दिल्ली की Patiala House Court ने बीकानेर हाउस को कुर्क करने का आदेश दिया है, जो राजस्थान नगर निगम, नोखा के स्वामित्व में है। यह आदेश कोर्ट ने उस विवाद के चलते जारी किया है, जो एनवाइरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड और नोखा नगर पालिका के बीच था। कोर्ट ने यह आदेश एनवाइरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में 21 फरवरी को पारित किए गए समझौते के उल्लंघन के कारण दिया। इस आदेश के अनुसार, नोखा नगर पालिका को बीकानेर हाउस से जुड़ी किसी भी प्रकार की गतिविधि करने की अनुमति नहीं दी गई है, जब तक कोर्ट का अगला आदेश नहीं आता।
बीकानेर हाउस की कुर्की का आदेश
पटियाला हाउस कोर्ट ने बीकानेर हाउस के संबंध में यह आदेश दिया और साथ ही आदेश दिया कि बीकानेर हाउस की नीलामी की घोषणा 29 नवंबर को अदालत में की जाए, ताकि शर्तों और अन्य प्रतिक्रियाओं के लिए समय दिया जा सके। जिला न्यायाधीश विद्या प्रकाश ने यह आदेश दिया, जिसमें उन्होंने यह भी कहा कि 2020 में एनवाइरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में पारित किया गया मध्यस्थता आदेश, इस साल नगरपालिका द्वारा दायर अपील को खारिज किए जाने के बाद अंतिम रूप से लागू हो गया है। न्यायाधीश ने 18 सितंबर को दिए गए आदेश में कहा कि कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया गया।
न्यायाधीश का बयान
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, “बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद, देनदार ने अपने संपत्ति के हलफनामे को प्रस्तुत करने का निर्देश नहीं माने। अदालत ने डिग्री धारक द्वारा प्रस्तुत किए गए तर्कों के साथ सहमति व्यक्त की और पाया कि यह देनदार की अचल संपत्ति यानी बीकानेर हाउस पर कुर्की का वारंट जारी करने के लिए उपयुक्त मामला है।”
कोर्ट ने यह व्यवस्था उस आवेदन पर दी, जिसमें 21 जनवरी 2020 को पारित मध्यस्थता ट्रिब्यूनल के आदेश को लागू करने के लिए अनुरोध किया गया था। न्यायाधीश ने यह भी कहा कि नोखा नगर पालिका इस संपत्ति को न तो बेच सकती है और न ही इसे उपहार के रूप में स्थानांतरित कर सकती है या किसी अन्य तरीके से हस्तांतरित कर सकती है।
बीकानेर हाउस और उसकी कानूनी स्थिति
बीकानेर हाउस दिल्ली के प्रसिद्ध और ऐतिहासिक स्थानों में से एक है। यह राजस्थान सरकार का एक महत्वपूर्ण संपत्ति है, जो कई सरकारी कार्यों और समारोहों के लिए उपयोग किया जाता है। यह भवन दिल्ली के प्रतिष्ठित क्षेत्र में स्थित है और राजस्थान के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को प्रदर्शित करता है।
हालांकि, अब यह संपत्ति कानूनी विवाद का केंद्र बन गई है, जब राजस्थान के नोखा नगर पालिका और एनवाइरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच एक वित्तीय विवाद उत्पन्न हुआ। एनवाइरो इंफ्रा इंजीनियर्स ने 2020 में इस मामले में मध्यस्थता की प्रक्रिया के तहत निर्णय प्राप्त किया था, लेकिन नोखा नगर पालिका द्वारा इसका पालन नहीं किया गया, जिसके बाद अदालत ने बीकानेर हाउस की कुर्की का आदेश दिया।
समझौते का उल्लंघन और कोर्ट की कार्रवाई
एनवाइरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड और नोखा नगर पालिका के बीच समझौते के उल्लंघन के बाद, इस मामले में कई कानूनी कार्रवाई की गई। एनवाइरो इंफ्रा इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड ने अदालत में याचिका दायर की थी कि नोखा नगर पालिका ने 21 फरवरी को पारित आदेश का पालन नहीं किया और 50,31,512 रुपये की राशि का भुगतान नहीं किया। इस शिकायत के आधार पर कोर्ट ने बीकानेर हाउस की कुर्की का आदेश दिया और इसे बेचने की प्रक्रिया शुरू की।
कोर्ट की कार्रवाई और न्याय व्यवस्था
कोर्ट ने यह आदेश देते हुए यह स्पष्ट किया कि नोखा नगर पालिका को यह संपत्ति बेचने या हस्तांतरित करने की अनुमति नहीं होगी। अदालत ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि समझौते का पालन हो, कुर्की का आदेश दिया। यह आदेश यह भी दर्शाता है कि यदि कोई पक्ष समझौते का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कानूनी व्यवस्था यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी संपत्तियों और अनुबंधों का पालन किया जाए और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या लापरवाही के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
बीकानेर हाउस की नीलामी की प्रक्रिया
अब, पटियाला हाउस कोर्ट ने बीकानेर हाउस की नीलामी की प्रक्रिया की शुरुआत करने का आदेश दिया है। यह नीलामी 29 नवंबर को अदालत में घोषित की जाएगी। इस प्रक्रिया में सभी संबंधित पक्षों को अपनी शर्तों और प्रतिक्रियाओं को प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। इसके बाद अदालत द्वारा तय की गई शर्तों के तहत इस संपत्ति की नीलामी की जाएगी। यह नीलामी बीकानेर हाउस की स्थिति को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम होगा, और यह देखना होगा कि किसे यह संपत्ति मिलती है।
पटियाला हाउस कोर्ट का यह आदेश एक महत्वपूर्ण कानूनी कार्यवाही है, जो यह बताता है कि सरकारी संपत्तियों और समझौतों का उल्लंघन नहीं किया जा सकता। बीकानेर हाउस की कुर्की और नीलामी की प्रक्रिया यह सुनिश्चित करेगी कि समझौते का पालन किया जाए और कानूनी न्याय व्यवस्था को बनाए रखा जाए। यह आदेश अन्य सरकारी और निजी संस्थाओं के लिए एक संदेश है कि किसी भी प्रकार के वित्तीय या कानूनी उल्लंघन के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे।
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