदमों के बावजूद, राज्य में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है। इसके कारण लोगों का सामान्य जीवन प्रभावित हो रहा है, और कई लोग सुरक्षा के कारण अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
निषेधाज्ञा और सुरक्षा उपाय
मणिपुर सरकार ने विभिन्न जिलों में निषेधाज्ञा लागू की है, ताकि हिंसा और अपराध की घटनाओं को रोका जा सके। हालांकि, कुछ जिलों में सुबह और दोपहर के समय छूट दी गई है ताकि लोग आवश्यक वस्तुएं खरीद सकें। पुलिस प्रशासन ने इन प्रतिबंधों को सख्ती से लागू किया है, ताकि कोई भी व्यक्ति कानून का उल्लंघन न कर सके।
मणिपुर की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी
मणिपुर की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट भी नजर बनाए हुए है। कोर्ट ने राज्य सरकार से हिंसा और अशांति की स्थिति पर जवाब तलब किया है और इसे शीघ्र हल करने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार से इनर लाइन परमिट (आईएलपी) को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द से जल्द जवाब देने के लिए समय दिया है।
मणिपुर में हालिया हिंसा और तनाव की स्थिति ने राज्य की कानून-व्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। इस तनावपूर्ण स्थिति के बीच सरकार ने छात्रों की सुरक्षा के मद्देनजर स्कूलों और कॉलेजों को बंद रखने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, लोगों को आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी के लिए ढील दी गई है, ताकि उनकी दैनिक जरूरतें पूरी हो सकें। सुप्रीम कोर्ट ने भी मणिपुर सरकार से इस मुद्दे पर जवाब मांगा है और आठ हफ्ते का समय दिया है। मणिपुर सरकार को जल्द ही इस स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि राज्य में शांति और सामान्य जीवन बहाल हो सके।